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वाराणसी: रिश्वत में गिरफ्तार महिला थानाध्यक्ष के कार्यकाल की होगी जांच, खुल सकती है पुराने केस फाइलें

पुलिस कमिश्नर ने दिए विभागीय जांच के आदेश, पुराने केस के विवेचना की मांगी गई रिपोर्ट

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Police inspector Sumitra Devi
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विवेचना के दौरान घूस लेने के आरोप में जेल भेजी गई थानाध्यक्ष सुमित्रा और कांस्टेबल

राजातालाब कार्यकाल में भी उठ चुके थे अनियमितता के आरोप

वाराणसी, भदैनी मिरर। रिश्वतखोरी के आरोप में गिरफ्तार की गई महिला थानाध्यक्ष सुमित्रा देवी और कांस्टेबल अर्चना राय अब बड़े विभागीय घेरे में आ गई हैं। पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल ने दोनों के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश जारी कर दिए हैं। साथ ही, सुमित्रा देवी के पहले कार्यकाल की फाइलें भी मंगाई जा रही हैं ताकि पुराने मामलों की विवेचना की जांच की जा सके।
शुक्रवार को एंटी करप्शन यूनिट ने महिला थाने की प्रभारी निरीक्षक सुमित्रा देवी और कांस्टेबल अर्चना राय को भदोही निवासी एक आरोपी से 10 हजार रुपये घूस लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया था। घूस की यह रकम मुकदमे से नाम निकालने के लिए मांगी गई थी। गिरफ्तारी के बाद दोनों को शनिवार को जेल भेज दिया गया।
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फिलहाल दोनों को जिला जेल के महिला वार्ड अस्पताल बैरक में रखा गया है। सूत्रों के अनुसार, गिरफ्तारी के बाद रातभर दोनों पुलिसकर्मी बेचैनी में रहीं।
पुराने मामलों की फाइलें खुलेंगी
कमिश्नर ने बताया कि सुमित्रा देवी के पहले कार्यकाल के दौरान दर्ज मुकदमों की भी समीक्षा की जाएगी। कहा जा रहा है कि फाइनल रिपोर्ट वाले कई केस अब फिर से खोले जा सकते हैं ताकि यह जांच हो सके कि किन मामलों में जानबूझकर धारा कम की गई या आरोपियों के नाम हटाए गए।
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सूत्रों के अनुसार, जब सुमित्रा देवी की राजातालाब थाने में तैनाती थी, तब भी कई शिकायतें आई थीं। उन पर आरोप था कि वे गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज करने के बाद बिचौलियों के जरिये केस कमजोर करती थीं। हालांकि, उस समय मामला दब गया और बाद में उन्हें महिला थाना कोतवाली का चार्ज मिल गया।
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 थाने में सन्नाटा, नई तैनाती पर मंथन
गिरफ्तारी के बाद से महिला थाना परिसर में सन्नाटा पसरा रहा। पुलिसकर्मी आपस में यह चर्चा करते रहे कि थाने की कमान अब किसे सौंपी जाएगी। सूत्रों का कहना है कि सुमित्रा देवी ज्यादातर विवेचना खुद रखती थीं ताकि केस में हेरफेर करने की पूरी गुंजाइश बनी रहे।
एक महिला कांस्टेबल ने बताया कि “मैडम का एक सूत्रीय काम था—मुकदमे से नाम निकालने के एवज में पैसा लेना। पहले गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज करतीं और फिर बिचौलियों के माध्यम से नाम निकालने के लिए पैसे मांगती थीं।”
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