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वाराणसी : राजनीति का अखाड़ा बन गया है महामना पंडित मदन मोहन मालवीय का आंगन

विवादों को गढ़ बना काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू), जिम्मेदार मौन

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ट्रामा सेंटर, सर सुंदरलाल अस्पताल और अब आईएमएस में डीन पद को लेकर जारी है आंदोलन

एक नवम्बर 23 को आईआईटी गैंगरेप से पहले से आंदोलनों की आग में झुलस रहा बीएचयू

वाराणसी, भदैनी मिरर। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के संकाय, विभाग, सर सुंदरलाल चिकित्सालय, ट्रामा सेंटर और आईएमएस बीएचयू इन दोनों विवादों के गढ़ बन गये हैं। अभी ट्रॉमा सेंटर में प्रोफेसर से बाउंसरों का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। भष्टाचार की लड़ाई अलग मुंह बाए खड़ी है। ट्रामा सेंटर सौरभ सिंह और सुंदरलाल चिकित्सालय के चिकित्सा अधीक्षक को हटाने की मांग कर रहे हैं। आईएमएस में एक नया डीन पद पर तैनाती का विवाद अलग से शुरू है।

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काशी हिंदू विश्वविद्यालय के आईएमएस बीएचयू में पिछले आठ दिन से दो डीन बैठे नजर आ रहे हैं। आईएमएस बिल्डिंग स्थित निदेशक ऑफिस के बाहर मनोचिकित्सा विभाग के प्रोफेसर संजय गुप्ता शांति आंदोलन पर बैठे हैं। वह आईएमएस में डीन न बनाए जाने से नाराज हैं। हालांकि बीएचयू प्रशासन ने प्रो. शंपा अनूपूर्वा को डीन बनाया है। मजे की बात यह है कि प्रो. संजय ने निदेशक ऑफिस के बाहर एक बोर्ड भी लगाया है जिस पर खुद को यूजीसी रूल के अनुसार डीन बता रहे हैं। 

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प्रोफेसर संजय का कहना है यूजीसी के नियमानुसार वह डीन बनाए जाते, लेकिन बीएचयू प्रशासन ने यूजीसी के आदेश का पालन नहीं किया। इसी आदेश के तहत बीएचयू ने प्राचीन इतिहास विभाग में प्रो. एमपी अहिरवार और सर्जरी विभाग में अध्यक्ष बनाया, लेकिन आईएमएस में डीन पद पर नियमों की अनदेखी की जा रही है। उन्होंने कहा कि जब तक हमें यूजीसी रूल के हिसाब से हमारा पद नहीं मिल जाता तब तक हम शांतिपूर्ण आंदोलन करते रहेंगे।

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बता दें कि शांतिपूर्ण आंदोलन को छात्र और राजनीतिक दलों समेत अन्य संस्थाओं का समर्थन मिल रहा है। गौरतलब है कि पिछले चार दिनों से पीएचडी प्रवेश मामले को लेकर तीन छात्र धरने पर बैठे थे। बीएचयू प्रशासन के आश्वासन पर कल ही उनका धरना समाप्त हुआ। इससे पहले भी कई छात्रों ने धरना-प्रदर्शन किया। वैसे देखें तो एक नवम्बर वर्ष 2023 में आईआईटी गैंगरेप प्रकरण से पहले से बीएचयू लगातार आंदोलनों को झेल रहा है। दुर्व्यवस्था, मनमानेपन को कारण बताया जा रहा है। हालत यह हो गई है कि छोटी-छोटी बात पर छात्रों को आंदोलन का रास्ता अख्तियार करना पड़ रहा है। इसलिए यह माना जा रहा है कि अब विश्वविद्यालय के संस्थापक पंडित मदन मोहन मालवीय का आंगन अब आंदोलनों के गढ़ या अखाड़े के रूप में तब्दील हो चुका है। जिम्मेदार मौन हैं। 
 

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