
Varanasi : रेहड़ी-पटरी व्यवसायियों पर हो रही प्रशासनिक कार्रवाई के खिलाफ समाजिक कार्यकर्ताओं ने बुलंद की आवाज, प्रशासन की कार्यशैली पर उठाए सवाल, की यह मांग




वाराणसी, भदैनी मिरर। काशी की सड़कों पर रोज़ी-रोटी कमाने वाले रेहड़ी-पटरी व्यवसायियों पर हो रही लगातार प्रशासनिक कार्रवाई को लेकर अब विरोध के स्वर तेज हो गए हैं। स्थानीय संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसे गरीबों के खिलाफ अन्याय बताते हुए प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। साथ ही शासन-प्रशासन से मांग की है कि रेहड़ी-पटरी व्यवसायियों पर की जा रही कार्रवाई को रोका जाए और उन्हें उनके अधिकारों व सम्मान के साथ व्यापार करने की स्वतंत्रता दी जाए। यदि यह सिलसिला ऐसे ही चलता रहा, तो शहर में सामाजिक असंतुलन और आर्थिक असुरक्षा की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।


पीएम स्वनिधि योजना का लाभ मिलने के बावजूद हो रहा विस्थापन
सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा, प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के तहत छोटे दुकानदारों को आत्मनिर्भर बनने का मौका दिया गया, लेकिन स्थानीय नगर निगम और पुलिस द्वारा लगातार पटरी व्यवसाइयों को हटाया जा रहा है। इससे उनकी आजीविका खतरे में पड़ गई है।


पथ विक्रेता कानून 2014 का उल्लंघन
भारत सरकार द्वारा लागू पथ विक्रेता (जीवनयापन और विनियमन) अधिनियम 2014 के तहत पटरी व्यवसायियों को कानूनी सुरक्षा देने का प्रावधान है। इसके बावजूद वाराणसी में इस कानून की अनदेखी कर मनमाने तरीके से कार्रवाई की जा रही है, जो न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि सामाजिक असमानता को भी बढ़ावा दे रही है।

ओवरब्रिज के नीचे की दुकानों में घोटाले के आरोप
कैंट रेलवे स्टेशन के सामने ओवरब्रिज के नीचे पटरी दुकानदारों को स्थान देने की योजना थी, लेकिन स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत इसे निजी एजेंसी को सौंपा गया, जिसने बड़े व्यापारियों को दुकानें आवंटित कर दीं। यहां अवैध गतिविधियों की शिकायतें सामने आईं, जिससे न केवल नगर निगम को राजस्व का नुकसान हुआ, बल्कि क्षेत्र की छवि भी खराब हुई। अंततः पूरे क्षेत्र को खाली कराया गया और नुकसान उन गरीब दुकानदारों को उठाना पड़ा, जो ईमानदारी से अपना व्यवसाय चला रहे थे।
पूंजीपतियों के दबाव में नगर निगम?
स्थानीय लोगों का आरोप है कि नगर निगम और प्रशासन बड़े पूंजीपतियों के दबाव में काम कर रहे हैं। नतीजतन, पटरी दुकानदारों को शहर में कहीं भी टिकने नहीं दिया जा रहा है। इससे हजारों परिवारों की आजीविका संकट में पड़ गई है।
सस्ती वस्तुएं और सामाजिक संतुलन के वाहक हैं पटरी दुकानदार
इन व्यवसायियों की भूमिका केवल व्यापार तक सीमित नहीं है, बल्कि वे शहर के गरीब और मध्यमवर्गीय लोगों को दैनिक जरूरत की चीजें सस्ती दरों पर उपलब्ध कराते हैं। इनके हटने से न केवल उनकी रोजी-रोटी पर असर पड़ेगा, बल्कि आम लोगों की आवश्यक सेवाएं भी बाधित होंगी।

