Varanasi Ropeway : रोपवे का पहला चरण अंतिम दौर में, जानें कब से शुरू होगा संचालन




Varanasi Ropeway : वाराणसी में बन रहे देश के पहले शहरी रोपवे को लेकर काम तेजी से आगे बढ़ रहा है। इसके पहले चरण के पहले सेक्शन का 75% कार्य पूरा हो चुका है और मई 2025 तक इसे पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है। इस रोपवे के शुरू होने से गोदौलिया से कैंट रेलवे स्टेशन की दूरी सिर्फ 16 मिनट में तय की जा सकेगी।

एक घंटे में दोनों दिशा से 6000 यात्रियों की क्षमता
योजना के अनुसार, रोपवे हर डेढ़ से दो मिनट के अंतराल पर यात्रियों को गंडोला उपलब्ध कराएगा। एक दिशा में 3000 लोग प्रति घंटा यात्रा कर सकेंगे, यानी दोनों दिशाओं में कुल 6000 यात्रियों की आवागमन क्षमता होगी। इसका संचालन मेट्रो की तर्ज पर रोजाना 16 घंटे किया जाएगा।

आधुनिक तकनीक से लैस, हर मौसम में सुरक्षित संचालन
रोपवे से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि यह प्रोजेक्ट न केवल सुगम यात्रा सुनिश्चित करेगा, बल्कि इसमें सुरक्षा का भी विशेष ध्यान रखा गया है। 60 किमी प्रति घंटे की हवा में भी गंडोला सुरक्षित रूप से चल सकता है। तेज आंधी आने पर सेंसर सिस्टम अलर्ट कर देगा और गंडोले को सुरक्षित रूप से गैरेज में पहुंचा दिया जाएगा।

कोहरा, बारिश और ठंड जैसे मौसम भी इसकी संचालन क्षमता को प्रभावित नहीं करेंगे। इसके लिए विशेष प्रकार का बैकअप पावर सिस्टम भी लगाया जा रहा है ताकि बिजली जाने पर भी सेवाएं बाधित न हों।
रथयात्रा सेक्शन में तैयार हो रही गंडोला पार्किंग
रोपवे परियोजना में करीब 45 से 50 मीटर की ऊंचाई पर 148 ट्रॉली कार चलेंगी, जिनमें से हर ट्रॉली में 10 यात्री बैठ सकेंगे। रोपवे के दूसरे सेक्शन (रथयात्रा से गोदौलिया) का कार्य सितंबर तक पूरा होने की उम्मीद है।
रथयात्रा क्षेत्र को गंडोलों की पार्किंग साइट के रूप में विकसित किया जा रहा है। यहां सौर ऊर्जा से चलने वाली लाइटों से लैस ट्रॉलीज को रात में पार्क किया जाएगा, जिससे पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा।
बिजली उपकेंद्र की आवश्यकता
भारत माता मंदिर परिसर में बन रहे बिजली उपकेंद्र का निर्माण अभी प्रगति पर है और इसे पूरा होने में करीब तीन महीने लगेंगे। जब तक यह तैयार नहीं होता, तब तक नियमित संचालन शुरू नहीं हो सकेगा। हालांकि, इस दौरान ट्रायल रन किए जाएंगे।
हाल ही में पावर कॉरपोरेशन के एमडी पंकज कुमार ने साइट का निरीक्षण किया और निर्माण कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए। साथ ही रात में काम जारी रखने के लिए हाईमास्ट लाइटें भी पिलरों पर लगाई जा रही हैं, ताकि कार्य रफ्तार में बना रहे।

