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Varanasi News: फीस बकाया होने पर स्कूल ने छात्र को किया परीक्षा से वंचित, पिता ने लगाईं बीएसए ऑफिस में गुहार 

वाराणसी के सामने स्थित एक प्राइवेट स्कूल में महज ₹2000 की फीस ना जमा होने पर छात्र को अर्धवार्षिक परीक्षा से किया वंचित, छात्र के पिता ने किया स्कूल के खिलाफ बीएसए ऑफिस में शिकायत

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Varanasi News: वाराणसी के एक प्राइवेट स्कूल ने सिर्फ़ ₹2,000 बकाया होने की वजह से कक्षा चार के छात्र को अर्धवार्षिक परीक्षा से देने रोक दिया। छात्र के पिता ने बीएसए से शिकायत की है। इस मामले की लिखित शिकायत बेसिक शिक्षा अधिकारी वाराणसी को दी गई है और मांग की गई है कि इस प्रकरण की निष्पक्ष जाँच कर विद्यालय प्रशासन पर आवश्यक कार्यवाही की जाए, ताकि भविष्य में किसी अन्य छात्र के साथ इस तरह का अन्याय न हो।

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क्या है घटना?

वाराणसी के सामने घाट इलाके में स्थित Holy Children Public School के एक कक्षा चार के छात्र, शिवम यादव, को परीक्षा देने से रोक दिया गया । छात्र के पिता ने आरोप लगाया कि उनके बेटे की फीस में ₹2,000 बकाया था। छात्र के अभिभावक ने बताया कि स्कूल की सालाना फीस लगभग ₹6,000 है, और बकाया फीस सिर्फ़ जनवरी महीने की थी — उसके पहले कि सब फीस समय से जमा कर दी गयी थी । ₹2,000 का बकाया Fees न जमा होने पर स्कूल प्रशासन ने छात्र को एक माह का समय माँगा गया था लेकिन अभिभावक की यह रिक्वेस्ट मना कर दी गई। 
 

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अभिभावक ने क्या किया 

इस मामले की शिकायत बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA), वाराणसी से की गई है। अभिभावक ने मांग की है कि स्कूल प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई हो ताकि भविष्य में ऐसे अन्याय किसी और के बच्चे के साथ न हो। 

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कानूनी और नीति संबंधी पहलू

इस घटना को शिक्षा का अधिकार अधिनियम (Right to Education Act, RTE) के उल्लंघन के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि इस अधिनियम के तहत ज़रूरतमंद परिवारों के बच्चों को शिक्षा से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।फीस के बकाए की वजह से परीक्षा से वंचित करना एक संवेदनशील मुद्दा है — छात्रों का भविष्य प्रभावित हो सकता है। छोटी सी फीस बकाया होने पर भी एक छात्र को परीक्षा से बाहर करना, प्रशासनिक गलती या मानवता की कमी — दोनों हो सकते हैं। आगे देखना होगा कि शिकायत के बाद क्या कार्रवाई होती है, और स्कूल प्रशासन अपनी नीति में बदलाव करता है कि वो किस तरह से फीस बकाया मामलों को हल करता है।

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