
वाराणसी : चौबेपुर में तेंदुए के दहशत से किसानों का हुआ लाखों का नुकसान, चार दिन बाद भी भय का माहौल
नेनुआ, फालसा, नीबू, गुलाब की होती है खेती, फसल तोड़ने या रात में रखवाली करने खेतों में नही जा रहे किसान




ग्राम प्रधान ने सौंपा एडीएम को पत्रक, लगाई जान-माल की सुरक्षा की गुहार
कहा-वन विभाग को बुलाया गया तो खाली हाथ पहुंचे थे कर्मचारी
डंडा, हेलमेट, ड्रोन कैमरा और मुर्गा की व्यवस्था करनी पड़ी
वाराणसी, भदैनी मिरर। चौबेपुर क्षेत्र के गांवों में तंदुए के आने के पांच दिनों के बाद भी दहशत का माहौल है। ग्रामीण रात जागकर पहरेदारी कर रहे हैं। लोग दिन में तो सावधानी तो बरत ही रहे हैं रात में डर के मारे कोई न तो बाहर निकल रहा है और न खेतों में फसल तोड़ने या रखवाली करने जा रहे हैं। फसल तोड़कर और उसे बेचकर उनके परिवार को खर्च चलता है। लेकिन तेंदुए के डर से फसल की तोड़ाई नही हो पा रही है और किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। इस मामले में गौराकला (लखरांव) के ग्राम प्रधान राजेश कुमार ने जिलाधिकारी के कैम्प कार्यालय में एडीएम नागरिक आपूर्ति अमित कुमार भारती को प्रार्थना पत्र देकर तेंदुए को पकड़ने की गुहार लगाई है। उनका कहना है कि आसपास के गांव के लोग भी भयभीत हैं। प्रधान ने बताया कि जबतक तेंदुआ पकड़ा नही जाता या उसके क्षेत्र में न होने के पक्के सबूत नही मिल जाते ग्रामीणों की चिंता बनी रहेगी।

ग्राम प्रधान राजेश कुमार ने पत्र में कहा है कि गौराकला कामख्या नगर कालोनी में 23 मई को अचानक तेंदुआ सीसीटीवी कैमरे में कैद हुआ। सीसीटीवी फुटेज में उसकी हरकत देखने के बाद यह खबर गांवों में जंगल में आग की तरह फैल गई। गांव में लोगों ने तेंदुए को देखा भी। तेंदुए ने तीन लोगों पर हमला कर उन्हें घायल भी कर दिया। प्रधान ने बताया कि उन्होंने तत्काल प्रशासन और वन विभाग को सूचित किया। इसके बाद वन विभाग के कर्मचारी तो पहुंचे लेकिन उनके पास तेंदुआ को पकड़ने के लिए कोई संसाधन नही था। इसके बाद प्रधान ने कर्मचारियों को ड्रोन कैमरा, हेलमेट, डंडा मुहैया कराया। यहां तक कि तेंदुए को पकड़ने के लिए जो जाली लाई गई थी, उसमें रखने के लिए उसने मुर्गा की भी व्यवस्था की। इसके बावजूद अब तक तेंदुआ पकड़ा नही जा सका।


प्रधान ने बताया कि 23 मई को तेंदुआ आठ घंटे तक एक ही स्थान पर रहा लेकिन पकड़ा नही जा सका। इससे ग्रामीणों में अब भी डर का माहौल बना हुआ है। गांवा में किसानों ने गुलाब, नेनुआ, फालसा, नीबू की खेती की है। डर के मारे किसान फसल तोड़ने खेतों मे नही जा रहे हैं। इस डर से कि पता नही कब किधर से तेंंदुआ आ जाय और उन्हें निवाला न बना ले। ग्रामीण भयभीत हैं। तेंदुए के हमले से घायलों का इलाज अब भी सरकारी अस्पताल में चल रहा है। गांव वालों को अपने पशु और बच्चों की भी चिंता है। दरवाजे पर बंधे पशुओं पर तेंदुआ हमला कर सकता है। ऐसे में ग्रामीण चिंतित हैं और रात भर जागकर पहरेदारी कर रहे हैं। प्रधान ने बताया कि गुलाब के फूल, नीबू, फालसा, नेनुआ की इस समय खपत ज्यादा है। किसान रोज फसल तोड़कर मंडी बेचते हैं। इससे उनकी कमाई हो जाती थी। लेकिन जब से तेंदुआ दिखा है किसान फसल नही तोड़ने जा रहे हैं। इस दौरान उन्हें लाखों का नुकसान उठाना पड़ रहा है। उधर, वन विभाग के अधिकारी का कहना है कि जिस तरफ से तेंदुए के गांव में आने के पदचिन्ह मिले थे, उसी तरफ से जाने के उसके पदचिन्ह मिले हैं। इससे आशंका जताई जा रही है कि तेंदुआ जिस रास्ते आया उसी रास्ते लौट गया है। लेकिन ग्रामीणों को वन विभाग के अधिकारी की बात पर भरोसा नही हो रहा है।


