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Varanasi: तबले, बांसुरी और सितार की संगत में सजी मां काली की भव्य आराधना

प्राचीन काली मठ में हुआ पंचमेवा श्रृंगार, कथक व शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुतियों ने मंत्रमुग्ध किया भक्तों को

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वाराणसी, भदैनी मिरर। प्राचीन काली मठ में आयोजित तीन दिवसीय संगीत महोत्सव की दूसरी निशा भक्तिमय स्वरलहरियों और शास्त्रीय नृत्य की अद्भुत प्रस्तुतियों से गूंज उठी। मंगलवार की रात मां काली का पंचमेवा श्रृंगार किया गया और भक्तों ने दिव्य रूप के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया।
दूसरी निशा की शुरुआत पं. पंकज राय के नेतृत्व में शास्त्रीय संगीत की जुगलबंदी से हुई। डॉ. सरिश जावली (बांसुरी), आनंद कुमार मिश्र (सितार) और हेमंत आलोक (तबला) ने 10 मात्रा तीन ताल मध्य लय में प्रस्तुति देकर माहौल को सुरमयी बना दिया। आलाप, जड़ और झाला की पेशकश ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया।
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इसके बाद रविशंकर मिश्र और डॉ. ममता टंडन ने कथक की बारीकियों को दर्शाते हुए "या देवी सर्वभूतेषु..." स्तुति पर भावपूर्ण नृत्य प्रस्तुत किया। साथ ही शिव वंदना, शिव तांडव और राधा-कृष्ण आधारित भजनों पर भी शानदार कथक की प्रस्तुति दी।
श्रृंगार अनुष्ठान में महंत पं. ठाकुर प्रसाद दुबे ने मां की महाआरती उतारी। वहीं, मानस मर्मज्ञ पं. रमेश पांडेय ने संगीतमय ढंग से हनुमान चालीसा का पाठ किया, जिससे पूरा परिसर गूंज उठा।
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संगीत प्रस्तुतियों में डॉ. विजय कपूर ने “काली मैया तिहारी इच्छा से हम द्वार तुम्हारे आए हैं” गीत से भक्तों का मन मोह लिया। अनन्या मिश्रा और अर्चना तिवारी ने लोक धुनों पर “बनल रहे नैहरवा ससुरवा ए काली माई...” गाकर समां बांधा।
लोकगायक गोविंद गोपाल मैहर ने “घुमवली जम्मू घुमवली...” और “अड़हुल के फुलवा में कवन गुन हो...” जैसे गीतों से श्रोताओं का दिल जीत लिया। वहीं नीरज पांडेय, ओम, पं. रुद्रनाथ त्रिपाठी, पिंकी मिश्रा, आरती सिन्हा, अरुण मिश्र, गुंजन, रीता शर्मा, लोकेश सिंह यादव और शाहिद ने भी मां काली को अपनी भक्ति स्वरूप प्रस्तुतियां समर्पित कीं।
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