फर्जी आदेश पर Varanasi जिला जेल से बंदी के रिहा होने में केस दर्ज, पूर्व जेल अधीक्षक को मुलज़िम बनाने की मांग
रिहाई आदेश की तमाम त्रुटियां ही फर्जी बताने के लिए पर्याप्त : अमिताभ ठाकुर




वाराणसी,भदैनी मिरर। जिला जेल वाराणसी (District Jail Varanasi) से फर्जी रिहाई आदेश के आधार पर बंदी के रिहा होने (release of a prisoner) का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. सोशल मीडिया (social media) पर जेल प्रशासन की किरकिरी होने के बाद शनिवार को जेलर राजेश कुमार (jailor Rajesh Kumar) की तहरीर पर लालपुर पांडेयपुर थाने (Lalpur Pandeypur police station) में मुकदमा दर्ज किया गया है. यह मुकदमा हाथरस के सादाबाद थाने के कोठीबदार निवासी बंदी सुनील चौधरी उर्फ सुनील कुमार और एक अज्ञात के खिलाफ दर्ज हुआ है. वहीं अब इस प्रकरण में पूर्व जेल अधीक्षक डॉ. उमेश सिंह (jail superintendent Dr. Umesh Singh) को मुलजिम बनाने की मांग उठ रही है.

जेलर राजेश कुमार ने बताया कि वाराणसी के साइबर क्राइम पुलिस थाने में दर्ज एक मामले में बंदी सुनील चौधरी को 24 फरवरी 2024 को जिला जेल में दाखिल किया गया था. सुनील पर अलीगढ़ के साइबर क्राइम थाने में भी मुकदमा दर्ज था. चार मार्च 2025 को जिला जेल को सुनील की रिहाई का अदालत का आदेश प्राप्त हुआ. सुनील को सात मार्च 2025 को रिहा कर दिया गया. रिहा होने के बाद उसकी रिहाई का आदेश फर्जी होने का मामला जानकारी में आया. सहायक रेडियो अधिकारी और अलीगढ़ के संयुक्त निदेशक अभियोजन से जानकारी मांगी गई.

उमेश सिंह का हो रहा बचाव
अब आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर ने कैदी सुनील को फर्जी रिहाई आदेश पर वाराणसी जेल से रिहा किए जाने के मामले में जेल प्रशासन द्वारा थाना लालपुर पांडेपुर में दर्ज कराए गए एफआईआर को पूरी तरह अपर्याप्त बताया है. यूपी के मुख्यमंत्री को भेजी अपनी शिकायत में उन्होंने कहा कि इस मामले में जेलर राजेश कुमार द्वारा दर्ज कराए गए एफआईआर में मात्र सुनील कुमार को मुलज़िम बनाया गया है. इसके विपरीत वाराणसी जेल में इस मामले में 25 फरवरी 2025 को प्राप्त रिहाई कंफर्मेशन रेडियोग्राम तथा 4 मार्च 2025 को प्राप्त रिहाई आदेश को देखने से ही स्पष्ट हो जाता है कि ये फर्जी हैं. इन रिहाई आदेश में तमाम ऐसी त्रुटियां हैं, जिन्हें कोई भी जेल अफसर देखते ही समझ सकता है. इसके बाद भी तत्कालीन जेल अधीक्षक में इनके आधार पर कैदी को रिहा किया, जिसका एकमात्र अर्थ है कि वे इसमें संलिप्त थे. इसके बाद भी जेल प्रशासन ने उमेश सिंह को मुलजिम नहीं बनाया, जो पूरी तरह अनुचित है.

अमिताभ ठाकुर ने मुख्यमंत्री से इस मामले में तत्कालीन जेल अधीक्षक उमेश सिंह को तत्काल मुलजिम बनाए जाने तथा उन्हें गलत बचाने के संबंध में वर्तमान जेल अधीक्षक सौरव श्रीवास्तव और जेलर राजेश कुमार के खिलाफ विधिक और प्रशासनिक की मांग की है.

