
वाराणसी कोर्ट ने पुलिस की अंतिम रिपोर्ट की खारिज, फर्जी ट्रस्ट डीड मामले में अग्रिम विवेचना का आदेश
गढ़वासी टोला निवासी प्रभा चोपड़ा ने पुलिस की फाइनल रिपोर्ट पर जताई आपत्ति, कोर्ट ने माना कूटरचना व धोखाधड़ी का मामला गंभीर, फिर से जांच करने का निर्देश




वाराणसी,भदैनी मिरर। गढ़वासी टोला, चौक निवासी प्रभा चोपड़ा द्वारा फर्जी ट्रस्ट डीड के ज़रिए मकान हड़पने के मामले में दर्ज प्राथमिकी में पुलिस की अंतिम रिपोर्ट को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मनीष कुमार की अदालत ने खारिज कर दिया है। अदालत ने प्रार्थिनी की ओर से दाखिल प्रोटेस्ट प्रार्थना पत्र को स्वीकार करते हुए मामले में अग्रिम विवेचना (Reinvestigation) का आदेश जारी किया है। अदालत में वादिनी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनुज यादव, डीएन यादव, नरेश यादव, संदीप यादव ने पक्ष रखा।


क्या है मामला
वादिनी प्रभा चोपड़ा ने कोर्ट के आदेश पर कैंट थाना, वाराणसी में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके पिता स्व. देव कुमार चोपड़ा, मकान संख्या सीके 8/49, गढ़वासी टोला, वाराणसी के एकमात्र स्वामी थे। उनके निधन के बाद नगर निगम के रिकॉर्ड में वादिनी और उनके भाई के नाम बतौर स्वामी दर्ज हैं। प्रार्थिनी का आरोप है कि रमेश चोपड़ा, मीरा चोपड़ा और रिचा चोपड़ा ने कूटरचना, जालसाजी और धोखाधड़ी करते हुए 14 दिसंबर 2017 को फर्जी ट्रस्ट डीड बनवाकर भवन पर कब्जा कर लिया। 5 अगस्त 2018 को जब वादिनी मकान की देखरेख के लिए पहुँचीं, तो उन्हें जबरन घर में घुसने से रोका गया और अश्लील गालियां देते हुए धमकाया गया।


फर्जीवाड़ा कैसे उजागर हुआ
वादिनी द्वारा 6 अगस्त को ट्रस्ट डीड की प्रति निकलवाने पर पता चला कि भवन को ट्रस्ट के नाम पर पंजीकृत करवा दिया गया है, जबकि स्व. देव कुमार चोपड़ा द्वारा ऐसा कोई न्यास विलेख कभी निष्पादित नहीं किया गया। प्रार्थिनी ने कोर्ट में कहा कि विवेचक SI मनोज कुमार पांडेय द्वारा वादिनी व उनके भाई का बयान लेकर भी केस को हल्के में लिया गया। बाद में किसी भी पुष्टिकरण की कोशिश किए बिना फाइनल रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल कर दी गई। वादिनी के अधिवक्ताओं — अनुज यादव, डीएन यादव, नरेश यादव और संदीप यादव ने कोर्ट में पक्ष रखते हुए फाइनल रिपोर्ट को मनगढ़ंत और पक्षपातपूर्ण बताया।
पत्रावली का अवलोकन करने के बाद, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने स्पष्ट किया कि मामले में गंभीर और संज्ञेय अपराधों की आशंका है, जिन्हें नजरअंदाज किया गया। अतः पुलिस की अंतिम रिपोर्ट को निरस्त करते हुए, पुनः विस्तृत विवेचना (अग्रिम विवेचना) का आदेश जारी किया गया।


