वाराणसी : दालमंडी सड़क चौड़ीकरण परियोजना में शहर मुफ्ती और सपा की एंट्री, गरमाई सियासत
शहर के मुफ्ती अब्दुल बातिन नोमानी ने दर्जनों लोगों के साथ किया दालमंडी का दौरा

धार्मिक स्थल तोड़ने के खिलाफ आगे आई अंजुमन इंतजामिया कमेटी
सपा सांसद वीरेंद्र सिंह और पूर्व मंत्री ने भी किया विरोध, दोनों नेताओं को प्रशासन ने विभिन्न कारण बताते हुए जाने नही दिया
वाराणसी, भदैनी मिरर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट और वाराणसी के सांसद व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के परियोजनाओं के उद्घाटन में से एक दालमंडी चौड़ीकरण परियोजना में अंजुमन इंतजामिया कमेटी और समाजवादी पार्टी की एंट्री हो गई। अब इस नये प्रकरण से यह मामला अब सियासी हो गया है। शहर ए मुफ्ती अब्दुल बातिन नोमानी ने दालमंडी क्षेत्र का दौरा कर प्रभावित परिवारों से बातचीत की। उन्होंने कहाकि विकास को समर्थन है लेकिन धार्मिक स्थलों का विनाश बर्दाश्त नही होगा। इसके बाद से सियासी पारा चढ़ गया है।




इस परियोजना के तहत एक ओर प्रशासनिक स्तर पर ध्वस्तीकरण और मुआवजे की प्रक्रिया तेज गई है। मुआवजे दिये जा रहे हैं और भवनों को टूटना जारी हैं, ऐसे में अंजुमन इंतजामिया कमेटी ने मस्जिदों के संरक्षण को लेकर कड़ा संदेश दिया है। इसबीच मुफ्ती-ए-शहर मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी कमेटी के लोगों और समर्थकों के साथ दालमंडी की गलियों में घूमें। दुकानदारों से बातचीत की। कहाकि विकास का स्वागत, लेकिन किसी भी धार्मिक स्थल के विनाश को कभी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

187 भवनों का होना है ध्वस्तीकरण
आपको बता दें कि दालमंडी चौड़ीकरण परियोजना के तहत करीब 650 मीटर लंबी इस सड़क को 17 मीटर चौड़ा किया जाएगा। जो काशी विश्वनाथ मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए वैकल्पिक मार्ग होगा। योगी सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना में 187 भवनों का ध्वस्तीकरण होना है। इसके तहत अब तक 25 से अधिक भवन मालिकों ने अपने दस्तावेज जमा कराए हैं। दस्तावेजों की जांच के बाद मुआवजा राशि उनके बैंक खातों में हस्तांतरित की जाएगी। जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार का कहना है कि प्रक्रिया पारदर्शी है। प्रभावित परिवारों को उचित मुआवजा दिया जाएगा। परियोजना की शुरुआत 19 अक्टूबर को पहली रजिस्ट्री के साथ हुई। 29 अक्टूबर को ध्वस्तीकरण कार्य आरंभ कर दिया गया। दालमंडी को मॉडल सड़क के रूप में विकसित करने का लक्ष्य है।


विकास किसी आस्था या आजीविका का विनाश नहीं कर सकता
हालांकि दालमंडी चौड़ीकरण परियोजना की घोषणा के बाद से ही यहां के प्रभावित परिवारों में चिंता और परेशानी बनी हुई है। इसी बीच शहर ए मुफ्ती मौलाना अब्दुल बातीन नोमानी ने दर्जनों पदाधिकारियों के साथ दालमंडी का दौरा किया और प्रभावित लोगों से मुलाकात की। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहाकि हम विकास के पक्ष में हैं, लेकिन यह विकास किसी की आस्था या आजीविका का विनाश नहीं कर सकता। दालमंडी में आने वाली मस्जिदों के संरक्षण के लिए हम कानूनी और सामाजिक स्तर पर लड़ाई लड़ेंगे। शहर ए मुफ्ती ने प्रभावित परिवारों को रजिस्ट्री न कराने की सलाह दी और प्रशासन से मांग की कि पहले इनकी रोजी-रोटी की व्यवस्था की जाय। स्थानीय लोगों का कहना है कि परियोजना शहर की भीड़ कम होगी लेकिन धार्मिक स्थलों के संरक्षण की मांग न्यायोचित है। अंजुमन कमेटी के इस रुख से प्रशासन पर दबाव बढ़ गया है। डीएम सतेंद्र कुमार ने आश्वासन दिया कि सभी पक्षों की भावनाओं का सम्मान करते हुए परियोजना को आगे बढ़ाया जाएगा। “हम संवाद के जरिए समाधान निकालेंगे, ताकि विकास और संरक्षण दोनों का संतुलन बना रहे। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी परिस्थितियों में पारदर्शिता और संवाद ही अंतिम समाधान है।

चौड़ीकरण की जद में हैं आधा दर्जन मस्जिदें
बता दें कि दालमंडी चौड़ीकरण परियोजना के दायरे में लगभग आधा दर्जन मस्जिदें और डेढ़ सौ से अधिक भवन आ सकते हैं। ऐसे में अंजुमन इंतेजामिया कमेटी ने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि मस्जिदों के खिलाफ कोई कार्रवाई हुई तो उसका विरोध किया जाएगा और कानूनी लड़ाई लड़ी जाएगी। कमेटी के संयुक्त सचिव एसएम यासीन ने कहा कि यह योजना सिर्फ विकास की नहीं बल्कि राजनीतिक साजिश है, जिसका विरोध होगा। उधर, इस मामले में गुरुवार को इस बेचैनी ने सियासी रंग ले लिया, जब समाजवादी पार्टी के चंदौली सांसद वीरेंद्र सिंह ने दालमंडी पहुंचकर धरना देने की घोषणा की। उधर, सपा के पूर्व मंत्री सुरेंद्र पटेल ने भी धरने का समर्थन किया। दोनों नेताओं को प्रशासन ने विभिन्न कारण बताते हुए जाने नही दिया।


