
यूपी बाढ़ अपडेट: प्रयागराज-मिर्जापुर में घटने लगी गंगा, वाराणसी में स्थिर जलस्तर से राहत के आसार
बाढ़ से बेहाल पूर्वांचल के लिए राहत की खबर, प्रयागराज में गंगा एक सेंटीमीटर प्रति घंटे और मिर्जापुर में आधा सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से घट रही, वाराणसी में पानी स्थिर




वाराणसी, भदैनी मिरर। उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में बाढ़ से जूझ रहे लाखों लोगों के लिए अब राहत की खबर सामने आई है। लगातार बढ़ता गंगा का जलस्तर अब प्रयागराज और मिर्जापुर में घटना शुरू हो गया है, जबकि वाराणसी में भी बढ़ाव थम गया है और जलस्तर फिलहाल स्थिर बना हुआ है।


प्रयागराज में गंगा-यमुना के जलस्तर में गिरावट
प्रयागराज में गंगा एक सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से घट रही है। इससे पहले सोमवार की रात राहत की उम्मीद तब जगी जब नैनी में यमुना का जलस्तर घटना शुरू हुआ। शाम चार बजे से रात आठ बजे तक यमुना का जलस्तर चार सेंटीमीटर कम हुआ।
वहीं, छतनाग में गंगा का जलस्तर सोमवार दोपहर 12 बजे से रात 8 बजे तक स्थिर रहा, जो इस बात का संकेत है कि अब खतरा धीरे-धीरे टलने की ओर है।


मिर्जापुर में घटने लगा गंगा का जलस्तर
मिर्जापुर में मंगलवार दोपहर 12 बजे से गंगा आधा सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से घटने लगी है। बाढ़ नियंत्रण कक्ष के अनुसार बीते दो घंटे में गंगा का जलस्तर एक सेंटीमीटर घट चुका है और अब यह 78.450 मीटर पर है।
हालांकि, मिर्जापुर के कोन, मझवा, छानबे, पहाड़ी, सीखड़ और नरायनपुर ब्लॉकों के 345 गांव अब भी बाढ़ की चपेट में हैं। इनमें से करीब 100 गांवों का संपर्क पूरी तरह टूट गया है। राहत कार्य के लिए नावों और मोटर बोट का सहारा लिया जा रहा है।

वाराणसी में स्थिर, जल्द घटाव की उम्मीद
वाराणसी में फिलहाल गंगा का जलस्तर स्थिर है, लेकिन इसमें वृद्धि रुक गई है, जिससे लोगों को बड़ी राहत मिली है। यहां गंगा का जलस्तर इस समय 72.22 मीटर है, जो कि खतरे के निशान से करीब एक मीटर ऊपर है। अनुमान है कि मंगलवार देर रात या बुधवार से जलस्तर में गिरावट देखने को मिल सकती है।
प्रयागराज में स्थिति अब भी गंभीर
पूरे यूपी में बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित जिला प्रयागराज है। यहां करीब पांच लाख की आबादी बाढ़ की चपेट में है। गंगा-यमुना के संगम क्षेत्र से लेकर कई निचले मोहल्ले जलमग्न हो चुके हैं। प्रशासन ने सात अगस्त तक कक्षा 12 तक के सभी स्कूल बंद कर दिए हैं ताकि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
हालांकि जलस्तर में घटाव राहत लेकर आया है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि संकट अभी पूरी तरह टला नहीं है। बारिश की स्थिति और पहाड़ों से आने वाले पानी पर नजर बनाए रखना जरूरी है।

