
BHU: PhD प्रवेश पर यूजीसी ने लगाई रोक, रजिस्ट्रार दिल्ली तलब
UGC ने मामले की जांच के लिए गठित की कमेटी




पीएचडी प्रवेश प्रकिया पर लगातार उठ रहे थे सवाल, लगाये गये थे गंभीर आरोप
आंदोलनों के बाद जागता रहा बीएचयू प्रशासन, अब यूजीसी भी जागा
वाराणसी, भदैनी मिरर। BHU में PHD प्रवेश के मामलों में उठ रहे सवालों के बाद यूजीसी ने बीएचयू की पीएचडी प्रवेश पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही जांच और यूजीसी रेगुलेशन के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए एक कमेटी भी गठित कर दी है। बताया जा रहा है कि कार्यवाहक कुलपति और रजिस्ट्रार को बातचीत के लिए दिल्ली बुलाया गया है। यूजीसी की ओर से सचिव मनीष आर. जोशी ने सोमवार को एक पत्र जारी कर कहा कि बीएचयू में पीएचडी प्रवेश से संबंधित कई मामले और विषमताएं संज्ञान में आई हैं।

विश्वविद्यालयों को पहले अवगत कराया गया है कि पीएचडी डिग्री देने के लिए न्यूनतम मानक और प्रक्रिया विनियम, 2022 के अनुसार ही चलना होगा। पीएचडी कार्यक्रमों में छात्रों को प्रवेश देना और पीएचडी डिग्री देना जरूरी है। ऐसी स्थिति में बीएचयू में शोध प्रवेश से संबंधित मुद्दों की जांच की जाएगी। बीएचयू को निर्देशित किया जाता है कि जब तक समिति की ओर से रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं कर दी जाती और जांच अधिकारी कोई फैसला नहीं ले लेते तब तक विश्वविद्यालय में सत्र 2024-25 के लिए पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया पर कोई भी अगली कार्रवाई न की जाय।


बीएचयू प्रशासन पर लगते रहे गंभीर आरोप
गौरतलब है कि बीएचयू पीएचडी में प्रवेश को लेकर स्थानीय स्तर पर मनमानी के तमाम आरोप सामने आये है। अभी पिछले दिनों एडमिशन से वंचित किये गये दलित छात्र शिवम सोनकर ने अनशन किया था। 14 दिन के बाद विश्वविद्यालय की नींद खुली और उसे एडमिशन दिया। इसके बाद बलिया की रहनेवाली छात्रा को भी अपने एडमिशन के लिए नौ दिन धरना देना पड़ा। तमाम राजनीतिक और समाजिक संगठनों के शोर शराबे के बाद उसका भी एडमिशन हो सका। इसको लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन के लोगों पर गंभीर आरोप लगाये गये। कहना पड़ेगा कि ऐसे तमाम मामले मीडिया की सुर्खियों में आते रहे। इसके बाद यूजीसी की भी नींद खुल गई और उसे रोक लगाने पर मजबूर होना पड़ा।


