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महानगरों से आने वाली ट्रेनें ठसाठस, त्योहार स्पेशल गाड़ियों में भी नहीं मिल पा रही बैठने की जगह

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वाराणसी। होली करीब आते ‘परदेशियों’ की आमद तेज हो गई है। कैंट, बनारस व वाराणसी सिटी स्टेशनों से गुजरने वाली ट्रेनों के कोचों में तिल रखने की जगह नहीं है। फाग गीत गाती महिला यात्री माहौल को होलीमय कर रही हैं। होली स्पेशल ट्रेनों का भी यही हाल है। दिल्ली, मुम्बई, सूरत, अहमदाबाद, कोलकाता समेत अन्य बड़े शहरों से आने वाली ट्रेनों में भीड़ इस कदर है कि अन्य यात्री ट्रेनों में सवार नहीं हो पाते हैं। नतीजा उनके पास दूसरी ट्रेनों का इंतजार या फिर बसों का विकल्प बचता है। दिल्ली से आने वाली श्रमजीवी, शिवगंगा, काशी विश्वनाथ, स्वतंत्रता सेनानी, बनारस-दिल्ली सुपरफास्ट, फरक्का, सद्भावना, मुम्बई से आने वाली पवन, महानगरी, काशी-दादर, रत्नागिरी, कोलकाता से आने वाली दून, विभूति और अहमदाबाद से आने वाली साबरमती समेत अन्य ट्रेनों में यही स्थिति है। हालांकि उत्तर रेलवे और पूर्वोत्तर रेलवे ने होली पर विशेष ट्रेनें चलाई हैं लेकिन इन गाड़ियों में भी ठसाठस भीड़ है।

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ट्रेनों पर रंग फेंकने पर होगी कार्रवाई
होली के दौरान ट्रेनों और रेलवे स्टेशन पर असुविधा फैलाने वाली गतिविधियों को रोकने के लिए रेलवे प्रशासन सतर्क हो गया है। विशेष रूप से चलती ट्रेनों पर रंग फेंकने और स्टेशन परिसर में रील बनाने जैसी घटनाओं पर आरपीएफ (रेलवे सुरक्षा बल) और जीआरपी ने निगरानी तेज कर दी है। ऐसा करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। रेलवे कंट्रोल रूम से स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है ताकि किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके और यात्रियों की यात्रा सुगम और सुरक्षित बनी रहे।
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