काशी में तिब्बत-कैलाश मानसरोवर अधिवेशन: रक्षा मंत्री डोल्मा गायरी ने बताया - कैलाश मानसरोवर की मुक्ति से तिब्बत की मुक्ति का मार्ग प्रशस्त
SDTFA राष्ट्रीय अधिवेशन में तिब्बत की रक्षा मंत्री डोल्मा गायरी ने भावुक होते हुए भारत में कैलाश मानसरोवर यात्रा और तिब्बत की स्वतंत्रता पर चर्चा की
वाराणसी, भदैनी मिरर। काशी में आयोजित SDTFA (Shivdham Kailash Mansarovar Tibet Freedom Association) के राष्ट्रीय अधिवेशन में तिब्बत की रक्षा मंत्री डोल्मा गायरी ने भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने कैलाश मानसरोवर यात्रा और तिब्बत की मुक्ति को लेकर भावुक भाषण दिया और कहा कि कैलाश मानसरोवर की मुक्ति से तिब्बत की मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होगा।



रक्षा मंत्री ने मंच पर आंसू के साथ बताया कि तिब्बतियों का दर्द गहरा है। उन्होंने कहा, “स्वतंत्रता क्या होती है? हम जैसे लोग जिनका अपना देश नहीं होता यह हम जानते हैं।” उन्होंने कश्मीर और कन्याकुमारी की यात्रा का उदाहरण देते हुए कहा कि वे भी चाहती हैं कि अपने माता-पिता के घर जाएं और कैलाश मानसरोवर बिना रोक-टोक के जा सकें।

डोल्मा गायरी ने यह भी कहा कि पिछले कई सालों में चीन के साथ वार्ता जारी रही है। भारत और तिब्बत के नौजवान भी इस मुक्ति अभियान में जागरूक हैं और युवाओं की आशा को यह नई दिशा दे रहा है।

अधिवेशन में मुख्य बातें
- डोल्मा गायरी ने कैलाश मानसरोवर की मुक्ति के उद्देश्य को सराहा और कहा कि यह तिब्बत की स्वतंत्रता की दिशा में निर्णायक कदम होगा।
- उन्होंने बताया कि 1959 में दलाई लामा के भारत आने के समय तिब्बत की जनसंख्या 6 मिलियन थी, जिसमें से केवल 60 से 80 हजार लोग निर्वासित होकर भारत पहुंचे।
- नॉन-वॉयलेंस प्रोटेस्ट और बाहरी आंदोलन के माध्यम से यह मुक्ति अभियान जारी है।
डेलीगेट्स और विशिष्ट अतिथि
अधिवेशन में यूपी समेत विभिन्न प्रदेशों से डेलीगेट्स शामिल हुए, जिन्होंने इस आंदोलन के लिए टीम बनाई।
विशिष्ट अतिथियों में प्रोफेसर जंपा समतेन (तिब्बत शिक्षा संस्थान), प्रोफेसर विजय कौल (महात्मा गांधी विश्वविद्यालय), संजय सिंह बबलू (भारतीय कुश्ती संघ अध्यक्ष), रितिका दुबे (माध्यमिक शिक्षक संघ उपाध्यक्ष), वी.डी.ए मेंबर अम्बरीश सिंह भोला, बीएचयू शिक्षक डॉ. धीरेंद्र राय, शिक्षाविद पूजा दीक्षित, सुमित सिंह, प्रो. ओमप्रकाश सिंह शामिल थे।

राष्ट्रीय संयोजक मानवेन्द्र सिंह मानव ने कहा कि इस अधिवेशन से मुक्ति यात्रा का निर्णायक कदम तय होगा और यह कार्यक्रम अंतरराष्ट्रीय समुदाय से समर्थन जुटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
अधिवेशन का महत्व
- यह कार्यक्रम केवल उपस्थिति नहीं, बल्कि भारत-तिब्बत सांस्कृतिक-आध्यात्मिक एकता और तिब्बत की स्वतंत्रता के संकल्प का प्रतीक है।
- कैलाश मानसरोवर-तिब्बत मुक्ति जनआंदोलन को अंतरराष्ट्रीय मंच पर मजबूती देने के लिए यह कदम रणनीतिक माना जा रहा है।
- रक्षा मंत्री की उपस्थिति से आंदोलन को वैचारिक शक्ति मिली और भारत-तिब्बत सांस्कृतिक धरोहर के साझा सरोकार मजबूत हुए।
