
नोएडा, दिल्ली में निजी कम्पनियों का लाइसेंस खत्म करने को अमादा है बीजेपी सरकार, यूपी में कर रही वकालत
यूपी मेंं बिजली के निजीकरण के खिलाफ बिजलीकर्मियों का जन जागरण अभियान जारी




जनप्रतिनिधियों ने कहाकि हमारी सुविधाएं छीन लेंगी निजी कम्पनियां, उन्हें चाहिए अपना फायदा
कहा-निजीकरण से लाभ होना है तो महापंचायत में आकर बोले उर्जामंत्री
वाराणसी, भदैनी मिरर। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले चल रहे जनजागरण अभियान के तहत शुक्रवार को कज्जाकपुरा स्थित बिजली कार्यालय में कर्मचारियों की सभा हुई। इसमें बड़ी संख्या में बिजलीकर्मी, पार्षदगण, बुनकर नेता,जनप्रतिनिधि एवं क्षेत्रीय जनता शामिल हुए। सबने कहाकि बिजली का निजीकरण को बिल्कुल जनहित में नही है। उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि निजी घरानों को लाभान्वित करने के लिए किये जा रहे निजीकरण के प्रस्ताव को निरस्त कराएं। अब कल
संघर्ष समिति के लोग जनजागरण सभा के स्थान पर शहर के जनप्रतिनिधियों से मिलकर उनसे बिजली के निजीकरण से होने वाले हानियों को बताते हुए प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को पत्र लिखने की अपील करेंगे।


सभा में कोनिया के पार्षद शिवप्रकाश मौर्य ने बिजली के निजीकरण को गलत बताया और कहा कि वर्तमान व्यवस्था में सुधार सरकार भी कर सकती है। सरकारी कर्मचारियों ने यह करके दिखाया है। पहले बिजली के लिए हमें धरना देना पड़ता था और अब 22-24घण्टे बिजली मिल रही है। इसलिए हमलोग इस प्रस्ताव को निरस्त कराने हेतु अपना पक्ष जरूर रखेंगे। पार्षद जलालीपुरा हाजी वकास ने कहा कि बिजली के निजीकरण से आमजनमानस को बहुत परेशानी होगी, क्योंकि कोई प्राइवेट कंपनी वेलफेयर का काम नही करने वाली। बल्कि महंगे दर पर बिजली बेचकर आमजनमानस का शोषण करेगी। पार्षद अलईपुरा इम्तियाजुदिन ने कहा कि हमलोगों का क्षेत्र बुनकर बाहुल्य क्षेत्र है, यहां जो भी निजी कम्पनी आएगी वह हमारी सब्सिडी को खत्म कर देगी। वह अपना व्यापार को बढ़ाने के लिए जनता का दोहन करेगी। साथ ही कहा कि बिजलीकर्मी जब भी आवाज देंगे हमलोग उनके समर्थन में उपस्थित रहेंगे।


सपा नेता जावेद अख्तर अंसारी ने कहा कि बिजली के निजीकरण का नुकसान हमलोग अच्छी तरह से जानते हैं। इसलिए जनता को जागरूक करने के साथ हमलोग बिजलिकर्मियो के हर आंदोलन को पूरी क्षमता के साथ लड़ेंगे। ई. नरेंद्र वर्मा ने कहा कि निजीकरण के विरोध में 22 जून को लखनऊ में होने वाली बिजली महापंचायत में प्रदेश के ऊर्जा मंत्री और पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन को बुलाने का निर्णय लिया गया है। महापंचायत में किसानों, आम उपभोक्ताओं और सामाजिक संगठनों के राष्ट्रीय नेता सम्मिलित होंगे। ऊर्जा मंत्री द्वारा निजीकरण के पक्ष में कल दिये गये बयान से बिजलीकर्मियों में भारी गुस्सा है। संघर्ष समिति के आह्वान पर आज लगातार 198वें दिन प्रान्तव्यापी विरोध प्रदर्शन जारी रहा।ई. विजय सिंह ने कहा कि उप्र ने ऊर्जा मंत्री अरविन्द कुमार शर्मा द्वारा निजीकरण के पक्ष में दिये गये बयान की संघर्ष समिति निंदा करती है। कहाकि लखनऊ में आयोजित बिजली महापंचायत में ऊर्जा मंत्री आकर बिजलीकर्मियों, किसानों और उपभोक्ताओं को बिजली के निजीकरण का लाभ समझाये तो बेहतर होगा। जमुना पाल ने कहा कि आरडीएसएस योजना के अन्तर्गत 44 हजार करोड़ रूपये खर्च करने के बाद जब प्रदेश की बिजली व्यवस्था सुदृढ़ हो गयी है तब सरकारी पैसे से बिजली व्यवस्था सुधार कर निजी घरानों को देना किस सुधार प्रक्रिया का हिस्सा है। कहा कि सरकारी क्षेत्र में घाटे की परवाह न करते हुए किसानों और ग्रामीण क्षेत्रों में इस भीषण गर्मी में बिजलीकर्मी रिकॉर्ड बिजली आपूर्ति कर रहे हैं। ऊर्जा मंत्री आये दिन इसका श्रेय भी ले रहे हैं किन्तु वकालत निजी घरानों की कर रहे हैं।

आगरा में पॉवर कारपोरेशन को सालाना 274 करोड़ रूपये का हो रहा घाटा
प्रशांत कुमार ने ऊर्जा मंत्री के वक्तव्य पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि आगरा में जब 01 अप्रैल 2010 को बिजली व्यवस्था टोरेंट पॉवर कम्पनी को सौंपी गयी थी, तब पावर कारपोरेशन का 2200 करोड़ रूपये का उपभोक्ताओं पर बकाया था। इस 2200 करोड़ रूपये को टोरेंट पॉवर कम्पनी को एकत्र कर पॉवर कारपोरेशन को देना था। पॉवर कारपोरेशन इसके एवज में टोरेंट पॉवर कम्पनी को 10 प्रतिशत प्रोत्साहन धनराशि देती। आज 15 वर्ष से अधिक व्यतीत हो गया है किन्तु टोरेंट पॉवर कम्पनी ने इस 2200 करोड़ रूपये के बकाये का एक पैसा भी पॉवर कारपोरेशन को नहीं दिया है। इसके अतिरिक्त पॉवर कारपोरेशन रूपये 5.55 प्रति यूनिट की दर पर बिजली खरीद कर रूपये 4.36 प्रति यूनिट की दर पर टोरेंट पॉवर कम्पनी को देती है। इस प्रकार 1 वर्ष में लगभग 2300 मिलियन यूनिट बिजली आपूर्ति करने में पॉवर कारपोरेशन को सालाना 274 करोड़ रूपये का घाटा हो रहा है। विगत 15 वर्ष में यह घाटा 2500 करोड़ रूपये से अधिक का हो चुका है। प्रदेश के ऊर्जा मंत्री इसे उपलब्धि मानते हैं तो उन्हें बताना चाहिए कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण से और कितना घाटा होने वाला है। समिति ने कहा कि ग्रेटर नोएडा में नोएडा पॉवर कम्पनी लि. 1993 से काम कर रही है। नोएडा पॉवर कम्पनी लि. के रवैये से किसान और आम उपभोक्ता काफी नाराज हैं। स्वयं उप्र सरकार नोएडा पॉवर कम्पनी लि. का लाईसेंस समाप्त कराने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में मुकदमा लड़ रही है। संघर्ष समिति ने ऊर्जा मंत्री से सवाल पूछा कि यदि ग्रेटर नोएडा में निजी कम्पनी इतना अच्छा काम कर रही है तो उप्र सरकार उसका लाईसेंस समाप्त कराने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में क्यों मुकदमा लड़ रही है।
तब दिल्ली की निजी कम्पनियों पर कार्यवाही क्यों करने जा रही सरकार
वक्ताओं ने कहाकि उन्हें पता चला है कि दिल्ली में 53 लाख घरों में बिजली आपूर्ति करने वाले निजी कम्पनियों बीएसईएस राजधानी पॉवर लि. एवं बीएसईएस यमुना पॉवर लि. का लाईसेंस निरस्त कराने के लिए दिल्ली की भाजपा सरकार कार्यवाही करने जा रही है। सरकार का यह कहना है कि बीएसईएस की कम्पनियों पर सरकारी विभागों का 25 हजार करोड़ रूपये से अधिक का बकाया हो गया है, जिसमें प्रगति पॉवर कारपोरेशन लि. का 15 हजार करोड़ रूपये आईपीजीसीएल का 5400 करोड़ रूपये और दिल्ली ट्रांस्को का 5000 करोड़ रूपये बकाया है। कहा कि एक ओर दिल्ली की भाजपा सरकार पूर्णतया विफल रहने के बाद दिल्ली में निजी बिजली कम्पनियों का लाईसेंस निरस्त कराने जा रही है वहीं ऊर्जा मंत्री प्रदेश के 42 जनपदों की बिजली व्यवस्था सरकारी क्षेत्र से छीनकर निजी कम्पनियां को देने की वकालत कर रहे हैं।
सभा को ई. सतेंद्र सुमन, ई. संजय, प्रशांत कुमार,मनोज यादव, राजेश सिंह, पंकज यादव, बृजेश यादव,संजय कुमार, ई. विनोद कुमार, ई. हरिप्रसाद पाल, ई. अमेरिका यादव, मनोज जायसवाल, रमेश यादव, अमित सिंह आदि ने संबोधित किया। सभा की अध्यक्षता ई. उपेन्द्र कुमार और संचालन अंकुर पाण्डेय ने किया।

