वाराणसी में टैक्स विवाद भड़का: संत समाज की चेतावनी-‘जल-सीवर टैक्स वापस लो, वरना भूख हड़ताल करेंगे’
नगर निगम पर भेदभाव का आरोप; संत बोले-मठ-मंदिरों पर टैक्स, मस्जिदों पर छूट क्यों? आंदोलन की तैयारी तेज
वाराणसी, भदैनी मिरर। काशी में नगर निगम द्वारा मठों और मंदिरों को जलकर और सीवर टैक्स के नोटिस जारी किए जाने के बाद संत समाज भड़क उठा है। संतों ने नगर निगम पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए टैक्स वापस लेने की मांग की है। चेतावनी दी गई है कि यदि टैक्स वापस नहीं लिया गया, तो शांतिपूर्ण विरोध, भूख हड़ताल और इससे बड़ा आंदोलन शुरू होगा। टैक्स विवाद को लेकर संतों ने पातालपुरी मठ में बैठक की और नगर-निगम के विरुद्ध जमकर नारेबाजी की।



विवाद तब और बढ़ गया जब निगम ने हाउस टैक्स में छूट तो दी, लेकिन जलकर और सीवर टैक्स को अनिवार्य बताया। इससे संत समाज नाराज है और इसे ‘जजिया टैक्स’ बताते हुए खुलकर विरोध कर रहा है।
क्यों बढ़ा विवाद?
संत समाज के अनुसार नगर निगम ने मठों और मंदिरों को बकाया जल-सीवर टैक्स के लिए कुर्की नोटिस भेजे हैं। संतों का कहना है कि धार्मिक संस्थानों का कोई आय स्रोत नहीं होता-ये दान और भिक्षा के आधार पर चलते हैं, जहां भंडारा, छात्रों की शिक्षा और धर्मसेवा होती है। ऐसे में टैक्स लगाना अनुचित है।
संत समाज का यह भी आरोप है कि मस्जिदों पर टैक्स नहीं लगाया जा रहा, जबकि हिंदू धार्मिक संस्थानों पर दबाव डाला जा रहा है। इसे संतों ने भेदभावपूर्ण बताया है।

बालक देवाचार्य ने जताई नाराजगी
जगतगुरु बालक देवाचार्य ने कहा कि यदि टैक्स वापस नहीं लिया गया तो संत समाज बड़ा आंदोलन खड़ा करेगा, और जरूरत पड़ने पर भूखे रहकर भी विरोध जारी रखेगा। उन्होंने कहा-“हमने अपनी बात रख दी है। निगम ने मनाही की तो आंदोलन होगा। अगर फिर भी नहीं माना, तो हम आत्मदाह तक के लिए मजबूर हो जाएंगे।”

उन्होंने दावा किया कि नोटिसों का विरोध शुरू होते ही निगम नोटिस रोकने लगा है, लेकिन अभी तक न तो लिखित आश्वासन मिला है और न कोई अफसर वार्ता के लिए सामने आया।
बालक देवाचार्य ने बताया कि नोटिस के विरोध में काशी सहित देशभर के संतों को पत्र भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, जिससे आंदोलन का दायरा और बड़ा होगा।
संत समाज हुआ एकजुट
मठ–मंदिरों पर टैक्स के खिलाफ हुई बैठक में कई संतों ने कहा कि काशी, अयोध्या और वृंदावन से संत समाज एक मंच पर आकर बड़ा विरोध दर्ज करेगा।
एक संत ने कहा-“हम पर कुर्की और ध्वस्तीकरण का आदेश आ रहा है। संत समाज इसे स्वीकार नहीं करेगा। जब मस्जिदों को टैक्स से छूट है, तो मंदिरों और आश्रमों पर टैक्स क्यों?”
संतों का कहना है कि धार्मिक और सामाजिक सेवाओं के कारण मठ–मंदिरों को टैक्स के दायरे से बाहर किया जाना चाहिए।
क्या चाहता है संत समाज?
- जलकर और सीवर टैक्स पूरी तरह वापस लिया जाए
- नगर निगम लिखित में टैक्स छूट दे
- धार्मिक संस्थाओं की पहचान के अनुसार नीति बने
- संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई हो
फिलहाल नगर निगम की ओर से इस मामले में कोई विस्तृत प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, लेकिन विरोध की तीव्रता बढ़ती देख आगे कानूनी और सामाजिक टकराव की आशंका बढ़ गई है।
