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बढ़ी मुश्किलें : स्वामी प्रसाद मौर्य की श्रीरामचरित मानस पर विवादित टिप्पणी की निचली अदालत में होगी सुनवाई

विशेष न्यायाधीश एमपी/एमलए कोर्ट यजुवेंद्र विक्रम सिंह की अदालत ने दिया आदेश

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इससे पहले इससे सम्बंधित प्रार्थना पत्र को निचली अदालत ने कर दिया था खारिज

वाराणसी, भदैनी मिरर। भाजपा सरकार में पूर्व मंत्री रहे, भाजपा और सपा से निकलने के बाद अपना कुनबा सम्भाल रहे स्वामी प्रसाद मौर्य की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। वर्ष 2023 में श्रीरामचरित मानस पर उनके द्वारा दिये गये बयान के खिलाफ दखिल याचिका में विशेष न्यायाधीश एमपी/एमलए कोर्ट यजुवेंद्र विक्रम सिंह की अदालत ने आदेश दिया है। विशेष न्यायाधीश की कोर्ट ने निचली अदालत को आदेश दिया कि पुनः मामले की सुनवाई कर विधिपूर्वक निर्णय करें।

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स्वामी प्रसाद मौर्य ने इंटरव्यू में दिया था बयान

प्रकरण के अनुसार 22 जनवरी 2023 को पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा एक इंटरव्यू में श्रीरामचरित मानस पर आपत्तिजनक बयान दिया गया,जिसमें पत्रकार द्वारा पूछा गया कि श्री तुलसी दास के रामायण करोड़ों हिन्दुओं के आस्था का एक ग्रन्थ है व इसका घरों में मानस पाठ होता है, आपको नहीं लगता है कि आपके इस बयान से करोड़ों हिंदू नाराज होंगे। इस पर स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि इसे मैं और कोई करोड़ों हिंदू नहीं पढ़ते हैं, सब बकवास है, तुलसीदास जी अपनी प्रसन्नता के लिए इसे लिखा है। फिर पत्रकार द्वारा पूछा गया कि आप क्या चाहते हैं ? तो स्वामी प्रसाद मौर्य  ने कहा कि इसमें आपत्तिजनक शब्द को हटा दे या रामचरित्र पुस्तक को पूरी तरह बैन कर दिया जाना चाहिए। इस खबर को 22 और 23 जनवरी 2023 को सभी मीडिया चैनल व समाचार पत्रों में दिखाया व प्रकाशित किया गया। 

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इस खबर को प्रार्थी अधिवक्ता अशोक कुमार एडवोकेट ने बनारस बार एसोशिएशन के सभागार में लगे टीवी पर देखा और उससे आहत हुए । इसके बाद उन्होंने 24 जनवरी 2023 को वाराणसी पुलिस कमिश्नर के यहां लिखित शिकायत की। इसके बाद एसीजेएम प्रथम/एमपीएमलए कोर्ट की अदालत में धारा 156(3) के तहत प्रार्थना पत्र दिया। बाद में इस प्रार्थना पत्र को अदालत ने 17 अक्टूबर 2023 को खारिज कर दिया। इस आदेश से क्षुब्ध अधिवक्ता अशोक कुमार ने जिला जज वाराणसी की अदालत में आपराधिक रिवीजन दाखिल किया। 

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जिला जज की अदालत ने स्थानांतरिक हुआ था मामला

इस अदालत से स्थानांतरित होकर यह मामला विशेष न्यायाधीश एमपी/एमलए कोर्ट यजुवेंद्र विक्रम सिंह की अदालत में पहुंचा। यहां विपक्षी स्वामी प्रसाद मौर्य की तरफ से लिखित आपत्ति दाखिल की गई। अधिवक्ता अशोक कुमार जाटव की तरफ से अधिवक्ता नदीम अहमद खान, मनोज कुमार, विवेक कुमार, नाजिया सिद्दकी ने बहस किया और अपना पक्ष रखा। अदालत ने दोनों पक्षों को सुनकर पत्रावली व साक्ष्य का परिशीलन कर 9 मई को निचली अदालत के आदेश को अपास्त करते हुए निचले अदालत को आदेश दिया कि पुनः सुनकर विधिपूर्वक निर्णय करें। अदालत के इस निर्णय के बाद पूर्व मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य को फिलहाल राहत मिलती नही दिखाई दे रही है।

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