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सुप्रीम कोर्ट ने बेटी के यौन उत्पीड़न के आरोपित डाक्टर को कहा-विकृत लोग सजा माफी के हकदार नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने डाक्टर की याचिका की खारिज, पीठ ने कहा-व्यक्ति शराब के नशे में राक्षस बन जाता है

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वाराणसी के विशेष न्यायाधीश ने सुनाई थी सजा

नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने वाराणसी की रहनेवाली सात साल की बेटी के यौन उत्पीड़न के आरोपित डॉक्टर को राहत देने से साफ इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टर की याचिका खारिज करते हुए यहां तक कह दिया कि विकृत लोग सजा माफी के हकदार नहीं हैं। पीठ ने बहुत कड़ी टिप्पणी की और कहा कि ’तुम अपनी बेटी के साथ ऐसा कैसे कर सकते हो। बच्ची भी अपने पिता के खिलाफ गवाही क्यों देगी। वह एक छोटी बच्ची है, जो बार-बार पूछने के बाद भी अपने बयान पर कायम रही। व्यक्ति शराब के नशे में राक्षस बन जाता है।

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आपको बता दें कि आरोपित डॉक्टर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सजा माफ करने की अपील की थी। डॉक्टर का तर्क है कि उसकी बेटी को सिखाया गया था और उसने झूठी गवाही दी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसके इस तर्क को खारिज कर दिया। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने कहा कि ’आरोपी डॉक्टर को निचली अदालत ने दोषी माना है। ऐसे में उसे सजा माफी नहीं दी जा सकती। पीठ ने कहा कि बच्ची के साथ तुमने किया है कि तुम राहत पाने के अधिकारी नहीं हो। बच्चे ने खुद बयान दिया है। वह एक विकृत व्यक्ति है और वह सजा माफी का हकदार नहीं है।

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वह छोटी बच्ची है, उसे जिरह झेलनी पड़ी

पीठ ने आगे कहाकि तुम अपनी बेटी के साथ ऐसा कैस कर सकते हो। बच्ची भी अपने पिता के खिलाफ गवाही क्यों देगी। वह छोटी बच्ची है, जिसने जिरह झेली है और जो बार-बार पूछने के बाद भी अपने बयान पर कायम रही। हमें ये बात नहीं कहनी चाहिए, लेकिन हम बहुत उदार पीठ हैं और अगर हम जमानत नहीं दे रहे हैं तो इसकी कुछ वजह है। आरोपी के वकील ने दावा किया कि बच्ची को उसकी मां ने सिखाया है और मां के कहने पर बच्ची ने झूठी गवाही दी। हालांकि पीठ ने दलील मानने से इनकार कर दिया। 

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मां ने लंका थाने में दर्ज कराया था मुकदमा 

एफआईआर में पीड़ित बच्ची की मां ने पति पर बेटी के यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। दोनों का तलाक हो चुका है। महिला बेटी के साथ वाराणसी में रहती है और आरोपी डॉक्टर हल्द्वानी का रहनेवाला और वहां उसका नर्सिंग होम है। यह घटना 23 मार्च 2018 की है। इस मामले में मां ने लंका थाने में डाक्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। आरोपी डॉक्टर अपनी बेटी को लेकर हल्द्वानी गया था। 30 मार्च को डाक्टर ने अपनी पूर्व पत्नी को फोन कर कहाकि बेटी को ले जाओ। बाद में लड़की ने अपनी मां को बताया कि उसके पिता एक बुरे आदमी हैं और उन्होंने उसके साथ गलत व्यवहार किया है। इसके बाद महिला ने पूर्व  पति के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। स्थानीय कोर्ट में बेटी से सामूहिक दुष्कर्म के दोषी हल्द्वानी के कार्डियोलॉजिस्ट और उसके भाई को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। 

वाराणसी के विशेष न्यायाधीश ने सुनाई थी सजा

आपको बता दें कि पिछले 13 फरवरी 2025 को विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट तृतीय) विनोद कुमार की अदालत ने हल्द्वानी निवासी एक कार्डियोलाजिस्ट और उसके भाई को सात वर्षीय बेटी से सामूहिक दुष्कर्म का दोषी पाया था। कोर्ट ने दोनों भाइयों को आजीवन कारावास की सजा और दो लाख तीन हजार रुपये के जुर्माने से दंडित किया था। जुर्माने की धनराशि पीड़िता को देने का आदेश दिया था। अदालत ने कहा था कि पिता के ऊपर संतान की रक्षा का दायित्व होता है। पिता की भूमिका समाज में संतान के रक्षक की होती है। यदि रक्षक ही भक्षक बन जाएगा तो समाज में व्यक्तियों का रिश्तों से विश्वास उठ जाएगा। कार्डियोलॉजिस्ट का हल्द्वानी में नर्सिंगहोम है। उसका बड़ा भाई उसके नर्सिंगहोम की देखरेख करता था। पीड़िता की मां डॉक्टर हैं। उन्होंने लंका थाने में छह सितंबर 2019 को अपनी बेटी के साथ सामूहिक दुष्कर्म के आरोप में अपने पति और उसके बड़े भाई के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। पीड़िता की मां के अनुसार वह एक साल से अपनी सात वर्षीय बेटी के साथ अपने पिता के बीएचयू कैंपस स्थित घर रही थी।

23 मार्च 2018 को उनकी बेटी को उनका कार्डियोलॉजिस्ट पति अपने साथ हल्द्वानी ले गया। उनकी बेटी को उसका पति घर न ले जाकर हल्द्वानी स्थित अपने नर्सिंगहोम ले गया। उनकी बेटी अपने पिता के साथ रहने के दौरान फोन करने पर डरी-सहमी प्रतीत होती थी और बनारस आने को कहती थी। 30 मार्च 2018 को उनके पति ने फोन कर कहा कि अपनी बच्ची को ले जाओ, उसे अब नहीं रखूंगा। उनकी बेटी वापस ननिहाल आई तो बहुत डरी रहती थी और अचानक हाथ-पांव पटकने लगती थी। बहुत पूछने पर उसने एक दिन बताया कि उसके पिता उसके साथ अजनबी जैसा बर्ताव करते हुए बैड टच करते थे। एक दिन पापा और ताऊ कुछ पी रहे थे। कुछ देर बाद उसके पापा उसे एक वीडियो दिखाए। उसके ताऊ ने उसका हाथ पकड़ लिया और पिता ने निर्वस्त्र कर दिया। इसके बाद पिता ने उसके साथ दुष्कर्म किया। ऐसे ही एक दिन नौकरानी काम करने नहीं आई थी, उस दिन भी उसके पिता ने उसके साथ वही करतूत दोहराई। चीखने पर उसके पिता ने उसे बहुत मारा। मासूम बच्ची की मां ने कहा कि उनकी बेटी ने कहा है कि पापा बहुत गंदे हैं और वह अब कभी उनके पास नहीं जाएगी। दोनों अभियुक्तों के खिलाफ 12 गवाह परीक्षित कराए गए थे। 
 

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