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BHU ट्रामा सेंटर व सर सुंदरलाल अस्पताल के जिम्मेदारों के खिलाफ छात्रों ने निकाला मौन जुलूस

BHU सिंहद्वार से लंका चौराहा होता हुआ लौटा जुलूस, आंदोलनकारियों ने बाहों पर बांध रखी थी काली पट्टी

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छात्रों ने कहा-जबतक भ्रष्टाचार पर ठोस कार्रवाई नही होती, बाउंसरों को हटाया नही जाता तब तक जारी रहेगा आंदोलन 

वाराणसी, भदैनी मिरर। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के BHU ट्रामा सेंटर प्रभारी को बर्खास्त करने व हॉस्पिटल से बाउंसरों को हटाने के लिए व भ्रष्टाचार के विरोध में विद्यार्थियों, पूर्व छात्र नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं व नागरिकों ने रविवार को सिंह द्वार से रविदास गेट होकर मालवीय प्रतिमा तक विशाल मौन जुलूस निकाला। जुलूस में शामिल छात्रों के बैनर पर लिखा था ’क्षुब्ध हृदय है बंद जुबान’।  

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मौन जुलूस में शामिल छात्र अपने हाथों में नारों से लिखी तख्तियां लिए हुए थे। इन तख्तियों पर ’स्वास्थ्य है सबका अधिकार बंद करो इसका व्यापार’, ’ट्रामा सेंटर  में प्रशासनिक  गुंडई  बन्द करो’ ’चिकित्सक शिक्षक  का अपमान नही सहेगा छात्र नौजवान’ आदि प्रमुख नारे लिखे गये थे। रैली में पूर्वांचल के विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों के छात्र नौजवान इसमें शामिल हुए। छात्रों के मौन जुलूस देखने के लिए लंका से रविदास गेट तक के फुटपाथ के किनारे काफी देर तक नागरिक उत्सुकता से खड़े रहे। जुलूसका नेतृत्व कर रहे बीएचयू छात्र संघ के पूर्व उपाध्यक्ष डॉ. अरविंद शुक्ल ने किया।

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जुलूस निकालने से पहले हुई सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यह मरीज, गरीब, पीड़ित, शोषित के पक्ष में व प्रशासनिक दुर्व्यवस्था के विरोध में आक्रोश का प्रकटीकरण है। यह आंदोलन एक जन आंदोलन का शक्ल ले रहा है। आने वाले दिनों में इस आंदोलन के प्रभाव में स्वास्थ्य सुविधाओं में व्यापक बदलाव होगा। उन्होंने कहा कि ट्रॉमा सेंटर जो प्रधानमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट है उसकी छवि धूमिल करने वाले ताकतों का मुंह तोड़ जवाब दिया जाएगा। इस लड़ाई को समाज के हर वर्ग का समर्थन है। छात्र नेता मृत्युंजय तिवारी आज़ाद ने कहा कि ट्रामा सेण्टर के इंचार्ज को निलम्बित कर उच्च स्तरीय जांच के लिए यह आंदोलन क्रमिक चलता रहेगा।

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उन्होंने कहा कि चिकित्सालय में छात्रों, अध्यापकों और वरिष्ठ नागरिक को विशेष वरीयता देने के नियम बनाए जांय। छात्र नेता अभिषेक सिंह ने कहाकि काशी की जनता व नौजवानों के समर्थन से व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए इस आंदोलन को और व्यापक किया जाएगा। कहा कि मरीज मित्रवत अस्पताल बनाने की नीतियों का क्रियान्वयन किया जाय। चंद्रशेखर फाउंडेशन के अध्यक्ष हिमांशु सिंह ने इस शोषण के मामले में सरकार से दखल देने की मांग की। कहा कि जरूरत पड़ी तो यह आंदोलन दिल्ली जाकर सत्ता की गलियारों में दस्तक देगा। छात्र नेता अभय सिंह ने वाजिब कारवाई न होने पर आक्रामक आंदोलन की चेतावनी दी। कहा कि इस आंदोलन से समाज के सभी वर्ग धीरे-धीरे जुड़ रहे हैं। छात्रों, नौजवानों की व्यापक भागीदारी के लिए विश्वविद्यालय और महाविद्यालय में शीघ्र संपर्क किया जाएगा। उच्च न्यायालय के अधिवक्ता सौरव तिवारी ने कहा कि स्वास्थ्य के मौलिक अधिकार का हनन करना संविधान का उल्लंघन है। इस आंदोलन को पूर्व छात्र नेता नागेंद्र तिवारी बाबा, विजय सिंह, हृदयानंद, अरुण त्रिपाठी, पंकज पाठक, धर्मेंद्र सिंह आदि ने समर्थन दिया। जुलूस में नीलमणि सिंह, अश्वनी कुंवर, पुष्पेंद्र उत्कर्ष,रविभान, प्रफुल्ल पांडेय, दिव्यांश प्रिंस, सौरभ सिंह,शिवम पटेल, मनीष, हर्ष त्रिपाठी, श्रेयश, हिमांशु, रजत,मयंक, आशीष, सुजीत पासवान, शिवम सोनकर आदि रहे। 
 

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