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शिवपुर रामलीला: वाराणसी की सांस्कृतिक धरोहर में भक्ति और त्याग का अद्भुत मंचन

अवध सभा से वन प्रस्थान तक के प्रसंगों ने बांधा समां, भरत-राम संवाद ने भावुक किया दर्शकों को

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Shivpur Ramleela
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वाराणसी। काशी की पवित्र भूमि पर शिवपुर में आयोजित ऐतिहासिक रामलीला ने इस वर्ष भी भक्तों के हृदय को भक्ति और भावनाओं से भर दिया। फरारी बाबा आश्रम के निकट शिवपुर के प्राचीन रामलीला मैदान में मंचित लीलाओं ने हजारों श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
इस बार के मंचन में अवध सभा, वन प्रस्थान, निषादराज संवाद और भारद्वाज आश्रम में विश्राम जैसे हृदयस्पर्शी प्रसंग प्रस्तुत किए गए। सौ साल से अधिक पुरानी यह रामलीला वाराणसी की सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक परंपरा का जीवंत प्रतीक है।

भरत-राम संवाद ने बांधी श्रद्धा की डोर

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अवध सभा के प्रसंग में जब भरत ने राम से राजगद्दी स्वीकारने की विनती की और श्रीराम ने धर्म और मर्यादा का पालन करते हुए त्याग का मार्ग चुना, तो दर्शकों की आंखें नम हो गईं। सभा स्थल पर गहरा सन्नाटा छा गया और सभी भक्ति में डूब गए।
वन प्रस्थान और निषादराज संवाद बना आकर्षण
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चित्रकूट की पृष्ठभूमि पर मंचित वन प्रस्थान दृश्य में श्रीराम, सीता और लक्ष्मण के त्यागमय जीवन की झलक दिखी। वहीं गंगा तट पर निषादराज गुह का श्रीराम को नाव पार कराने का प्रसंग मित्रता, समर्पण और नैतिकता की मिसाल बनकर उभरा।
भारद्वाज आश्रम का जीवंत चित्रण
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मुनि भारद्वाज के स्वागत और श्रीराम के वनवास जीवन की शुरुआत को मंचित करता यह प्रसंग विशेष प्रभावों और कलाकारों के अभिनय से दर्शकों के मन में गहरी छाप छोड़ गया।
रामलीला समिति के सदस्य त्रिलोकी सेठ ने कहा कि “यह रामलीला केवल मंचन नहीं, बल्कि रामायण के मूल्यों—भक्ति, त्याग और धर्म—को जीवित रखने का संकल्प है।” वहीं दर्शकों में महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों ने भी इस मंचन की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
आयोजन को सफल बनाने में समिति के पदाधिकारियों के साथ-साथ वरिष्ठ मीडिया प्रभारी आनंद तिवारी, रवि प्रकाश बाजपेई (रिंकू) और वीरेंद्र पटेल का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
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