साझा संस्कृति मंच ने पहलगाम आतंकी हमले पर खड़े किये सवाल, मृतकों को दी श्रद्धांजलि
बड़ा सवाल : हजारों पर्यटकों के बीच क्यों नही था कोई सुरक्षाकर्मी




मौतों के बाद पीएम की बिहार में चुनावी रैली को लेकर उठाए सवाल
पूछा-पुलवामा हमले में मृत जवानों की जांच का क्या हुआ, पूर्व राज्यपाल की बात याद दिलाई
वाराणसी, भदैनी मिरर। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में दुस्साहसी आतंकी हमले को लेकर गुरूवार को सिगरा स्थित शहीद उद्यान में साझा संस्कृति मंच की ओर से श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। सभा में सर्व धर्म प्रार्थना के बाद मोमबत्ती मार्च निकालकर शांति सद्भाव के लिए अपील की गई। हमले में जान गंवाने वाले सभी लोगों को मौन धारण कर श्रद्धांजलि दी गयी और उनके परिवारों को शोक संवेदना अर्पित की गयी। सभा के माध्यम से बनारस के आम नागरिकों को संदेश दिया कि आतंकवाद के विरुद्ध पूरा देश एकजुट है। इस दुख की घड़ी में हम शोकाकुल परिवारों के साथ हैं।

28 लोगों की मौत पर शोक के माहौल में पीएम की चुनावी रैली
श्रद्धांजलि सभा में पीएम के बिहार के चुनावी रैली में होने पर आश्चर्य व्यक्त किया गया। कहा गया कि अट्ठाइस से ज्यादा लोगों की मौत के बाद आज बुलाई गई सर्वदलीय बैठक को पीएम मोदी को स्वयं होस्ट करना चाहिए था। जबकि इस बैठक को राजनाथ सिंह आहूत कर रहे हैं। इतने लोगों की मौत पर जहां लोगों में आक्रोश हैं। मृतकों के घर मातम पसरा है और घायलों के परिजन परेशान हैं, ऐसे में प्रधानमंत्री को चुनावी रैली जरूरी समझ में आयी। ऐसी संवेदनहीनता को लेकर सवाल उठने लाजमी है। वक्ताओं ने कहा कि हमारी सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था इतनी कमज़ोर है कि पाकिस्तान से आतंकवादी आते हैं और हमारे निर्दोष नागरिकों की हत्या कर आराम से अपने देश वापस चले जाते हैं। सवाल उठता है कि इंटेलिजेंस कहां है। कहाकि कश्मीर अभी केंद्र शासित प्रदेश है। मतलब वहां की सुरक्षा पूरी तरह केंद्र की ज़िम्मेदारी है। गृह मंत्री और उनका महकमा क्या कर रहा है?


आश्चर्य : हजारों पर्यटकों के बीच एक भी सुरक्षाकर्मी नही
वक्ताओं ने कहाकि दावा किया जाता है कि कश्मीर के चप्पे-चप्पे पर पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था है। हमले के समय उस पूरी घाटी में एक भी सुरक्षाकर्मी नहीं थे। जबकि हजारों पर्यटक वहां पर्यटन के लिए गये थे। यह बड़ा सवाल है। इसके अलावा उन्होंने नफरत के बदले मुहब्बत फैलाने और आतंक के बदले शांति का पैगाम फैलाने की जरूरत पर जोर दिया। कहाकि आतंकवादियों ने धर्म पूछ कर हत्या की। दहशत और धर्म का इस्तेमाल... उनके मकसद का एक हिस्सा है। इस घटना के बाद हमारे देश में मुख्य बहस धर्म पर है। धर्म पूछ कर मारा या नहीं, लेकिन जो कोई भी धर्म का इस्तेमाल अपने कुत्सित स्वार्थ के लिए कर रहा है वो इन आतंकवादियों के मकसद को और आगे बढ़ा रहा है।

धर्म को बहस के केंद्र में जानबूझ कर लाया गया
श्रद्धांजलि सभा में वक्ताओं ने कहाकि धर्म को बहस के केंद्र में जानबूझ कर लाया गया है। ताकि मूल सवाल बहस से गायब हो जाय। पुलवामा की जांच का अभी तक कुछ पता नहीं। इस घटना के जायज़ सवालों को भी गायब कर दिया जाएगा। घटना के तुरंत बाद छतीसगढ़ बीजेपी ने पोस्टर जारी किया.....“धर्म पूछकर मारा....जात पूछकर नहीं। उन्होंने कहाकि पूरा कश्मीर इस घटना का विरोध कर रहा है। जहां उनके लोग शहादत दिए वहीं उन्होंने अपनी जान हथेली पर रख कर पर्यटकों का इस मुश्किल घडी में साथ दिया। बताने की ज़रूरत नहीं की ज़्यादातर स्थानीय मददगार कश्मीरी मुसलमान हैं।
पूर्व राज्यपाल ने पुलवामा हमले को लेकर केंद्र सरकार लगाये थे आरोप
केंद्र सरकार की कश्मीर नीति सवालों के घेरे में है। पूर्व राज्यपाल सतपाल मालिक ने पुलवामा हमले को लेकर केंद्र सरकार पर एक तरह से आपराधिक जिम्मेदारी के आरोप लगाए हैं। उनके सवाल आजतक अनुत्तरित है। 400 किलो से ज्यादा आरडीएक्स कश्मीर की सड़क पर कैसे घूम रहा था, पता न करना मूल मुद्दे से ध्यान भटकाना है। सभा के बाद आतंकी घटना की निंदा करते हुए और शांति के पक्ष में नारे लिखे प्लेकार्ड लेकर मोमबत्ती लेकर मार्च निकाला गया।

