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पूर्व बीएसए जय सिंह सरकारी धन के गबन में फंसे, विजिलेंस ने दर्ज किया मुकदमा

वाराणसी: सरकारी जीप और ट्रैक्टर का गलत इस्तेमाल कर 3.58 लाख का लाभ पहुँचाने के आरोप, आय से अधिक संपत्ति मामले में पहले भी थे फंसे

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वाराणसी, भदैनी मिरर। 
वर्ष 2019-20 में जिले के बीएसए रहे जय सिंह एक नए मामले में विवादों में फंस गए हैं। उन्हें सरकारी धन के गबन के आरोप में दोषी पाया गया है। उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान, वाराणसी इकाई ने इस मामले में जय सिंह समेत कुल छह लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है।
जानकारी के अनुसार, पूर्व बीएसए पर आरोप है कि उन्होंने सरकारी जीप को कंडम घोषित किए बिना निजी वाहन को व्यावसायिक वाहन दर्शाकर बिना टेंडर या अनुबंध के अपने चहेते वाहन स्वामी राजेंद्र कुमार द्विवेदी को 2.30 लाख रुपये का लाभ पहुंचाया। इस काम में तत्कालीन सहायक वित्त एवं लेखाधिकारी सर्व शिक्षा अभियान, पवन कुमार वर्मा भी शामिल थे।
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विजिलेंस ने पाया कि 229 दिन के संचालन को 230 दिन अंकित किया गया, और प्रतिदिन 1,000 रुपये की दर से 2.30 लाख रुपये का सरकारी राजस्व का नुकसान हुआ।
इसी तरह, विभाग में एक ट्रैक्टर को परिवहन विभाग में कृषि कार्य के लिए पंजीकृत होने के बावजूद उसे महिंद्रा बोलेरो दिखाकर बिना किसी टेंडर या अनुबंध, सितम्बर 2019 से जनवरी 2020 तक सरकारी कार्य के लिए प्रयोग दिखाया गया, जिससे 1.28 लाख रुपये का गबन हुआ। इस मामले में जय सिंह के अलावा तत्कालीन सहायक वित्त एवं लेखाधिकारी अखिलेश सिंह और मो. इकबाल खान दोषी पाए गए।
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आय से अधिक संपत्ति का मामला
बीते अगस्त में उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान, वाराणसी इकाई ने जय सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति पाए जाने पर मुकदमा दर्ज किया था। जांच में सामने आया कि उनके पास 1 करोड़ 21 लाख 61 हजार 921 रुपये की संपत्ति थी, जबकि उन्होंने अपने लोक सेवक के रूप में कार्यकाल के दौरान केवल 1 करोड़ 05 लाख 61 हजार 334.5 रुपये अर्जित किए थे।
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इस दौरान जय सिंह की ओर से कुल 2 करोड़ 27 लाख 23 हजार 256 रुपये खर्च किए गए, जो उनके वैध आय स्रोतों से मेल नहीं खाते।
विजिलेंस ने अब सरकारी धन के दुरुपयोग और आय से अधिक संपत्ति के आधार पर जय सिंह और उनके सहयोगियों के खिलाफ गंभीर कार्रवाई की है।
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