
जीवन के अंतिम क्षण तक आंदोलनों में शामिल होते प्रोफेसर चौथी राम यादव
सछास ने मनाई प्रो. चौथीराम यादव की पुण्यतिथि और महात्मा बुद्ध जयंती




सयाजीराव गायकवाड केंद्रीय ग्रन्थालय परिसर में हुआ कार्यक्रम का आयोजन
वाराणसी, भदैनी मिरर। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के सयाजीराव गायकवाड केंद्रीय ग्रन्थालय परिसर में बीएचयू हिंदी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष लोकधर्मी चिंतक और लेखक प्रोफेसर चौथीराम यादव के प्रथम स्मृति दिवस पर समाजवादी छात्रसभा की बीएचयू इकाई की ओर से स्मृति कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसके साथ ही महात्मा बुद्ध की जयंती भी मनाई गई।


इस दौरान वक्ताओं ने उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला। शोध छात्र पंकज ने प्रोफेसर यादव के अध्यापन कौशल की चर्चा की और विभाग में उनके साथ हुई ज्यादतियों पर लोगों का ध्यान आकर्षित किया। बताया कि कैसे इतने प्रबुद्ध व्यक्तित्व को भी परेशान किया गया। शोध छात्रा रंजना ने बताया कि अध्यापन से मुक्त होने के बाद चौथीराम यादव जी ने स्त्री, दलित, और वंचितों पर जिस तरह से लिखना शुरू किया वो अपने आप में क्रांतिकारी कदम था। उन्होंने ब्राह्मणवादी मानसिकता से ग्रसित आलोचकों द्वारा दरकिनार किए गए कबीर, रैदास, जायसी, मीरा, नागार्जुन, रमाशंकर विद्रोही आदि को अपनी लेखनी के माध्यम से स्थापित करने का प्रयास किया।


शोध छात्र बलिराम प्रजापति ने जात- पात तोड़क मंडल से चर्चा शुरू करके वर्तमान तक दलित - पिछड़ों - आदिवासियों - स्त्रियों के साथ हो रहे शोषण पर प्रकाश डाला। शोध छात्र शिवम ने प्रोफेसर यादव द्वारा जीवन के अंतिम क्षण तक आंदोलनों में शामिल होते रहने और वाणी से नहीं कर्म से प्रगतिशील रहने पर उनकी प्रशंसा की। डॉ. नेमा यादव ने दूसरी परंपरा का अर्थ समझाया। अंकित सोनकर ने महात्मा बुद्ध की जयंती को इंगित करते हुए प्रोफेसर यादव की रचनाओं को याद किया। संचालन मारुति मानव ने और धन्यवाद ज्ञापन समाजवादी छात्रसभा बीएचयू इकाई के अध्यक्ष हिमांशु यादव ने किया। इस मौके पर निर्भय यादव, दीपक, अभिषेक, अंकित, आयुष मौर्या, प्रिंस पटेल, अभिनंदन गौड़, रोहित, संदीप प्रजापति, विश्वजीत मौर्या, किशन, मिलन, अनुभव आदि छात्र, छात्राएं रहीं।


