
निजीकरण के खिलाफ बिजलीकर्मियों ने मंत्री, विधायक व पार्षदों को सौंपा ज्ञापन
प्रबंधन के उत्पीड़न से तंग मथुरा के संविदाकर्मियों ने दिया सामूहिक इस्तीफा




आंदोलन के हो गये 150 दिन, प्रबंधन ने अबतक नही की वार्ता
प्रबंधन पर अशांति और टकराव का वातावरण बनाने का आरोप
वाराणसी, भदैनी मिरर। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति की ओर से बिजली के निजीकरण के विरोध में चल रहे आंदोलन के क्रम में शनिवार को संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने आयुष, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन राज्य मंत्री ( स्वतंत्र प्रभार ) दयाशंकर मिश्र और शहर दक्षिणी के विधायक नीलकंठ तिवारी के साथ ही पार्षदगण को ज्ञापन सौंपा। कर्मचारी नेताओं ने बिजली के निजीकरण की व्यवस्था जनहित में निरस्त कराने की अपील की। आंदोलनकारियों ने बताया कि निजीकरण के विरोध में पूरे प्रदेश में जन प्रतिनिधियों को ज्ञापन दो अभियान के तहत यह कार्यक्रम चलाया गया। पदाधिकारियों ने पावर कार्पोरेशन प्रबंधन पर ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अशांति और टकराव का वातावरण बनाने का आरोप लगाया है।

पार्षदों ने सीएम को भेजा है पत्र
मीडिया प्रभारी अंकुर पाण्डेय ने बताया कि फरजाना पार्षद काजिसदुल्लापुरा, अमित कुमार मौर्य पार्षद ढेलवरिया, बबलू शाह पार्षद काशी घसियारीटोला द्वारा मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर बिजली के निजीकरण की प्रक्रिया को निरस्त करने का अनुरोध किया। उन्होंने बिजली पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं को सरकारी क्षेत्र में रखने का भी अनुरोध किया है। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि निजीकरण के विरोध में शांतिपूर्वक ध्यान आकर्षण सभाएं और प्रदर्शन करते हुए 150 दिन हो गए हैं। पावर कार्पोरेशन प्रबंधन ने संघर्ष समिति से इस मामले में एक बार वार्ता तक करना जरूरी नहीं समझा। प्रबंधन उल्टे बिजली कर्मचारियों, संविदा कर्मियों और अभियंताओं का उत्पीड़न करने पर उतारू है। प्रबंधन के उत्पीड़न से परेशान होकर आज मथुरा के सभी संविदा कर्मियों ने सामूहिक त्यागपत्र दे दिया है।


ट्रांजैक्शन कंसलटेंट और प्रबंधन की मिलीभगत
समिति ने कहा कि प्रबंधन का अवैध ढंग से नियुक्त किए गए ट्रांजैक्शन कंसलटेंट के साथ मिलीभगत है। इसी कारण कंसल्टेंट का झूठा शपथ पत्र और सभी फर्जी दस्तावेज सामने आने के बावजूद प्रबंधन कंसल्टेंट की नियुक्ति को रद्द करना तो दूर इसी कंसल्टेंट के साथ मिलकर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के आरएफपी डॉक्यूमेंट तैयार करा रहा है।

प्रबंधक निदेशक पर अभियंताओं को धमकी का आरोप
संघर्ष समिति ने कहा कि प्रबंध निदेशक द्वारा बिजली अभियंताओं को धमकी दी जा रही है कि वे अपने घरों पर स्मार्ट मीटर लगवा लें। संघर्ष समिति ने कहा कि यह इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 का उल्लंघन है। बिजलीकर्मियों को रियायती बिजली की सुविधा एक्ट के जरिए मिल रही है। रियायती बिजली की सुविधा समाप्त करने के लिए स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं जिसका बिजलीकर्मी पुरजोर विरोध करेंगे।
कर्मचारियों पर थोपा जा रहा फेशियल अटेंडेंस, 28 से फिर होगा आंदोलन
इसी प्रकार 24 घंटे बिजली आपूर्ति के लिए जिम्मेदार बिजली कर्मचारियों पर फेशियल अटेंडेंस थोपा जा रहा है। अत्यंत अल्प वेतनभोगी संविदाकर्मियों के पास एंड्रॉयड फोन नहीं होता। ऐसे में एंड्रॉयड फोन के जरिए फेशियल अटेंडेंस सीधे-सीधे उत्पीड़न है। संघर्ष समिति ने कहा कि यह सब कार्यवाही निजीकरण के विरोध में चल रहे सफल आंदोलन से बौखला कर पावर कार्पोरेशन प्रबंधन कर रहा है। उन्होंने कहाकि पहलगाम की आतंकी घटना के बाद स्थगित किया गया विरोध सभाओं का क्रम 28 अप्रैल से पुनः शुरू होगा। प्रतिनिधि मंडल में ई. नरेंद्र वर्मा,जिउतलाल, वेदप्रकाश राय, संतोष वर्मा, मदन श्रीवास्तव, अंचल सोनी, प्रशांत कुमार, रविन्द्र वर्मा, आजाद बाबू, प्रदीप मौर्य, नागेंद्र, अरुण गुप्ता आदि रहे।

