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आपातकाल की 50वीं बरसी पर BHARAT में चित्र प्रदर्शनी, बोले वक्ता - देशवासी आपातकाल की विभीषिकाओं को नहीं भूल सके

शहीद पार्क, वाराणसी में सूचना विभाग द्वारा आयोजित चित्र प्रदर्शनी में आपातकाल के काले अध्याय को चित्रों और दस्तावेजों के माध्यम से दर्शाया गया

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चित्र प्रदर्शनी
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वाराणसी (भदैनी मिरर) । आज 25 जून को भारत के लोकतांत्रिक इतिहास के सबसे काले अध्याय—आपातकाल की 50वीं बरसी पर वाराणसी के शहीद पार्क में सूचना विभाग द्वारा एक वृहद चित्र प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। इसका उद्घाटन जिला पंचायत अध्यक्ष पूनम मौर्या एवं महापौर अशोक तिवारी ने फीता काटकर किया। यह प्रदर्शनी आम जनता के लिए पूर्वाह्न 11 बजे से सायं 8 बजे तक नि:शुल्क सुलभ रहेगी।
चित्र प्रदर्शनी
प्रदर्शनी में आपातकाल 1975–77 के दौरान घटित प्रमुख घटनाओं को 50 से अधिक चित्र किट्स के माध्यम से दर्शाया गया है। इन चित्रों में उस दौर के संवैधानिक संशोधन, मीडिया सेंसरशिप, राजनीतिक दमन, छात्र आंदोलनों, मौलिक अधिकारों के हनन, और शिक्षा व संस्कृति पर नियंत्रण को रेखांकित किया गया है।
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चित्र प्रदर्शनी
महापौर अशोक तिवारी ने कहा, "आपातकाल में संविधान की आत्मा को कुचला गया, संसद की आवाज दबाई गई और न्यायपालिका को नियंत्रित करने का प्रयास किया गया। 42वां संशोधन कांग्रेस की तानाशाही सोच का प्रतीक था।"
  1. प्रेस की स्वतंत्रता का दमन
  2. संसद और न्यायपालिका पर नियंत्रण
  3. नागरिक अधिकारों का हनन
  4. 38वां, 39वां, 40वां, 41वां, 42वां संशोधन के प्रभाव
  5. किशोर कुमार और अन्य कलाकारों पर प्रतिबंध
  6. स्कूली बच्चों की गिरफ्तारी
  7.  शिक्षा को राजनीतिक औजार बनाना
  8. इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा इंदिरा गांधी को दोषी ठहराया जाना
  9. मीडिया सेंसरशिप और अखबारों का खाली संपादकीय
कार्यक्रम में वक्ताओं ने जोर दिया कि सरकार लोकतंत्र की रक्षा और संविधान के मूल्यों को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। इस मौके पर कहा गया कि "देशवासी आपातकाल की विभीषिका को कभी नहीं भूल सकते और लोकतंत्र की रक्षा के लिए हमेशा सजग रहेंगे।"
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इस अवसर पर अपर जिलाधिकारी नगर आलोक कुमार वर्मा, सहायक निदेशक सूचना सुरेन्द्र पाल, अनेक सभासद, छात्र, बुद्धिजीवी, और नागरिक बड़ी संख्या में मौजूद रहे।
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