
संसदीय स्थायी समिति ने BHU से लगाई सवालों की झड़ी: ट्रॉमा सेंटर, नियुक्तियों और भ्रष्टाचार के मामलों पर विशेष फोकस
BHU ट्रॉमा सेंटर की कार्यप्रणाली पर संसदीय समिति सख्त, पूछे 10 प्रश्न




BHU के एसएस हॉस्पिटल की CCI लैब का निजीकरण सवालों के घेरे में
समिति ने पूछा- आखिर किस नियम से प्रोफेसर सौरभ सिंह तीन साल से ज्यादा समय से प्रभारी बने है?
9 सांसदों और 13 वरिष्ठ अधिकारियों की टीम के मुआयने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन से मांगा गया विस्तृत जवाब और दस्तावेज
वाराणसी,भदैनी मिरर डेस्क | बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में हाल ही में हुए संसदीय स्थायी समिति के निरीक्षण के बाद अब विश्वविद्यालय प्रशासन से जवाब तलब किए गए हैं। समिति ने 40 विन्दुओ पर 100 साल पूछे है। सवालों में नियुक्तियों, पदोन्नतियों, भ्रष्टाचार के प्रकरणों, आंतरिक विवादों, खासकर ट्रामा सेंटर प्रभारी पर लगये आरोपों और सीसीआई लैब के निजीकरण जैसे कई संवेदनशील मुद्दों पर दस्तावेजों सहित जवाब मांगा गया है।


गौरतलब है कि 1 जुलाई को राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह की अध्यक्षता में 9 सांसदों और 13 वरिष्ठ अधिकारियों का प्रतिनिधिमंडल BHU पहुंचा था। निरीक्षण के बाद केंद्रीय कार्यालय में हुई मैराथन बैठक में विश्वविद्यालय से कई अहम सवाल पूछे गए थे, जिन पर अब लिखित स्पष्टीकरण और दस्तावेज मांगे गए हैं।


इन सवालों में विशेष रूप से ट्रॉमा सेंटर से जुड़े 10 प्रश्न है, जिसमें ट्रामा सेंटर की व्यवस्थाओं, बजट, स्टाफिंग और सेवाओं की पारदर्शिता पर सवाल उठाए गए हैं। खासकर ट्रामा सेंटर प्रभारी के कार्यकाल को लेकर भी सवाल खड़े किये गए है।
कथित कंप्यूटर घोटाले पर भी जानकारी तलब की गई है। इसके आलावा विश्वविद्यालयों में नियुक्ति और पदोन्नति संबंधी मामलों पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है, जिसमें अस्थायी नियुक्तियों और उनके नियमितीकरण की योजना भी शामिल है। महिला आयोग के निर्देशों पर हुई कार्रवाई का ब्योरा भी मांगा गया है। एक उच्चाधिकारी की ब्रेक सर्विस नियमित करने और पेंशन स्वीकृति जैसे मामलों में नियमों की जानकारी तलब की गई है। SC, ST, OBC और जनरल कैटेगरी में रिक्त पदों की संख्या और विवरण भी मांगा गया है। इन सभी बिंदुओं पर प्राप्त जानकारी को मानसून सत्र के दौरान संसद में उठाया जा सकता है।

सवालों के घेरे में CCI लैब
BHU के सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल (SSH) में संचालित सीसीआई लैब (कार्डियक कैथीटेराइजेशन एवं इंटरवेंशन लैब) के निजीकरण पर अब संसदीय स्थायी समिति ने गहन सवाल उठाए हैं। समिति ने बीएचयू प्रशासन से इस उच्च-राजस्व वाली यूनिट को निजी हाथों में सौंपने के औचित्य, प्रक्रिया और प्रभाव से संबंधित विस्तृत जानकारी और दस्तावेज तलब किए हैं।
1. समिति ने यह पूछा है कि सीसीआई लैब किस निजी संस्था को आउटसोर्स की गई और चयन प्रक्रिया में किन मानकों का पालन किया गया।
2. समिति ने पूछा है कि जब यह सुविधा पहले से लोक सेवाओं के तहत बेहतर राजस्व उत्पन्न कर रही थी, तो इसे निजी हाथों में क्यों सौंपा गया? क्या इसके पीछे कोई आपातिक तकनीकी या मानव संसाधन संबंधी कमी थी, या कोई नीति निर्णय?
3. समिति ने बीएचयू से सीसीआई को निजी कम्पनी को देने के सम्बंधित निविदा दस्तावेजों की प्रतियां, बोली मूल्यांकन रिपोर्ट, अंतिम हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन (MoU) जैसे दस्तावेज मांगे है। साथ ही यह पूछा गया है कि क्या चयनित कंपनी ने पात्रता मानदंडों का पूरी तरह पालन किया था?
4. समिति ने सवाल किया है कि निजीकरण के बाद क्या वाकई रोगी देखभाल की गुणवत्ता में सुधार हुआ? सेवा वितरण तेज हुआ? रोगियों के लिए लागत घटी, जैसा कि वादा किया गया था?
5. यदि सेवाओं की लागत में वृद्धि हुई है, तो क्या कोई ऑडिट या स्वतंत्र समीक्षा की गई? क्या निजीकरण के कारण बीएचयू को कोई वित्तीय नुकसान हुआ है?
समिति ने इन बिंदुओं पर भी स्पष्ट स्थिति रिपोर्ट मांगी है।
ट्रामा सेंटर की कार्यप्रणाली पर सवाल
काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के प्रतिष्ठित ट्रॉमा सेंटर की कार्यप्रणाली और प्रशासनिक संरचना अब संसदीय स्थायी समिति की जांच के घेरे में आ गई है। समिति ने विश्वविद्यालय प्रशासन और शिक्षा मंत्रालय से कई गंभीर सवालों के जवाब और दस्तावेज तलब किए हैं।
समिति ने पूछा है कि -
1. समिति ने स्पष्ट किया है कि आईएमएस निदेशक द्वारा कार्यवाहक कुलपति को वर्तमान प्रभारी प्रोफेसर को हटाने के संबंध में पत्र लिखा गया है या नहीं, इसकी पुष्टि के लिए पत्र की प्रति मांगी गई है।
2. समिति ने यह भी पूछा है कि क्या नियुक्ति आधारित पद होने के बावजूद प्रभारी प्रोफेसर तीन वर्षों से अधिक समय से पद पर बने हुए हैं और अगर ऐसा है, तो अन्य शैक्षणिक पदों पर कार्यकाल नियमों का पालन क्यों नहीं किया गया?
3. ट्रॉमा सेंटर के प्रभारी के पास वित्तीय शक्तियाँ हैं और वे स्वतंत्र रूप से संचालन कर रहे हैं। समिति ने पूछा है कि ऐसा किस कानूनी या प्रशासनिक प्रावधान के तहत संभव है?
4.संसदीय समिति ने यह जानना चाहा है कि क्या आईएमएस या बीएचयू में वर्तमान प्रभारी प्रोफेसर के खिलाफ कोई शिकायत लंबित है? क्या मंत्रालय स्तर पर भी उनके विरुद्ध कोई जांच जारी है? क्या मंत्रालय के सतर्कता अधिकारी द्वारा इसकी जांच की जा रही है?
5. समिति ने इस बात पर चिंता जताई है कि क्या जांच के दौरान अभिलेखों की सुरक्षा और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त कदम उठाए गए हैं?
6. मंत्रालय से यह भी पूछा गया है कि क्या पिछले पांच वर्षों में ट्रॉमा सेंटर से संबंधित किसी प्रकार की वित्तीय अनियमितता या शक्ति के दुरुपयोग की शिकायत प्राप्त हुई है? क्या BHU ट्रॉमा सेंटर और विश्वविद्यालय अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार से जुड़ी हाईकोर्ट याचिका पर मंत्रालय ने संज्ञान लिया है?
7. समिति ने मंत्रालय से पूछा है कि क्या ट्रॉमा सेंटर की कार्यप्रणाली की सीबीआई, सीएजी या किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच की जाएगी?
8. अंत में समिति ने यह स्पष्ट करने को कहा है कि क्या केंद्र सरकार द्वारा नियुक्ति आधारित प्रशासनिक पदों के लिए कार्यकाल और जवाबदेही को लेकर कोई स्पष्ट दिशानिर्देश जारी किए गए हैं?
स्थायी समिति के प्रमुख सदस्य:
- राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह (अध्यक्ष)
- सांसद बिकास रंजन भट्टाचार्य
- सांसद डॉ. भीम सिंह
- घोसी सांसद राजीव राय
- सांसद रेखा शर्मा
- सांसद बृजमोहन अग्रवाल
- सांसद अमरदेव शरददाव काले
- सांसद डॉ. हेमांग जोशी
- सांसद शोभनाबेन महेन्द्र सिंह बरैया

