
संत रविदास मंदिर स्थापना दिवस के लिए अनुयायियों संग सीरगोवर्धनपुर पहुंचे निरंजन दास
देश-विदेश से पहुंचे सैकड़ों अनुयायी, नये रैदासी लेंगे गुरू दीक्षा




वाराणसी, भदैनी मिरर। सीरगोवर्धनपुर स्थित रविदास मंदिर के 61वें स्थापना दिवस पर विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। रविदास मंदिर को विभिन्न फूलों और विद्युत झालरों से सजाया गया है। संगतों के आने का सिलसिला जारी है। सुबह से ही मंदिर परिसर में दर्शन-पूजन का दौरा जारी है। इस आयोजन में शामिल होने के लिए रविदासियों के धर्मगुरू संत निरंजन दास रविवार को मंदिर परिसर पहुंचे। रविदास मंदिर के ट्रस्टी के एल सरोआ ने बताया कि संत रविदास मंदिर को पहले से ही सजाने संवारने का कार्य किया जा रहा था। आज मंदिर संगत द्वारा अमृतवाणी का पाठ किया जा रहा है। मंदिर के स्थापना दिवस पर धूमधाम के साथ भजन-कीर्तन और पूजन होगा।


उन्होंने बताया कि आज संत निरंजन दास सभी संगत को आशीर्वचन देंगे। इसके अलावा देश-विदेश से आए हुए सैकड़ों अनुयायियों को गुरु दीक्षा भी देंगे। उन्होंने बताया कि गुरु दीक्षा का कार्यक्रम 16 जून को रखा गया है। गुरु दीक्षा के लिए भक्त दूर-दूर से पहुंचे हैं। इस बीच मंदिर पहुंचे संत निरंजन दास ने विधिवत दर्शन-पूजन किया। अनुयायियों ने उनका स्वागत किया। उनके स्वागत के लिए लोग पहले से ही कतारबद्ध होकर खड़े थे। वैसे स्थापना दिवस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए सैकड़ों अनुयायी दो दिन पहले से यहां पहुंचने लगे थे। उनके आने का सिलसिला अभी जारी है। संत निरंजन दास अभी दो दिनों तक सीर गोवर्धनपुर में ही रहेंगे।विदेश से पहुंची चरण बदन बंगा ने कहाकि हम सभी गुरु रविदास मंदिर के स्थापना दिवस समारोह में शामिल होने पहुंचे हैं। वह नीदरलैंड से इस आयोजन में पहुंची हैं। उनके साथ कुछ अन्य एनआरआई भी इस आयोजन में पहुंचे हैं। पंजाब से परिवार के साथ पहुंची सोनी ने बताया कि हम सब की संत रविदास के प्रति गहरी आस्था है। यहां आकर मन को बड़ी शांति मिलती है।


1972 में मंदिर बनकर हुआ तैयार
ट्रस्ट से जुड़े निरंजन दास चीमा ने बताया कि रैदासियों के गुरु डेरा संत सरवन दास महाराज ने इस मंदिर का निर्माण कराया था। 1965 के आषाढ़ मास में इसकी नींव रखी गई थी और 7 साल बाद यानी 1972 में यह मंदिर बनकर तैयार हुआ। मंदिर निर्माण के बाद से ही संत रविदास के जयंती के अवसर पर रैदासियों की भीड़ लगने लगी। पंजाब, हरियाणा, हिमाचल समेत विदेशों में रहने वाले एनआरआई भक्त भी हर साल यहां आते हैं। इन भक्तों ने संत रविदास को अरबों रुपए दान भी दिये हैं। सरकारी सहायता भी मिलती रहती है।

मंदिर ट्रस्ट के पास है करोड़ों की सम्पत्ति
जानकारी के अनुसार मौजूदा समय में संत रविदास मंदिर के पास करीब 300 किलो सोना है। इसमें सोने की पालकी, दीप, छतर, मुकुट, स्वर्ण कलश शामिल है। इसके अलावा मंदिर का शिखर भी स्वर्ण मंदिर जैसा बना हुआ है और दरवाजे पर भी सोना जड़ा गया है। इसके अलावा करोड़ों रुपए नगद भी हर साल भक्त इस मंदिर को दान में देते हैं।

