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NGT का आदेश: तीन महीने में रमना कूड़ा प्लांट का निरीक्षण और कार्रवाई करें, स्थानीय ग्रामीणों की याचिका पर लिया संज्ञान

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वाराणसी। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने रमना वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट से हो रहे प्रदूषण की शिकायतों पर बड़ा फैसला सुनाया है। स्थानीय ग्रामीणों और निवासियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए एनजीटी ने यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) के सदस्य सचिव को तीन महीने के भीतर प्लांट का निरीक्षण करने और आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
 

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एनजीटी ने क्यों दिया आदेश?

यह आदेश एनजीटी प्रधान पीठ नई दिल्ली के चेयरपर्सन न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और विशेषज्ञ सदस्य डॉ. ए. सेंथिल वेल की दो सदस्यीय पीठ ने दिया। याचिकाकर्ता राकेश रंजन और राहुल प्रताप के अधिवक्ता सौरभ तिवारी की दलीलें सुनने के बाद यह फैसला आया।

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क्या हैं ग्रामीणों की शिकायतें?

 चारकोल प्लांट से वायु और जल प्रदूषण बढ़ रहा है।
प्लांट से दुर्गंध फैल रही है, जिससे आसपास के लोगों को परेशानी हो रही है।
ग्रीन बेल्ट और बफर जोन (सुरक्षा क्षेत्र) नहीं बनाया गया, जो पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन है।

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एनजीटी में क्या हुआ?

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अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने एनजीटी के समक्ष दलील दी कि स्थानीय निवासियों की शिकायतों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने कहा कि प्लांट के कारण वायु और जल प्रदूषण बढ़ रहा है, दुर्गंध की समस्या बनी हुई है और बफर जोन व ग्रीन बेल्ट का अभाव है।

एनजीटी ने इन दलीलों को गंभीर मानते हुए यूपीपीसीबी को तीन महीने में प्लांट की जांच करने और उपचारात्मक व दंडात्मक कार्रवाई सुनिश्चित करने का आदेश दिया है।

अब आगे क्या?

एनजीटी के इस फैसले के बाद यूपीपीसीबी को अब तीन महीने के भीतर रमना कूड़ा प्लांट का निरीक्षण करना होगा और अगर नियमों का उल्लंघन पाया गया तो आवश्यक कार्रवाई करनी होगी। स्थानीय निवासियों ने एनजीटी के इस फैसले का स्वागत किया है और उम्मीद जताई है कि जल्द ही प्लांट से हो रहे प्रदूषण पर रोक लगाई जाएगी।

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