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वाराणसी के गांवों में तेंदुए का आतंक : 48 घंटे में तीन पर हमला, गांववालों में अब भी दहशत

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वाराणसी, भदैनी मिरर। वाराणसी के ग्रामीण इलाकों में इन दिनों तेंदुए का डर लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा है। बीते 48 घंटों में तेंदुए ने दो अलग-अलग गांवों में तीन ग्रामीणों पर हमला कर उन्हें घायल कर दिया। फिलहाल तेंदुआ नजर नहीं आ रहा है, लेकिन गांव में खौफ का माहौल अब भी बना हुआ है। इसी कारण वन विभाग ने अपना सर्च ऑपरेशन समाप्त कर दिया है, लेकिन गांवों में एहतियात के तौर पर दिन-रात दो शिफ्ट में आठ से नौ पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं।

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अब घरों से निकल रहे लोग, लेकिन डर बरकरार

गांववालों का कहना है कि वे अब धीरे-धीरे घरों से बाहर निकल रहे हैं, लेकिन खेतों में जाकर फूल तोड़ने जैसे कामों से अभी परहेज कर रहे हैं। लोगों के भीतर अब भी तेंदुए के दोबारा लौट आने का डर बना हुआ है।

दो टीमों में बंटकर चला सर्च ऑपरेशन

वन विभाग की टीम को दो हिस्सों में बांटकर सर्च अभियान चलाया गया। एक टीम लखरांव गांव के पास तैनात रही, जबकि दूसरी टीम गंगा किनारे के गांवों में तेंदुए की तलाश में जुटी रही। तेंदुए की कोई पुख्ता लोकेशन तो नहीं मिली, लेकिन कुछ जगहों पर उसके पंजों के निशान जरूर मिले हैं, जिससे अनुमान है कि वह चंदौली की ओर चला गया है। शुरुआत में उसे गौराकला गांव में देखा गया था, जिसके बाद वह लखरांव की तरफ भाग गया।

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पहला हमला:

23 मई की सुबह चौबेपुर क्षेत्र की नवापुरा बस्ती में अमित मौर्य अपने खेत में फूल तोड़ने गए थे। वहां उन्होंने झाड़ियों में तेंदुए को छिपा देखा और गांववालों को बुला लिया। 25-30 लोग लाठी-डंडे लेकर पहुंचे, लेकिन इससे पहले कि कुछ किया जा सके, अमित ने डंडे से उसे छेड़ दिया। इस पर तेंदुए ने उस पर झपट्टा मार दिया। हमले में अमित को हाथ, सिर, पीठ और पेट पर गंभीर चोटें आईं।

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दूसरा हमला:

इसके करीब दो घंटे बाद तेंदुआ कामाख्या नजर कॉलोनी (ग्राम पंचायत गौराकला) में दिखा। वहां दो युवक—अनिल और जयदेव—तेंदुए को भगाने के इरादे से बाग में घुसे, लेकिन तेंदुए ने उन दोनों पर हमला कर उन्हें घायल कर दिया। इसके बाद पूरे वाराणसी में अलर्ट जारी हुआ और लखनऊ सहित पांच जिलों से वन विभाग की टीमें बुलाई गईं। ड्रोन कैमरे से भी निगरानी की गई, लेकिन तेंदुए का कोई पता नहीं चल पाया।

गांववाले बोले – खतरा टला नहीं, डर कायम है

गांव के निवासी रमेश कुमार ने बताया, “हम अब घरों से बाहर तो निकल रहे हैं, लेकिन फूलों की खेती का काम रोक दिया है। डर अभी भी पूरी तरह गया नहीं है।”
विकास नामक युवक ने बताया, “प्रशासन ने पिंजड़ा लगाया, कैमरे भी लगे, लेकिन तेंदुआ अब दिखाई नहीं दिया है। जिन तीन लोगों पर हमला हुआ, उनमें से एक की हालत गंभीर है। चूंकि किसी ने तेंदुए को जाते हुए नहीं देखा, इसलिए सभी डरे हुए हैं।”

वन विभाग का दावा– तेंदुआ अब इस इलाके में नहीं

वाराणसी की डीएफओ स्वाति श्रीवास्तव ने जानकारी दी कि 23 मई को गौराकला के लखरांव गांव में तेंदुए की पुष्टि हुई थी। मौके पर वन विभाग की बड़ी टीम पहुंची, जिसमें अधिकारी, कर्मचारियों समेत 25 से ज्यादा लोग शामिल थे।

तेंदुआ पहले एक बाग में देखा गया था, जो चारों ओर से रिहायशी इलाकों से घिरा हुआ था। बाद में वह दूसरे बाग की ओर चला गया। इसके बाद लखनऊ, गाजीपुर और चंदौली से टीमें बुलाई गईं और रातभर निगरानी रखी गई। 24 मई की सुबह तेंदुए के पैरों के निशान नदी की दिशा में मिले, जिससे यह अंदाजा लगाया गया कि वह अब इस क्षेत्र को छोड़ चुका है।

निगरानी अब भी जारी

हालांकि तेंदुए के इलाके से बाहर जाने के संकेत मिल चुके हैं, लेकिन एहतियात के तौर पर वन विभाग की टीमें अब भी इलाके में गश्त कर रही हैं। पिंजड़े, ट्रैप कैमरे और अन्य उपकरणों से निगरानी का काम लगातार जारी है।

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