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कबीर मठ म्यूरल: संत कबीर की वाणी और जीवन दर्शन को दर्शाता बनारस का नया सेल्फी-पॉइंट

वाराणसी विकास प्राधिकरण की अनूठी पहल, संत कबीर के जीवन दर्शन और दोहों का कलात्मक चित्रण

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भारतीय मिनिएचर पेंटिंग से प्रेरित भित्तिचित्र

स्ट्रीट आर्टिस्ट ऋषिराज “बोंग यूएफओ” की अगुवाई में साकार हुआ म्यूरल

स्थानीय नागरिकों और पर्यटकों के लिए नया सांस्कृतिक आकर्षण

वाराणसी को “India’s Living Canvas” बनाने की दिशा में बड़ा कदम

वाराणसी। वाराणसी विकास प्राधिकरण (VDA) ने शहर की सांस्कृतिक धरोहर और आधुनिक कला को एक साथ जोड़ने की दिशा में एक अनूठी पहल की है। कबीर चौरा स्थित कबीर मठ परिसर में एक भव्य “कबीर मठ म्यूरल” तैयार कराया गया है, जो संत कबीर की अमर वाणी, जीवन दर्शन और सादगीपूर्ण दिनचर्या को जीवंत रूप देता है।

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संत कबीर की वाणी दीवारों पर

यह म्यूरल केवल दीवारों पर रंग भरने का काम नहीं है, बल्कि एक संवाद है जो दर्शकों को संत कबीर के विचारों से जोड़ता है। इसमें कबीर के ध्यान, भजन, निर्भीक उपदेश और खादी कातने जैसी दिनचर्या को दर्शाया गया है। साथ ही उनके प्रसिद्ध हस्तलिखित दोहे भी दीवारों पर उकेरे गए हैं।

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भारतीय मिनिएचर पेंटिंग से प्रेरित इस म्यूरल में मृदुल और प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल किया गया है, जिससे कबीर का संदेश – सादगी, सामंजस्य और एकता – सहजता से उभरकर सामने आता है। कमल, पक्षी और वृक्ष जैसे प्रतीकों ने इसे आध्यात्मिक गहराई का स्वरूप दिया है।

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 कलाकारों की टीम और रचनात्मकता

इस कलाकृति को अभिषेक कुमार सिंह (संस्थापक, Curves & Colors) की क्यूरेशन में तैयार किया गया है। मुख्य कलाकार के रूप में सुप्रसिद्ध स्ट्रीट आर्टिस्ट ऋषिराज “बोंग यूएफओ” चक्रवर्ती ने नेतृत्व किया। उनके साथ शिवम सेठ, अरविंद लाल, शिवम कुमार त्रिपाठी, अभिनंदन विश्वकर्मा और वरुण प्रजापति जैसे युवा कलाकार जुड़े।
प्रोडक्शन मैनेजर हर्षित मिश्रा, एक्ज़ीक्यूशन इंचार्ज शम्स आलम और इलस्ट्रेटर के. एस. श्रीवास्तव ने भी अहम भूमिका निभाई।

बनारस का नया “सेल्फी-पॉइंट”

आज यह स्थल न केवल कबीर मठ की आध्यात्मिक गरिमा बढ़ा रहा है, बल्कि बनारस का एक लोकप्रिय “सेल्फी-पॉइंट” भी बन चुका है। स्थानीय नागरिकों और देश-विदेश से आए पर्यटक यहाँ तस्वीरें और वीडियो बनाकर इसे सोशल मीडिया पर साझा कर रहे हैं।

 “India’s Living Canvas” की ओर कदम

वीडीए के अनुसार, इस तरह की पहलों का उद्देश्य वाराणसी को “India’s Living Canvas” के रूप में प्रस्तुत करना है। इससे एक ओर शहर की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर आधुनिक कला और नागरिक भागीदारी के जरिए सार्वजनिक स्थलों का सौंदर्यीकरण और सामुदायिक एकजुटता को बढ़ावा दिया जा रहा है।
 

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