
जय हो जग में जले जहां भी...दिनकर को समर्पित रहा कविकुल काव्यार्चन, कवियों ने अपनी रचनाओं से लोगों को किया मंत्रमुग्ध




वाराणसी, भदैनी मिरर। सुबह-ए-बनारस आनंद कानन के साहित्यिक प्रकल्प काव्यार्चन की 40वीं कड़ी में मंगलवार को अस्सी घाट पर कविकुल काव्यार्चन का आयोजन किया गया। यह सत्र रामधारी सिंह ‘दिनकर’ को समर्पित रहा। इस सत्र की विशेषता यह रही कि रामधारी सिंह दिनकर के साथ कवि सम्मेलन का मंच साझा करने वाले काशी के वयोवृद्ध साहित्यकार डॉ. जयप्रकाश मिश्र ने अध्यक्षता की।


रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की रचनाओं के पाठ का क्रम प्रयागराज से आए युवा रचनाकार डॉ. शिवप्रकाश साहित्य द्वारा कविता पाठ से हुआ। उन्होंने रश्मि रथी के प्रथम सर्ग से ‘जय हो जग में जले जहां भी नमन पुनीत अनल को, जिस नर में भी बसे हमारा नमन तेज को बल को’ का पाठ किया। परमहंस तिवारी ने ‘कोई अर्थ नहीं’ कविता का भावपूर्ण पाठ किया। पंक्तियां कुछ यूं रहीं ‘नित जीवन के संघर्षों से जब टूट चुका हो अंतरमन,तब सुख के लिए समंदर का रह जाता कोई अर्थ नहीं।’ इसके बाद उन्होंने ‘आग की भीख’ गीत के अंश का पाठ किया।


ओमप्रकाश श्रीवास्तव ‘प्रकाश मिर्जापुरी’ ने दिनकर की रचना रश्मि रथी से ‘कृष्ण कर्ण संवाद’ का पाठ किया। उन्होंने सुनाया ‘सोचो क्या दृश्य विकट होगा जब रण में काल प्रकट होगा। महेंद्र तिवारी ‘अलंकार’ ने वर्ष 1938 में प्रकाशित दिनकर के ग्रंथ हुंकार में संकलित ‘वर्तमान के पल आए’ शीर्षक से रचना पढ़ी। इसकी बानगी कुछ यूं रही ‘समय ढूह की ओर सिसकते मेरे गीत विकल धाए, आज खोजते उन्हें बुलाने वर्तमान के पल आए।’

संचालन करते हुए डॉ. नसीमा निशा ने दिनकर की कविता ‘डगमगा रहे हों पांव’ कविता का पाठ करते हुए सुनाया ‘डगमगा रहे हों पांव लोग जब हँसते हों, मत चिढ़ो, ध्यान मत दो इन छोटी बातों पर।’ अध्यक्षीय काव्यपाठ करते हुए डॉ. जयप्रकाश मिश्र ने ‘वो शांति को छेड़ना महाभारत की महाअशांति है’ शीर्षक की कविता का पाठ किया। उन्होंने सुनाया ‘क्षमा याचना कर हम पृथ्वी पर पग रखते हैं, आज का संक्रमित भौतिक धृणित पृथ्वी पर बम फोड़ता है, एक से शांत और दूसरे से विनाश का पौधा उगाता है।’
आरंभ में कविकुल काव्यार्चन की भूमिका संस्कृतिधर्मी अरविन्द मिश्र ‘हर्ष’ ने प्रस्तुत की। स्वागत भाषण ॠतु दीक्षित ने किया। रचनाकारों को प्रमाणपत्र गिरीश पांडेय ‘काशिकेय’, सूर्य प्रकाश मिश्र, प्रो. वत्सला श्रीवास्तव, प्रताप शंकर दुबे एवं झरना मुखर्जी ने प्रदान किया। धन्यवाद ज्ञापन शिक्षिका प्रियंका सिंह ने किया। कार्यक्रम के संयोजन में राजलक्ष्मी मिश्र, डॉ. नागेश शांडिल्य एवं एड.रुद्रनाथ त्रिपाठी ‘पुंज’ ने किया।

