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'जागते रहो भारत यात्रा' का वाराणसी में हुआ भव्य स्वागत, महिला सुरक्षा को लेकर शास्त्री घाट से अंबेडकर प्रतिमा तक निकला कैंडल मार्च

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वाराणसी, भदैनी मिरर। महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान के मुद्दे पर देशभर में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से निकली “जागते रहो भारत यात्रा” का सोमवार को वाराणसी पहुंची। इस दौरान यात्रा शास्त्री घाट पर भव्य स्वागत किया गया। यह यात्रा 8 मार्च को माउंट आबू, राजस्थान से शुरू होकर 20 राज्यों से होते हुए 7 जून को दिल्ली में समाप्त होगी।

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यात्रा का आयोजन कर रही दखल संगठन ने बनारस के नागरिक समाज, महिलाओं और युवाओं की भागीदारी के साथ महिला हिंसा के खिलाफ आवाज बुलंद की। सभा के बाद शास्त्री घाट से अंबेडकर प्रतिमा तक कैंडल मार्च निकाला गया और महिलाओं के अधिकारों को लेकर नुक्कड़ नाटक के ज़रिए जनजागरूकता फैलाई गई।

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महिला अपराध पर चिंता, राष्ट्रपति के संदेश का हुआ उल्लेख

सभा में वक्ताओं ने कहा कि हम भले ही 21वीं सदी में हैं, लेकिन समाज की आधी आबादी आज भी असमानता और असुरक्षा से जूझ रही है। यात्रा के प्रतिनिधि राजेन्द्र कुमार ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के उस बयान का हवाला दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि "महिला दुष्कर्म की जघन्य घटनाओं को जल्दी भूल जाना हमारी सामूहिक मानसिक बीमारी है।"

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चिंताजनक आंकड़े और पितृसत्तात्मक मानसिकता पर प्रहार

दखल संगठन की सोनी ने बताया कि 2002 में देश में दर्ज 16075 बलात्कार के मामलों की संख्या 2022 में बढ़कर 31586 हो गई, जो गंभीर चिंता का विषय है। 2023 में हर घंटे औसतन 86 बलात्कार के मामले दर्ज हुए। इस मौके पर LGBTQ+ समुदाय की प्रतिनिधि दीक्षा ने कहा कि पितृसत्ता की गहराई न्यायपालिका में भी दिखती है, जब इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक न्यायाधीश द्वारा स्तन पकड़ने और नाड़ा खींचने को बलात्कार की कोशिश न मानने की टिप्पणी की गई। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगाई।

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डिजिटल माध्यम और पोर्नोग्राफी पर चेतावनी

जम्मुबेन ने डिजिटल पोर्नोग्राफी की बढ़ती समस्या को उजागर करते हुए बताया कि भारत, पोर्नोग्राफी उपभोग करने वाला विश्व का तीसरा सबसे बड़ा देश बन चुका है, और इसमें 25–34 आयु वर्ग के लोग सबसे आगे हैं।

समाधान के रूप में सुझाव प्रस्तुत

यात्रा के दौरान विभिन्न शहरों में सम्मेलन, कार्यशालाएं, नुक्कड़ नाटक, और जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। वक्ताओं ने महिला सुरक्षा के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव भी रखे:

  • स्कूल पाठ्यक्रम में यौन शिक्षा को अनिवार्य किया जाए।

  • महिलाओं को आत्मरक्षा प्रशिक्षण दिया जाए।

  • दुष्कर्म को गैर-जमानती अपराध घोषित किया जाए।

  • पुलिस जांच की अवधि 30 दिन और न्याय प्रक्रिया 180 दिन में पूरी की जाए।

  • प्रवासी मजदूर बहुल इलाकों में योग केंद्र और पुस्तकालय स्थापित हों।

  • डीएनए जांच में देरी दूर करने के लिए जिला स्तर पर लैब की स्थिति सुधारने का दायित्व समन्वय समितियों को सौंपा जाए।

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रंगमंच और जन सहभागिता

सभा के बाद प्रेरणा कला मंच द्वारा नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया गया। सभा का संचालन नीति ने किया और अनन्या मीठी ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। इस आयोजन में सुजाता, राधा, श्रुति, मैना, आर्या, सिस्टर फ्रांसिस्का, जावेद, मनीष, वल्लभाचार्य, रामजन्म, सतीश सिंह सहित सैकड़ों नागरिकों ने भाग लिया।

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