
काशी है या आग का शोला, पशु-पक्षी भी बेहाल, जगह-जगह बेहोश हो रहे लोग
विकास के नाम पर लाखों पेड़ों को उजाड़ने का नतीजा भुगत रहे काशीवासी




हर साल पौधरोपण के दावे हवा-हवाई, नही सुधरे पर्यावरण के हालात
मौसम विभाग के पूर्वानुमान से लोगों में जगती है उम्मीद, भरोसा नही होता
वाराणसी, भदैनी मिरर। भीषण गर्मी और उमस से मनुष्य तो क्या पशु, पक्षी भी बेहाल हो चुके हैं। हाल-फिलहाल में बारिश की उम्मीद भी नही दिख रही है। ऐसे में सब हैरान और परेशान है। विकास के नाम पर सौ-दो सौ साल पुराने वृक्षों को तहत-नहस कर दिया गया। नये वृक्ष लगे नही, अब जनता इसका दुष्परिणाम भुगत रही है।
रविवार को शहर के अलावा काशी के घाटों पर भी आग बरस रहे थे। इस दौरान भेलूपुर थाना क्षेत्र के अस्सी घाट पर सफाई करते समय सफाई मित्र वंदना अचानक गिरकर बेहोश हो गई। उसके सहयोगी आनन-फानन में बीएचयू ट्रामा सेंटर ले गये। ट्रामा सेंटर उसका इलाज किया जा रहा है। फिलहाल वंदना अभी भी बेहोश है।


इसके अलावा गोदौलिया पर एक दक्षिण भारतीय तीर्थयात्री चक्कर खाकर गिर गया। उनके परिजनों और आसपास के लोगों ने मदद की। ठंडा पानी और जूस पिलाये गये तब थोड़ा आराम मिला। अर्दली बाजार से पुलिस लाइन रोड पर साइकिल से मजदूरी करने जा रहो श्याम किशोर अचानक गिर गया। गर्मी से बेहाल इस व्यक्ति की मदद आसपास के लोगों ने की। शहर में वैसे भी बाग बगीचे खत्म हो चुके हैं। बरेका, बीएचयू और छावनी क्षेत्र के अलावा जहां-तहां कुछ पेड़ बच गये हैं। लोग गर्मी से बचने के लिए जहां-तहां बचे पेड़ों की छांव का सहारा ले रहे हैं। सरकारें और समाजसेवी संस्थाएं हर साल लाखों, करोड़ों पौधरोपण के दावे करते हैं। लेकिन वह पेड़ बनने से पहले सूख जाते हैं। इसका जीते जागते उदाहरण शहर और आसपास बने फोर लेन और सिक्स लेन की सड़कें हैं। कभी इन मार्गों पर सौ से दो सौ साल पुराने सैकड़ों वृक्ष हुआ करते थे। सब विकास की आंधी में ढह गये। पर्यावरण का गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है।


प्लाटिंग के धंधे और विकास की आंधी ने शहर को कंक्रीट का जंगल बना दिया है। नतीजा यह है कि काशी के लोग या यहां आनेवाले आग के शोलों की तपिश झेलने को विवश है। पर्यावरण संरक्षण, पौधरोपण, गंगा और वरूणा निर्मलीकरण बस मीडिया की खबरों तक सीमित हैं। हर साल बारिश से पहले पर्यावरण संरक्षण के नाम पर एनजीओ चलानेवालों की बाढ़ आ जाती है। पौधों के संरक्षण की कसमें खायी जाती हैं और पौधा लगाने के बाद वह कसमें भूल जाते हैं। शहर में हर आदमी पसीने से तर-बतर है। वाराणसी में भीषण तपिश की हालत यह है कि शनिवार को उच्चतम तापमान 44.6 डिग्री और न्यूनतम तापमान 31 डिग्री से ऊपर रहा। रविवार को भी कमोवेश ऐसी ही स्थिति है।

वैसे मौसम विभाग का पूर्वानुमान है कि 16 जून से बारिश का एक नया दौर पूर्वी उत्तर प्रदेश से शुरू होकर पश्चिमी यूपी की ओर बढ़ेगा। इसके प्रभाव से 18-20 जून को प्रदेश में भारी वर्षा की संभावना है। इससे आगामी सप्ताह में प्रदेश के अधिकतम और न्यूनतम तापमान में 5 से लेकर 7 डिग्री तक की गिरावट आ सकती है। हालांकि मौसम विभाग ने 14 जून को भी बारिश की सम्भावना जताई थी लेकिन नही हुई। भीषण गर्मी और उमस से परेशान लोगों का मौसम विभाग के पूर्वानुमान से एक उम्मीद तो जगती है लेकिन विश्वास नही होता। अब वह भगवान से उम्मीद लगाये हुए हैं। आपको बता दे कि शुक्रवार को जिले में अलग-अलग जगहों पर तेज धूप लगने की वजह से चक्कर खाकर कई लोग गिर गए। इसमें इलाज के दौरान तीन लोगों की मौत हो गई थी।

