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निवेश दूसरे का अनुसरण कर नहीं, बल्कि भविष्य के वित्तीय लक्ष्यों के दृष्टिगत होना चाहिए

BHU में एनपीएस एवं यूपीएस विषय पर संगोष्ठी का आयोजन 

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सर्टिफाइड फाइनेंसियल गोल प्लानर एसएन सिंह ने बताए वित्तीय निर्णय लेते समय सावधानी बरतने के उपाय

वाराणसी, भदैनी मिरर। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) में बुधवार को एनपीएस एवं यूपीएस विषय पर संगोष्ठी हुई। कार्यक्रम की प्रस्तुति सर्टिफाइड फाइनेंसियल गोल प्लानर एसएन सिंह ने की। उन्होंने बताया कि कोई भी वित्तीय निर्णय अथवा निवेश दूसरे का अनुसरण करते हुए नहीं अपितु अपनी आवश्यकता एवं अपने भविष्य के वित्तीय लक्ष्यों के दृष्टिगत होना चाहिए। सामान्यतः जब भी कोई व्यक्ति अपने किसी मित्र, बॉस या सहकर्मी से प्रभावित होकर या उसी का अनुसरण करते हुए कोई वित्तीय निर्णय लेता है तो भविष्य में समस्या आती है।

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ऐसा करने के स्थान पर एक विशेषज्ञ की राय लेना एवं अपना वित्तीय ज्ञानवर्धन करते हुए आवश्यकता अनुरूप निर्णय लेना अत्यंत कारगर होता है। यद्यपि आज की व्यस्ततम दिनचर्या में ऐसा कर पाना सभी के लिए संभव नहीं होता है। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता मुंबई से आये बलराम प्रसाद भगत थे। वह यूटीआई पेंशन फण्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) हैं। उन्होंने एनपीएस एवं यूपीएस दोनों विकल्पों के बारे में विस्तार से समझाया। बताया कि यदि कोई सरकारी वेतनभोगी यूपीएस पेंशन विकल्प का चुनाव करता है तो उसका पेंशन आहरित की गयी अंतिम मासिक आय के आधार पर निर्धारित होता है।

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यह नियत या फिक्स्ड रहता है जबकि एनपीएस विकल्प में 60 प्रतिशत एकमुश्त निकासी सेवानिवृत्ति के समय मिल सकती है। शेष 40 प्रतिशत राशि को प्रतिमाह पेंशन के रूप में उपलब्ध पेंशन दर (एन्युटी रेट) के आधार पर दिया जाता है। एनपीएस विकल्प में पेंशन राशि का निर्धारण यूपीएस की भांति नियत न होकर परिवर्तनीय होता है। इस संगोष्ठी का आयोजन सांख्यिकी विभाग के वरिष्ठ प्राध्यापक राजेश सिंह ने किया था। कार्यक्रम में पूर्व संकायाध्यक्ष छात्र कल्याण एवं वरिष्ठ प्राध्यापक सांख्यिकी विभाग के के सिंह आदि उपस्थित रहे। संगोष्ठी के अंत में विभिन्न विभागों से आये अध्यापकों एवं कर्मचारियों ने प्रश्न पूछे। उनका यथोचित शंका समाधान किया गया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. राजेश सिंह ने किया।
 

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