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लंबित वादों के मामले में सूचना आयुक्त ने लिया एक्शन, समीक्षा बैठक में अधिकारियों को दे दिया इतने दिनों का अल्टीमेटम

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वाराणसी। सर्किट हाउस में शनिवार को राज्य सूचना आयुक्त स्वतंत्र प्रकाश ने सूचना के अधिकार अधिनियम-2005 के तहत लंबित वादों के निस्तारण को लेकर जनपद के सभी विभागों के जनसूचना अधिकारियों एवं प्रथम अपीलीय अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। बैठक में आयुक्त ने स्पष्ट किया कि सूचना देने में अनावश्यक विलंब किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है और अधिकारियों को 30 दिनों के भीतर सूचनाएं उपलब्ध करानी होंगी।

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राज्य सूचना आयुक्त ने कहा कि सूचना अधिकार अधिनियम का मूल उद्देश्य सद्भावनापूर्ण और सकारात्मक दृष्टिकोण से सूचना उपलब्ध कराना है। जनसूचना अधिकारियों को चाहिए कि वे वादियों के प्रति संवेदनशीलता रखें और स्वयं यह सोचें कि यदि वे वादी की जगह होते तो उन्हें समय से सूचना चाहिए होती। उन्होंने अधिकारियों से अपील की कि सूचनाएं प्रदान करते समय पूरी ईमानदारी और संवेदनशीलता बरती जाए।

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स्वतंत्र प्रकाश ने यह भी बताया कि उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य है जहाँ सूचना आयोग के समक्ष सीधे ऑनलाइन अपील और शिकायत दायर की जा सकती है। यह सुविधा पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देती है।

बिना वजह वाद न रखें लंबित

आयुक्त ने कहा कि आयोग स्तर पर पुराने मामलों का तेजी से निस्तारण किया जा रहा है, लेकिन जनपद स्तर पर जागरूकता की कमी के कारण कई मामले लंबित रह जाते हैं, जिससे जनता में संदेह की स्थिति उत्पन्न होती है। उन्होंने निर्देश दिया कि अधिकारीगण बिना किसी कारण के वादों को लंबित न रखें और हर हाल में समयसीमा के भीतर निस्तारण सुनिश्चित करें।

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अधिकारियों को विधिक पहलुओं की जानकारी जरूरी

बैठक में स्वतंत्र प्रकाश ने सूचना अधिकार अधिनियम, उत्तर प्रदेश सूचना अधिकार नियमावली-2015 और संशोधित नियमावली-2019 की प्रमुख धाराओं की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने सेक्शन 4(1)(B), 8 और 9 के तहत सूचना प्रदान करने और अस्वीकार करने की प्रक्रिया को भी स्पष्ट किया।

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उन्होंने कहा कि यदि किसी सूचना का निषेध करना हो तो स्पष्ट रूप से कारण दर्ज करें और यदि सूचना किसी अन्य विभाग से संबंधित हो तो समय से उसे ट्रांसफर कर दें।

वादी के प्रति संवेदनशीलता आवश्यक

आयुक्त ने कहा कि जब कोई गरीब या असहाय व्यक्ति सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाता है तो यह हमारी जिम्मेदारी बनती है कि उसकी शिकायत को गंभीरता से लें। अधिकारियों को चाहिए कि वे वादी के दृष्टिकोण से सोचें और सूचना के अधिकार अधिनियम की भावना के अनुरूप कार्य करें।

जरूरी निर्देश

सभी जनसूचना अधिकारियों के टेबल पर नेम प्लेट अनिवार्य।

सूचना मांगने पर पूरी प्रक्रिया का रिकॉर्ड एक पंजिका में दर्ज किया जाए।

सूचनाओं के निस्तारण में देरी होने पर उसका कारण स्पष्ट रूप से लिखित रूप में दिया जाए।

यदि सूचना का अवलोकन कराना हो तो आवेदक को समय देकर सूचना दिखाने की व्यवस्था की जाए।

बैठक में विभिन्न विभागों के जनसूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय अधिकारी उपस्थित रहे। आयुक्त ने अंत में अधिकारियों से अपील की कि सूचना का अधिकार जनता का मूल अधिकार है और सभी को संविधान की भावना के अनुरूप कार्य करना चाहिए।

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