
IMS बीएचयू ने रचा इतिहास: जन्मजात हृदय रोगों के 100 से अधिक कैथेटर-आधारित उपचार सफलतापूर्वक पूरे
ओपन-हार्ट सर्जरी का सुरक्षित विकल्प साबित हुआ, नवजात शिशु से लेकर बुज़ुर्ग मरीजों तक सभी आयु वर्ग को मिला लाभ

Updated: Sep 12, 2025, 12:34 IST

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वाराणसी, भदैनी मिरर। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज़ (IMS) ने चिकित्सा क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। कार्डियोलॉजी विभाग ने जन्मजात हृदय रोगों (Congenital Heart Disease – CHD) के 100 से अधिक मामलों का कैथेटर-आधारित उपचार सफलतापूर्वक पूरा किया है। यह उपलब्धि पिछले 10 महीनों में हासिल की गई है।

इस दौरान मरीजों की उम्र 12 दिन के शिशु से लेकर 65 वर्ष के वयस्क तक रही, जो यह दर्शाता है कि विभाग सभी आयु वर्ग के मरीजों के लिए सक्षम और विशेषज्ञ इलाज उपलब्ध करा रहा है।
विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम
इस ऐतिहासिक उपलब्धि में कार्डियोलॉजी विभाग की टीम — प्रो. विकास, डॉ. धर्मेंद्र जैन, डॉ. ओम शंकर, डॉ. उमेश, डॉ. सुयश, डॉ. सौमिक, डॉ. राजपाल और डॉ. प्रतिभा ने अहम भूमिका निभाई। वहीं, एनेस्थीसिया विभाग से डॉ. ए. पी. सिंह, डॉ. संजीव और डॉ. प्रतिमा ने सहयोग किया।



कैथेटर-आधारित उपचार क्यों है खास?
कैथेटर-आधारित उपचार को आज के समय में ओपन-हार्ट सर्जरी का सबसे सुरक्षित और आधुनिक विकल्प माना जा रहा है। इसकी खासियतें: सुरक्षित और कम जटिल प्रक्रिया, मरीज अगले ही दिन डिस्चार्ज, संक्रमण और जोखिम की संभावना कम, अधिकतर प्रक्रियाएँ आयुष्मान भारत, मुख्यमंत्री कोष और प्रधानमंत्री कोष के अंतर्गत है।

IMS BHU में नियमित रूप से किए जाने वाले उपचार में एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट (ASD) डिवाइस क्लोजर, वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट (VSD) क्लोजर, पेटेंट डक्टस आर्टेरियोसस (PDA) क्लोजर एवं PDA स्टेंटिंग, बलून पल्मोनरी वाल्वोटोमी (BPV), बलून एओर्टिक वाल्वोटोमी (BAV), सुपीरियर वेना कावा (SVC) स्टेंटिंग

और अन्य जटिल संरचनात्मक हस्तक्षेप शामिल है।
प्रो. विकास ने कहा कि – “ये प्रक्रियाएँ अब हमारे यहाँ नियमित रूप से की जा रही हैं और अधिकांश इलाज आयुष्मान भारत, मुख्यमंत्री कोष और प्रधानमंत्री कोष से कवर होते हैं। इससे हर वर्ग के मरीजों को आधुनिक और उन्नत इलाज उपलब्ध हो रहा है।” डॉ. प्रतिभा ने कहा – “जन्मजात हृदय रोग केवल बच्चों की बीमारी नहीं है। कई वयस्क बिना निदान के रहते हैं। समय पर जाँच और इलाज जीवन बदल सकता है।”
प्रो. एस. एन. संखवार, निदेशक IMS BHU ने टीम को बधाई देते हुए कहा – “यह वाराणसी और पूरे पूर्वांचल के लिए गर्व की बात है कि विश्वस्तरीय, आधुनिक और न्यूनतम चीरे वाली तकनीक अब BHU में उपलब्ध है।”
डॉ. के. के. गुप्ता, अधीक्षक, एसएसएच अस्पताल ने कहा – “यह उपलब्धि टीमवर्क और मरीज-केंद्रित दृष्टिकोण का परिणाम है। हम जटिल से जटिल हृदय रोगियों का सफल इलाज कर रहे हैं।”

