वाराणसी में विरासत दर्शन कार्यक्रम और मिलन समारोह संपन्न, बनारस की होली की अनूठी परंपराओं पर हुई चर्चा




वाराणसी: काशी की सांस्कृतिक विरासत को संजोए हुए विरासत दर्शन कार्यक्रम और मिलन समारोह वाराणसी के छावनी स्थित एक बैंक्वेट हॉल में अपनी पूरी भव्यता के साथ संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम में सैकड़ों की संख्या में संस्कृति राजदूत यानी पर्यटक गाइड शामिल हुए।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता साहित्यकार व्योमेश शुक्ला ने बनारस की होली की विशिष्टताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि "बनारस की होली किसी नियमों की मोहताज नहीं है। यह परंपराओं और उल्लास का अनूठा संगम है, जो वसंत पंचमी से शुरू होकर बुढ़वा मंगल तक चलता है।"

बनारस की होली: एक अनूठा उत्सव
व्योमेश शुक्ला ने बनारस के प्राचीन संगीत घरानों की होली से जुड़ी परंपराओं और ऐतिहासिक दुर्गाघाटी मुक्केबाजी के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि दुर्गाघाट पर आयोजित होने वाले इस आयोजन के दौरान ना कोई विवाद थाने तक पहुंचता था और ना ही किसी को अस्पताल ले जाने की नौबत आती थी। यह इस उत्सव की सांस्कृतिक महत्ता को दर्शाता है।

संस्कृति संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण पहल
इस अवसर पर इंटैक वाराणसी के संयोजक अशोक कपूर ने बताया कि हर दो महीने पर विरासत दर्शन कार्यक्रम आयोजित किया जाता है, जिसमें बनारस के गाइडों की चार प्रमुख संस्थाएं मिलकर इस आयोजन को सफल बनाती हैं। इस कार्यक्रम का उद्देश्य बनारस आने वाले पर्यटकों को काशी की सांस्कृतिक विरासत से परिचित कराना है।

विशिष्ट जनों की उपस्थिति
कार्यक्रम का संचालन जैनेंद्र राय ने किया, जबकि इस अवसर पर टीजीएफआई से अजय सिंह, वाराणसी टूरिस्ट गाइड एसोसिएशन के अध्यक्ष अखिलेश कुमार, आईटीएफए के प्रदेश अध्यक्ष विक्रम मेहरोत्रा, अप्रूव्ड टूरिस्ट गाइड एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश्वर सिंह, अंकित सिंह मौर्या, शरद उपाध्याय और करण सिंह सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
यह कार्यक्रम न केवल बनारस की सांस्कृतिक विरासत को सहेजने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि पर्यटक गाइडों को अपनी ऐतिहासिक धरोहर से जोड़ने का एक प्रयास भी है।

