पुस्तक "रामु व सकहिं नाम गुन गाई" का भव्य विमोचन, विद्वानों ने की सराहना




वाराणसी। राजकीय जिला पुस्तकालय, वाराणसी के नवनिर्मित सभागार में प्रो. उदय प्रताप सिंह एवं डॉ. अवंतिका सिंह द्वारा रचित पुस्तक "रामु व सकहिं नाम गुन गाई" का विमोचन काशी के प्रतिष्ठित विद्वानों की उपस्थिति में संपन्न हुआ।
विद्वानों ने की पुस्तक की सराहना

कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. अमलधारी सिंह ने की, जबकि पूर्व कुलपति प्रो. हरिकेश सिंह मुख्य अतिथि रहे। अपने अध्यक्षीय संबोधन में प्रो. अमलधारी सिंह ने कहा कि श्रीराम सृष्टि के संचालक एवं मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में आदर्श हैं। उनका जीवन दर्शन आज भी समाज के लिए प्रेरणादायक है।

मुख्य अतिथि प्रो. हरिकेश सिंह ने प्रो. उदय प्रताप सिंह के हिंदी साहित्य में योगदान की सराहना की और कहा कि वे तीन दशकों से भक्ति साहित्य की साधना में लगे हुए हैं। उन्होंने सह-लेखिका डॉ. अवंतिका सिंह को भी शुभकामनाएँ दीं।
राम के चरित्र में समाजिक समरसता का संदेश

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रो. कामेश्वर उपाध्याय ने कहा कि प्रो. उदय प्रताप सिंह का साहित्य सृजन भारतीयता के प्रति उनकी गहरी निष्ठा को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि निर्गुण ब्रह्म सगुण रूप में श्रीराम के रूप में अवतरित होकर समाज में आदर्श मूल्यों की स्थापना करते हैं। वनवास के दौरान उनके कोल, भील, निशादराज और केवट के प्रति स्नेहपूर्ण व्यवहार सामाजिक समरसता का प्रतीक है।
डॉ. अवंतिका सिंह की लेखन प्रतिभा को सराहते हुए उन्होंने कहा कि कम उम्र में ही उन्होंने उत्कृष्ट सृजनात्मक यात्रा शुरू की है। पुस्तक की भाषा, भाव और शैली इसे हिंदी साहित्य में एक महत्वपूर्ण कृति बनाते हैं।
पुस्तक को बताया संस्कृति का प्रकाश स्तंभ
विशिष्ट अतिथि प्रो. हर्षबाला शर्मा (दिल्ली) ने कहा कि राम और राष्ट्र के बीच भावनात्मक संबंध अटूट है। राम भारतीय संस्कृति की आत्मा हैं, और यह पुस्तक उनकी महत्ता को समृद्ध करती है। प्रो. धर्मपाल सिंह (सुल्तानपुर) ने कहा कि इस कृति की सहज प्रवाहमयता इसे अद्वितीय बनाती है। उन्होंने इसे भारतीय संस्कृति का प्रकाश स्तंभ बताया और कहा कि वर्तमान समाज में राम का चरित्र एक शीतल छाया की भांति है।
अन्य वक्ताओं में प्रो. सदानंद, डॉ. अरविंद सिंह, भगवंती सिंह, ऋचा सिंह, नीलम सिंह, और प्रो. इशरत जहां ने भी पुस्तक की विशेषताओं पर अपने विचार रखे।
भव्य सांस्कृतिक प्रारंभ और धन्यवाद ज्ञापन
कार्यक्रम की शुरुआत श्रीराम दरबार और माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण से हुई। सिद्धनाथ शर्मा द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना ने माहौल को भक्तिमय बना दिया। राजकीय जिला पुस्तकालय के अध्यक्ष कंचन सिंह परिहार ने राम से संबंधित ललित सवैये प्रस्तुत कर कार्यक्रम की भव्य शुरुआत की।
सह-लेखिका और संचालनकर्ता डॉ. अवंतिका सिंह ने "ठुमक चलत रामचंद्र बाजत पैजनियाँ" का गायन कर साहित्यिक माहौल को और सजीव बना दिया।
वरिष्ठ गीतकार डॉ. अशोक कुमार सिंह ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर धर्मपाल सिंह, अशोक कुमार सिंह, लाल साहनी सिंह, शशि कला सिंह, डॉ. सदानंद सिंह, अमिताभ चंद्र राव, डॉ. रमेश प्रताप सिंह, भगवती सिंह, विनोद कुमार सिंह, देवेंद्र पांडेय, विजय चंद्र त्रिपाठी सहित अनेक विद्वान एवं साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।

