
गंगा-वरुणा-गोमती में उफान, खतरे के निशान से 95 सेंटीमीटर ऊपर जलस्तर, 54 गांव और 24 वार्ड जलमग्न
शहरी और ग्रामीण इलाकों में लोगों का पलायन जारी

Updated: Aug 5, 2025, 10:18 IST

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वाराणसी, भदैनी मिरर। वाराणसी में गंगा, वरुणा, गोमती और नाद नदियों में एक साथ उफान ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। सिर्फ तटवर्ती ही नहीं, बल्कि नदियों से दूर के गांव भी बाढ़ की चपेट में आ रहे हैं। प्रशासन के अनुसार, सोमवार तक 54 गांव और शहरी क्षेत्र के 24 वार्ड जलमग्न हो चुके हैं।



खतरे के निशान से 95 सेंटीमीटर ऊपर
केंद्रीय जल आयोग के अनुसार मंगलवार सुबह 8 बजे गंगा का जलस्तर 72.22 मीटर दर्ज किया गया, जो खतरे के निशान से 95 सेंटीमीटर अधिक है। हालांकि मंगलवार सुबह बढ़ाव की गति घटकर 0.5 सेमी प्रति घंटा हो गई है, लेकिन सोमवार रात यह 1 सेमी प्रति घंटा थी। रविवार को गंगा 2 सेमी प्रति घंटा की रफ्तार से बढ़ रही थी।



गांवों और शहर में पानी की दस्तक
पिसौर और आराजीलाइन ब्लॉक के मरूई, सिहोरवां और जक्खिनी गांव तक पानी पहुंच चुका है। अस्सी, दशाश्वमेध, शीतला घाट और सामने घाट क्षेत्रों में गंगा सड़कों तक आ गई है। पॉश कॉलोनियां भी पानी की चपेट में आने लगी हैं। ग्रामीण इलाकों में आधा दर्जन गांवों का सड़क संपर्क टूट गया है। चार साल बाद गंगा का पानी ट्रॉमा सेंटर रोड तक पहुंचा है।



वरुणा की बाढ़ से शहरी इलाके अधिक प्रभावित
शहरी क्षेत्र में गंगा से ज्यादा वरुणा नदी का बढ़ता जलस्तर परेशानी का कारण बना है। शैलपुत्री, सलारपुर, सरैयां, नक्खीघाट, दनियालपुर, मीराघाट, उचवां, मड़िया और पुराना पुल सहित कई घनी आबादी वाले क्षेत्रों में पानी भर गया है। कई जगहों पर लोग पलायन कर राहत शिविरों में शरण ले रहे हैं। पंचक्रोशी-पांडेयपुर और सलारपुर-रघुनाथपुर मार्ग पर आवागमन प्रभावित है, वहीं कई कॉलोनियों में बिजली काट दी गई है।

मकानों की दूसरी मंजिल तक पानी
सलारपुर में पानी घरों की दूसरी मंजिल तक पहुंच गया है। कई लोग छतों पर शरण लिए हैं जबकि 50 से अधिक परिवार घर छोड़कर जा चुके हैं। सरैयां में लूम बंद होने से लोगों की रोजी-रोटी पर संकट गहराया है।
राहत शिविरों में जिंदगी
चमेलिया बस्ती सलारपुर के प्रदीप साहनी, मोहित साहनी, राजू साहनी और राम कुमार मौर्या का कहना है कि उनके घर पूरी तरह डूब गए हैं। ये सभी परिवार के साथ विद्या विहार इंटर कॉलेज में शरण लिए हुए हैं।
बढ़ते पानी के बीच प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य तेज कर दिया है, लेकिन तटवर्ती और प्रभावित क्षेत्रों के लोग अब भी डर और अनिश्चितता में दिन काट रहे हैं।

