
Varanasi : राजस्थान के पूर्व राज्यपाल कलराज मिश्र ने की पहलगाम घटना की निंदा, कहा- भारत के दुश्मनों को बख्शा नहीं जाएगा




वाराणसी। भारतीय मनीषियों की गौरवशाली परंपरा को विश्वभर में पुनः स्थापित करने का संकल्प लेते हुए राजस्थान के पूर्व राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि भारत की सनातन संस्कृति और मनीषा के कारण ही देश को जगद्गुरु का गौरव प्राप्त हुआ था। अब एक बार फिर भारत उसी दिशा में बढ़ रहा है, जो उसे विश्वगुरु बनाएगा।

कलराज मिश्र सोमवार को अखिल भारतीय मनीषी परिषद द्वारा बनारस घराना लॉन में आयोजित ‘नव संवत्सर अभिनंदन महोत्सव मधु मंगल’ को संबोधित कर रहे थे। मिश्र ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों की हत्या करने वाले आतंकवादियों को कायर बताया और उनकी कड़ी निंदा करते हुए कहा कि भारत के दुश्मनों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।


कार्यक्रम में पूर्व गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा 'टेनी' ने भी कहा कि देश अपने लोगों के सतत प्रयासों से फिर से पुराना गौरव और वैभव प्राप्त करेगा। पहलगाम की घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि "सर उठाने वाले सांपों को फिर से कुचला जाएगा।"

महोत्सव का शुभारंभ भगवान श्रीरामचंद्र और भगवान परशुराम के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। नव संवत्सर के महत्व पर संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रोफेसर शैलेन्द्र मिश्रा ने विस्तार से प्रकाश डाला।
समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ अधिवक्ता राधे मोहन त्रिपाठी ने की, जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ ने काशी की विद्वत्परंपरा की महिमा का बखान किया। मणि शंकर पांडेय ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अरविंद शुक्ला ने किया।
इस अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट योगदान देने वाले आठ विद्वानों को "मनीषी रत्न सम्मान" से सम्मानित किया गया। सम्मानित होने वालों में डॉ. केदारनाथ उपाध्याय, डॉ. दयानिधि मिश्रा, पंडित जगजीतन पांडेय, डॉ. कमला शंकर, प्रो. कुलदीप कुमार पांडेय, प्रो. ज्ञानेश चौबे, शंकर ओझा (अंडमान) और जितेंद्र शर्मा (हरिद्वार) शामिल रहे।
कार्यक्रम में डॉ. इशिता अवस्थी, डॉ. अत्रि भारद्वाज, अरुण मिश्रा, राजनाथ तिवारी, प्रो. सुजीत कुमार दुबे, पद्मश्री रजनीकांत द्विवेदी सहित अनेक गणमान्य अतिथि और विद्वान उपस्थित रहे।

