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कज्जाकपुरा में अधिशासी अभियंता कार्यालय पर बिजलीकर्मियों ने किया जोरदार प्रदर्शन

संविदाकर्मियों की छटनी को लेकर जतायी नाराजगी, पीएम और सीएम से आजीविका बचाने की करेंगे अपील

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निजीकरण के लिए बड़े पैमाने पर होने जा रही संविदाकर्मियों की छंटनी, कर्मचारी परेशान

वाराणासी, भदैनी मिरर। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के सरकार के निर्णय के विरोध में 372वें दिन गुरूवार को भी आंदोलन जारी रहा। इस दौरान कर्मचारियों ने कज्जाकपुरा स्थित अधिशासी अभियंता कार्यालय पर प्रदर्शन कर संविदाकर्मियों की छंटनी को लेकर अधिशासी अभियंता से नाराजगी जताई। कर्मचारियों ने कहाकि अब वह प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से अपनी जीविका बचाने की आपील करेंगे। 

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विरोध प्रदर्शन के दौरान सभा को संबोधित करते हुए  वक्ताओ ने कहाकि निजीकरण की दृष्टि से पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के अंतर्गत बड़े पैमाने पर संविदाकर्मियों की छटनी की जा रही है। इसके तहत प्रथम चरण में पूर्वांचल के 8 मंडल में लगभग एक हजार संविदाकर्मियों की छंटनी होनी है। संविदाकर्मियों का कहना है कि पूरी जवानी बिजली विभाग में दे दिया। छंटनी हो जाएगी तो हमें कौन काम देगा। हमारे साथ घोर अन्याय हो रहा है। संघर्ष समिति ने चार्ट जारी करते हुए कहा कि वर्ष 2017 में पॉवर कॉरपोरेशन द्वारा निर्धारित मानक की तुलना में 48 प्रतिशत तक संविदाकर्मी कम किए जा रहे हैं। इससे कर्मचारियों में गुस्सा है। समिति ने कहा कि निजीकरण के उतावलेपन में पॉवर कार्पोरेशन प्रबंधन हजारों की तादाद में संविदाकर्मियों को हटाकर प्रदेश की बिजली व्यवस्था पटरी से उतार देने पर  आमादा है। केंद्रीय पदाधिकारियों ने बताया कि पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन ने नगरीय एवं ग्रामीण विद्युत उपकेंद्रों के लिए नियमित कर्मचारियों और संविदा कर्मियों की तैनाती का मानक वर्ष 2017 में तय किया था। इस संबंध में पॉवर कॉरपोरेशन ने 15 मई 2017 को आदेश जारी किया था।

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पॉवर कारपोरेशन ने इस आदेश में आज तक कोई संशोधन नहीं किया है और आज भी यही आदेश प्रभावी है। मई 2017 के आदेश के अनुसार शहरी क्षेत्र में एक उपकेंद्र पर 36 कर्मचारी और ग्रामीण क्षेत्र में एक उप केंद्र पर 20 कर्मचारी निर्धारित किए गए हैं। अब मनमाने ढंग से बड़े पैमाने पर संविदाकर्मी हटाए जा रहे हैं। शहरी क्षेत्र में 36 कर्मचारियों के स्थान पर 18 और ग्रामीण क्षेत्रों में 20 कर्मचारियों के स्थान पर 12 कर्मचारी प्रति उपकेंद्र पर रखे जा रहे हैं। इस सम्बंध में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम प्रबंधन ने मई 2017 के आदेशों की अवहेलना करते हुए बड़े पैमाने पर संविदाकर्मियों की छटनी के आदेश जारी कर दिए हैं। नए तैनाती आदेशों के अनुसार संविदा कर्मचारियों को 22 प्रतिशत से 48 प्रतिशत तक कम किया जा रहा है। इससे अत्यन्त अल्प वेतन भोगी संविदाकर्मी भुखमरी के कगार पर आ गए हैं। 

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संघर्ष समिति ने बताया कि इसके पहले मध्यांचल विद्युत वितरण निगम में भी इसी प्रकार से हजारों संविदाकर्मियों को हटाया गया। राजधानी लखनऊ के लेसा में रिस्ट्रक्चरिंग के नाम पर हजारों संविदाकर्मी हटाए जा चुके हैं। अब पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में भी हजारों की संख्या में संविदाकर्मियों को हटाया जा रहा है। समिति ने चेतावनी दी है कि निजीकरण के नाम पर हजारों की तादाद में अत्यंत अल्प वेतनभोगी संविदा कर्मियों को हटाया जाना तत्काल बंद न किया गया तो बिजलीकर्मी इस अन्याय के विरोध में आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे। सभा को ई. मायाशंकर तिवारी, ई. विजय सिंह, अंकुर पाण्डेय, राजेन्द्र सिंह, संदीप कुमार, राजेश सिंह, रविन्द्र यादव, मनोज जैसवाल, इकबाल, आदि ने संबोधित किया।

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