
बिजलीकर्मियों ने फिर फूंका आंदोलन का बिगुल, निकाली बाइक रैली
संविदाकर्मियों को हटाने का आदेश वापस लेने की मांग




अब 7 दिन तक राजधानी लखनऊ में शक्ति भवन पर चलेगा क्रमिक अनशन
पहलगाम में शहीद पर्यटकों को श्रद्धांजलि देने के बाद निकाली गई रैली
वाराणसी, भदैनी मिरर। बिजली के निजीकरण के विरोध में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले गुरूवार को सभी जनपदों और परियोजनाओं की भांति बनारस में भी विशाल बाइक रैली निकालकर बिजलीकर्मियों ने आंदोलन शुरू कर दिया। इस आंदोलन में बड़ी संख्या में अवर अभियंता, जूनियर इंजीनियर संगठन के बैनर तले संघर्ष समिति के लोग रैली में शामिल हुए। सिगरा क्षेत्र के चंदुआ सट्टी के पास भारत माता मंदिर पर बिजलिकर्मियों ने 2 मिनट का मौन रखकर पहलगाम में शहीद पर्यटकों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद बाइक रैली निकली।

सीएम योगी आदित्यनाथ को दिया संदेश, फैसला निरस्त करें
इस रैली के जरिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का का ध्यान आकृष्ट कराते हुए जनहित में बिजली के निजीकरण के फैसले को निरस्त कराने की गई। हालांकि बिजलीकर्मी मुख्यमंत्री से यह मांग काफी पहले से करते आ रहे हैं, लेकिन किन्हीं कारणों से सरकार फैसले नही ले पा रही है। संघर्ष समिति ने बताया कि आंदोलन के अगले चरण में 2 मई से 7 दिन तक राजधानी लखनऊ में शक्ति भवन पर क्रमिक अनशन किया जाएगा। संघर्ष समिति ने कहा है कि निजीकरण की दृष्टि से बड़े पैमाने पर सभी विद्युत वितरण निगमों से संविदाकर्मियों को हटाए जाने का आदेश तत्काल वापस लिया जाय। इस मामले में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग करते हुए कहा कि अत्यंत अल्प वेतनभोगी संविदाकर्मियों को जिनमें से कई लोग अपंग भी हो चुके हैं, उन्हें इस तरह हटाया जाना अमानवीय है। सरकार को ऐसे लोगों के बारे में भी सोचना चाहिए और यह किसी तरह से उचित नहीं है।


पांच महीने से आंदोलन के बाद भी नही जागी सरकार तो फूंक दिया बिगुल
पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में विगत पांच महीने से बिजली महापंचायत, विरोध सभाओं और लखनऊ में विशाल रैली के माध्यम से सरकार का ध्यान आकर्षण करने के बाद गुरूवार से बिजली कर्मियों ने आंदोलन का फिर बिगुल फूंक दिया है। समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष विद्युत नियामक आयोग को पत्र लिखकर फर्जी दस्तावेज देने वाले कंसलटेंट ग्रांट थॉर्टन से मीटिंग करने के लिए कह रहे हैं। लेकिन उन्होंने आज तक संघर्ष समिति से वार्ता तक करना जरूरी नहीं समझा। उन्होंने कहाकि संघर्ष समिति के साथ 5 अप्रैल 2018 और 6 अक्टूबर 2020 को दो समझौते हुए हैं। इसमें स्पष्ट लिखा है कि बिजलीकर्मियों को विश्वास में लिए बिना ऊर्जा क्षेत्र में कोई निजीकरण नहीं किया जाएगा। अब 42 जनपदों का विद्युत वितरण का किया जा रहा है। निजीकरण इन दोनों समझौते का स्पष्ट उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि यह समझौते वित्त मंत्री सुरेश खन्ना और तत्कालीन ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा के साथ हुए हैं। संघर्ष समिति ने पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष पर ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अशांति पैदा करने का आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बिजलीकर्मी लगातार बिजली व्यवस्था के सुधार में लगे हुए हैं। लेकिन निजीकरण का राग छेड़कर और संघर्ष समिति से कोई वार्ता न कर पावर कॉरपोरेशन ने इस भीषण गर्मी में टकराव का वातावरण बना दिया है।

चरणबद्ध होगा आंदोलन, होगी आर-पार की लड़ाई
संघर्ष समिति ने बताया कि गुरूवार को प्रदेश के समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर बहुत अनुशासित ढंग से विशाल बाइक रैली निकाली गई। बाइक रैली में बिजलीकर्मी निजीकरण के विरोध में बैनर लिए हुए थे और उनके हेलमेट और मोटरसाइकिल पर निजीकरण से होने वाले नुकसान के स्टीकर लगे हुए थे। संघर्ष समिति ने बताया कि 2 मई से एक सप्ताह तक शक्ति भवन पर क्रमिक अनशन होगा। 2 मई को संघर्ष समिति के घटक संगठनों के केंद्रीय पदाधिकारी और बिजलीकर्मी अनशन पर बैठेंगे। समर्थन में उत्तराखंड के बिजली कर्मचारी और अभियंता भी सम्मिलित होंगे। 3 मई को केस्को और कानपुर क्षेत्र के बिजली कर्मी, 4 मई को दक्षिणांचल के बिजली कर्मी, 5 मई को पूर्वांचल के बिजली कर्मी, 6 मई को परियोजनाओं के बिजली कर्मी, 7 मई को मध्यांचल के बिजलीकर्मी और 8 मई को पश्चिमांचल के बिजलीकर्मी क्रमिक अनशन में भाग लेंगे। लखनऊ के बिजलीकर्मी प्रतिदिन अनशन में रहेंगे। प्रत्येक दिन अन्य प्रांतों के बिजलीकर्मी भी समर्थन में क्रमिक अनशन में शामिल होंगे। इस दौरान अन्य सभी जनपदों और परियोजनाओं पर विरोध सभा की जाएगी और जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन दो अभियान जारी रहेगा। इस बार चरणबद्ध आंदोलन होगा और कर्मचारी आर-पार की लड़ाई के मूड में आ चुके हैं। बाइक रैली का नेतृत्व ई. अविनाश कुमार, ई. नरेंद्र वर्मा, ई. मायाशंकर तिवारी, ई. नीरज बिंद, प्रमोद कुमार, रामाशीष कुमार, राजेन्द्र सिंह,वेदप्रकाश राय, संतोष वर्मा, रमाशंकर पाल, अंकुर पाण्डेय, प्रशांत कुमार आदि ने किया।

