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वाराणसी में विजयादशमी की धूम, बरेका सहित कई स्थानों पर हुआ दशानन के पुतले का दहन

बरेका मैदान में प्रभु श्रीराम के जयकारों के बीच रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतले दहन

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Ravan Dahan
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अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल भी पहुंचे, भारतीय संस्कृति से हुए प्रभावित

वाराणसी, भदैनी मिरर। विजयादशमी का पर्व काशी में इस बार भी परंपरा और उल्लास के साथ मनाया गया। गुरुवार को बरेका केंद्रीय खेल मैदान में रावण दहन शुरू होते ही वातावरण प्रभु श्रीराम के जयकारों से गूंज उठा। रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतले दहन के बाद खूब आतिशबाजी हुई।

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बरेका रावण

ढाई घंटे चले विशेष रूपक में मंच से कजरी, चैता, छप्पय और कहरवा के गीतों के बीच कलाकारों ने मूक अभिनय प्रस्तुत किया। मंच से बोले गए संवादों पर पात्र केवल अभिनय करते रहे। रूपक के निदेशक एसडी सिंह के अनुसार, इस प्रस्तुति के लिए पात्रों को विशेष रूप से तैयार किया गया था।
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जिला और बरेका प्रशासन ने सुरक्षा को लेकर पहले ही बैठक की थी। जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार ने सभी प्रवेश द्वार पूर्ववत खोलने और अतिरिक्त फोर्स तैनात करने का आदेश दिया था। इससे पहले बरेका द्वारा सुबह से गेट बंद रखने का आदेश जारी हुआ था, जिसका भाजपा समेत अन्य सामाजिक संगठनों ने विरोध किया। अंततः आदेश वापस ले लिया गया।
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इस आयोजन में अमेरिका से आए प्रतिनिधिमंडल ने भी हिस्सा लिया। उन्होंने रावण दहन और भारतीय परंपरा को देखकर प्रसन्नता व्यक्त की।
दूसरी ओर, रामनगर दुर्ग में दशहरा पर्व परंपरागत ढंग से शाही ठाठ-बाट के साथ मनाया गया। राजकुमार डॉ. अनंत नारायण सिंह ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच शस्त्र पूजा की और पीएसी जवानों की सलामी ली। इसके बाद शाही दरबार लगा और राजपरिवार की महिलाओं ने नजर उतारी।
शाम 5 बजे दुर्ग से हाथियों पर सुसज्जित शाही सवारी निकाली गई। राजसी पोशाक में अनंत नारायण सिंह जब बटाऊ वीर पहुंचे तो उन्होंने परंपरा के अनुसार शमी वृक्ष का पूजन किया। रास्तेभर हर-हर महादेव के उद्घोष से वातावरण गूंजता रहा।
वाराणसी में विजयादशमी का पर्व एक बार फिर धार्मिक आस्था, लोक परंपरा और सांस्कृतिक धरोहर का अद्भुत संगम बनकर सामने आया।
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