
डेंगू-मलेरिया प्रबंधन पर डॉक्टरों की वर्कशॉप, CMO बोले– प्लेटलेट का गिरना नहीं है मौत की वजह




वाराणसी, भदैनी मिरर। वाराणसी में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसे मच्छरजनित बीमारियों के बेहतर इलाज और प्रबंधन को लेकर एक अहम कार्यशाला आयोजित की गई। होटल क्लार्क्स में हुए इस आयोजन में सरकारी और निजी अस्पतालों के डॉक्टरों, नर्सिंग होम संचालकों को प्रशिक्षण दिया गया। यह कार्यशाला गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड और तकनीकी संस्था पाथ-सीएचआरआई के सहयोग से आयोजित की गई।


CMO ने बताया– डेंगू में प्लेटलेट गिरना नहीं होता जानलेवा
कार्यशाला के दौरान मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) डॉ. संदीप चौधरी ने कहा कि डेंगू से मौत का प्रमुख कारण प्लेटलेट की संख्या में गिरावट नहीं है। उन्होंने बताया कि “जब तक प्लेटलेट 10,000 से नीचे न हो और मरीज को ब्लीडिंग न हो रही हो, तब तक प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन की जरूरत नहीं होती।” उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि घबराने की बजाय डॉक्टर की सलाह पर इलाज कराएं और अधिक से अधिक पानी पिएं।


BHU विशेषज्ञों ने बताया मलेरिया का कारण और रोकथाम
बीएचयू के प्रोफेसर डॉ. निलेश कुमार और डॉ. गोपाल नाथ ने मलेरिया के कारण, लक्षण और रोकथाम की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि “प्रदेश में वर्ष 2024 में मलेरिया से एक भी मौत दर्ज नहीं हुई है। अब लक्ष्य है कि 2027 तक मलेरिया का संचरण रोका जाए और 2030 तक इसे पूरी तरह समाप्त कर दिया जाए।”

क्या कहा विशेषज्ञों ने?
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डॉ. गोपाल नाथ ने बताया कि मलेरिया केवल कुछ प्रजातियों की मादा एनाफिलिज मच्छर से ही फैलता है।
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मच्छर जब संक्रमित व्यक्ति का खून चूसती है, तो मलेरिया परजीवी उसके शरीर में पहुंच जाता है और फिर वह दूसरों को संक्रमित कर देती है।
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लक्षणों में तेज बुखार, ठंड लगना, पसीना आना आदि शामिल हैं।
डिजिटल रिपोर्टिंग पर भी दिया गया जोर
राज्य स्तर के मलेरिया तकनीकी अधिकारी डॉ. अमृत शुक्ला ने सभी डॉक्टरों से अपील की कि “बुखार के रोगियों की त्वरित जांच कराई जाए और पॉजिटिव मिलने पर तुरंत इलाज शुरू किया जाए। साथ ही UDSP पोर्टल पर रोजाना जानकारी अपलोड करना जरूरी है।”
कार्यशाला में CMS डॉ. बृजेश कुमार, रिजनल कोऑर्डिनेटर डॉ. ओजस्विनी त्रिवेदी, अपर CMO डॉ. एस.एस. कन्नौजिया, जिला मलेरिया अधिकारी शरद चंद्र पांडेय, सरकारी और निजी चिकित्सक बड़ी संख्या में मौजूद रहे।

