पूर्व जेल अधीक्षक के खिलाफ कोर्ट जाएगी डिप्टी जेलर की बेटी, बंदी के फर्जी रिहाई को लेकर DM को सौंपा ज्ञापन
आरोप- कोई बड़ा रसूखदार कर रहा है उमेश सिंह को प्रोटेक्ट




जेल अधीक्षक की जाँच सामान पद का अधिकारी कैसे कर सकता है?
मुझे भरोसा है मेरी माँ डिप्टी जेलर के खिलाफ ही आएगी जाँच रिपोर्ट
मांग- जेल मैनुअल के उल्लंघन की जांच डीएम खुद करें
वाराणसी,भदैनी मिरर। पूर्व जिला जेल अधीक्षक उमेश सिंह (Jail Superintendent Umesh Singh) पर आरोपों की फेहरिस्त बढ़ती ही जा रही है. शुक्रवार को डिप्टी जेलर (Deputy Jailor) की बेटी अपने अधिवक्ता के साथ जिलाधिकारी एस. राजलिंगम (District Magistrate S. Rajlingam) से मुलाकात कर ज्ञापन (memorandum) सौंपा. मांग किया कि बंदी (prisoners) के फर्जी आदेश (fake orders) के सहारे हुई रिहाई और जेल मैनुअल के उल्लंघन (violation of jail manual) की वह स्वयं जांच करें या जांच सदस्य नामित करें. उधर पिछले दिनों डिप्टी जेलर मीना कन्नौजिया (Deputy Jailor Meena Kannaujiya) की बेटी नेहा साव के शिकायत पत्र पर लालपुर-पांडेयपुर थाने (Lalpur-Pandeypur police station) में एफआईआर (FIR) दर्ज न होने के बाद अब वह अपने अधिवक्ता के माध्यम से एससी-एसटी कोर्ट (SC-ST Court) का सहारा लेने जा रही है.

मजिस्ट्रेट की जाँच जरुरी
डिप्टी जेलर की बेटी नेहा साव अधिवक्ता संग डीएम से मुलाकात कर कहा कि अलीगढ़ में दर्ज एक मामले में बंदी सुनील को फर्जी आदेश के आधार पर रिहाई करवा दी गई, जबकि बंदी की बेल अभी भी हाई कोर्ट में 47 नंबर कोर्ट में पेंडिंग है.आरोप लगाया कि अन्य जिलों के बंदी का रिहाई आदेश जेल अधीक्षक ही प्राप्त करता है. ऐसे में उमेश सिंह से पूछा जाना चाहिए कि उन्हें रेडियो ग्राम किस व्यक्ति से प्राप्त हुआ. इस प्रकरण में जब रेडियो ग्राम पुलिस लाइन से आया ही नहीं तो जेल वालों ने किसी प्राइवेट आदमी से इसको कैसे प्राप्त किया? आरोप लगाया कि इस मामले में उमेश सिंह ने मोटी रकम लेकर पूरा षड्यंत्र रचे है.
का कि इस पुरे मामले में जेल प्रशासन निष्पक्ष जांच नहीं करवा सकता, क्योंकि जेल मैनुअल के पैरा 800 और 801 के अनुसार, यदि किसी बंदी की रिहाई गलत तरीके से होती है. तो उसकी जांच जिला मजिस्टेट महोदय द्वारा कराई जानी चाहिए वर्तमान में इस मामले की जांच एक जिला जेल के अधीक्षक के द्वारा की जा रही है, जो न्याय संगत नहीं है. इस मामले की निष्पक्ष मजिस्टेट जांच कराया जाना चाहिए.

मम्मी के खिलाफ ही आएगी रिपोर्ट
नेहा साव ने बातचीत में बताया कि उनकी डिप्टी जेलर माँ मीना कन्नौजिया ने जो आरोप उमेश सिंह पर लगाए थे उसमें एक सप्ताह बीतने के बाद भी अभी जाँच रिपोर्ट नहीं आई है. उसने स्पष्ट कहा कि उसे मालूम है कि जाँच रिपोर्ट उनकी माँ के खिलाफ ही आएगी, क्योंकि स्पष्ट रुप से तो नहीं लेकिन जेल अधीक्षक उमेश सिंह को कोई रसूखदार व्यक्ति ही प्रोटेक्ट कर रहा है. जेल में कैदी द्वारा फोन से बात करने के आरोप में कार्रवाई हो सकती है तो यहाँ बंदी के फर्जी रिहाई का मामला है. आखिर उन्हें सस्पेंड क्यों नहीं किया जा रहा है.

कोर्ट में दाखिल करेंगे केस
नेहा साव के अधिवक्ता ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी किसी भी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए प्राथमिक जाँच की आवश्यकता नहीं है के साथ लालपुर पांडेयपुर थाने और एडिशनल पुलिस कमिश्नर (अपराध) राजेश सिंह को दिया गया, लेकिन दोनों जगहों से शासन के आदेश की बात कहकर टाल-मटोल कर रहे है. उन्होंने कहा कि हमारी फाइल तैयार है, आज न्यायालय बंद है, खुलते ही प्रार्थना पत्र दाखिल किया जायेगा.

