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दालमंडी चौड़ीकरण : ध्वस्तीकरण के लिए पहुंची टीम का महिलाओं ने किया विरोध, कहा- हमारे ऊपर बुलडोजर चल जाए, लेकिन घर नहीं छोड़ेंगे

चौड़ीकरण को लेकर चिह्नित भवनों पर कार्रवाई शुरू, 14 दुकानें और कई घर खतरे में—महिलाओं ने कहा: “घर नहीं छोड़ेंगे, चाहे बुलडोजर चल जाए”

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DalMandi Virodh
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वाराणसी,भदैनी मिरर।  दालमंडी रोड चौड़ीकरण को लेकर वीडीए द्वारा चिह्नित भवनों के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई तेज कर दी गई है, लेकिन मंगलवार को इस अभियान के दौरान भारी विरोध देखा गया। दो भवनों को तोड़ने के लिए पहुंची टीम को स्थानीय दुकानदारों और महिलाओं के कड़े विरोध के बाद खाली हाथ लौटना पड़ा।

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महिलाओं ने किया जबरदस्त विरोध, टीम लौटी वापस

मंगलवार सुबह भवन संख्या D 43/181 (नदीम अनवर का कटरा, जिसमें 14 दुकानें हैं) और भवन संख्या 50/221 (उस्मान के स्वामित्व वाला घर) को ध्वस्त करने के लिए प्रशासनिक टीम पहुंची।

लेकिन जैसे ही मशीनें लगाई जाने लगीं, महिलाओं और दुकानदारों ने एकजुट होकर विरोध शुरू कर दिया। दुकानें बंद कर दी गईं और कई महिलाएं हाथ जोड़कर प्रशासन से मोहलत मांगती दिखीं। स्थिति बिगड़ने पर टीम को ध्वस्तीकरण रोककर वापस लौटना पड़ा।

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कड़ी सुरक्षा में पहुंची थी टीम

मौके पर एडीएम आलोक वर्मा, एक्सईएन केके सिंह, एसीपी दशाश्वमेध, कोतवाली पुलिस, महिला पुलिस बल और भारी फोर्स मौजूद था। इसके बावजूद बढ़ते विरोध को देखते हुए कार्रवाई नहीं हो सकी।

“बुलडोजर चल जाए, लेकिन घर नहीं छोड़ेंगे” — महिलाओं का दर्द

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धरने पर बैठी शमा बानो ने रोते हुए कहा- “मैं पीएम मोदी और सीएम योगी से गुहार लगाती हूं… यह चौड़ीकरण का कार्यक्रम रोक दिया जाए।
गली कभी चौड़ी नहीं होती। हम मर जाएंगे पर अपना घर नहीं छोड़ेंगे।” उन्होंने बताया कि लगातार कार्रवाई की धमकी से कई परिवार तनाव और डिप्रेशन में चले गए हैं। “मुआवजा नहीं चाहिए… घर ही चाहिए” । स्थानीय लोगों ने कहा कि तीन पीढ़ियों से रह रहे घरों को छोड़ने का सवाल ही नहीं उठता।

महिलाओं का आरोप—

  • प्रशासन कह रहा है कि भवन अवैध है, तो **हाउस टैक्स और पानी टैक्स** अब तक कैसे जमा होता रहा?
  • अवैध था तो निर्माण रोकने या कार्रवाई करने में प्रशासन कहा था?
  • बिना नोटिस, सिर्फ माइक पर अनाउंसमेंट करके घर खाली करवाया जा रहा है।
  • “दो घंटे में मकान या 14 दुकानें कौन खाली कर सकता है?”

कानूनी प्रक्रिया पर भी सवाल

आरोप लगाया गया कि

  • कोई लिखित नोटिस नहीं दी जा रही।
  • अधिकारी आते हैं, दबाव बनाकर चले जाते हैं।
  • लोगों को कानूनी अधिकारों की जानकारी नहीं दी जा रही।

प्रशासन की ओर से अभी इस पर कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है।

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