आंख की सर्जरी के दौरान 7 साल की मासूम अनाया की मौत के मामले में मुकदमा दर्ज करने का आदेश
14 अक्टूबर को हुई थी बच्ची की मौत, अस्पताल संचालक और डाक्टरों की बड़ी मुश्किलें
डॉ. प्रत्यूष रंजन के सोशल मीडिया पोस्ट पर बच्ची की मां आफरीन ने किया परिवाद दाखिल
सरकारी योजनाओं के साथ अपने हॉस्पिटल के प्रचार पर लीगल नोटिस का नही दिया जवाब
वाराणसी, भदैनी मिरर। ASG Eye Hospital में दालमंडी क्षेत्र के सराय हड़हा की 7 वर्षीय बच्ची अनाया रिजवान की रेटिना सर्जरी के दौरान हुई मौत के मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने FIR दर्ज करने का आदेश दिया है। अदालत ने धारा 173(4) के तहत भेलूपुर थाना को प्राथमिकी दर्ज कर निष्पक्ष विवेचना करने का निर्देश दिया है। अब इस मुकदमे के बाद अस्पताल संचालक और डाक्टर की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।



यह जानकारी मंगलवार को कचहरी परिसर स्थित अधिवक्ता शशांक शेखर त्रिपाठी के चेम्बर में आयोजित प्रेस कांफ्रेस में मृत बच्ची की मां आफरीन बानो ने मीडिया को दी। न्यायालय के अनुसार, 14 अक्टूबर को बच्ची को पूरी तरह स्वस्थ अवस्था में ASG Eye Hospital में भर्ती कराया गया था। सर्जरी के दौरान एनेस्थीसिया दिए जाने के बाद उसकी स्थिति अचानक गंभीर हो गई। बिना स्पष्ट कारण बताए बच्ची को Matcare Hospital महमूरगंज स्थानांतरित किया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। अदालत ने एनेस्थीसिया की खुराक, ऑक्सीजन सप्लाई, पोस्टऑपरेटिव देखरेख और समय पर रेसुसिटेशन न दिए जाने को गंभीर चिकित्सकीय लापरवाही माना है।


अदालत ने यह भी टिप्पणी की है कि ऑपरेशन से संबंधित एनेस्थीसिया चार्ट, ICU रिकॉर्ड, ऑपरेशन नोट्स और CCTV फुटेज जानबूझकर उपलब्ध नहीं कराए गए। डॉक्टरों के बयानों में भी गंभीर विरोधाभास मिले हैं। इन्हीं तथ्यों के आधार पर अदालत ने संबंधित धाराओं में एफआईआर दर्ज कर विधिवत विवेचना कराना आवश्यक बताया। आदेश के बाद थाना भेलूपुर में एफआईआर दर्ज किया जा रहा है। पीड़ित परिवार ने अपने प्रार्थना-पत्र में अदालत से यह भी मांग की थी कि विवेचना की निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए उनके अधिवक्ता शशांक शेखर त्रिपाठी को स्वतंत्र सहयोगी के रूप में जांच में शामिल किया जाय।

अब इस मामले में एक और अहम कानूनी पहलू भी जुड़ गया है। Hospital के डॉ. प्रत्युष रंजन द्वारा सोशल मीडिया पर किए गए पोस्ट को लेकर स्वयं अनाया रिजवान की मां आफरीन रिजवान ने ही न्यायालय में अलग परिवाद पत्र दाखिल किया है। परिवाद में आरोप लगाया गया है कि डॉक्टर ने अपने सोशल मीडिया बयानों में उन सभी सामाजिक वर्गों-पत्रकारों, अधिवक्ताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, पुलिसकर्मियों, जनप्रतिनिधियों गंभीर आरोप लगाए, जो अनाया को न्याय दिलाने की लड़ाई में पीड़ित परिवार के साथ खड़े हैं। आफरीन का कहना है कि इन पोस्टों के माध्यम से न्याय की लड़ाई लड़ रहे लोगों की छवि धूमिल करने और दबाव बनाने की कोशिश की गई। उन्होंने न्यायालय में विधिक कार्रवाई की मांग की है।

प्रकरण से जुड़ा एक और पहलू यह सामने आया है कि डॉ. प्रत्युष रंजन द्वारा सरकार की विभिन्न योजनाओं का प्रचार अपने निजी अस्पताल और व्यावसायिक गतिविधियों में “योजना मॉडल” की तरह किया जा रहा था। इसे लेकर उन्हें लीगल नोटिस भी भेजी गई, जिसमें सरकारी योजनाओं के नाम के कथित दुरुपयोग और व्यावसायिक लाभ से जोड़ने पर आपत्ति दर्ज कराई गई थी। हालांकि, अब तक इस नोटिस पर डॉक्टर की ओर से कोई आधिकारिक जवाब नहीं दिया गया है। पीड़ित परिवार ने वाराणसी के सांसद व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सीएम योगी आदित्यनाथ से मामले में निष्पक्ष जांच की मांग की है। आफरीन बानों ने बताया कि इस मामले में अधिवक्ता शशांक शेखर त्रिपाठी, राजेश त्रिवेदी, आशुतोष शुक्ला, राजकुमार तिवारी, आशुतोष सक्सेना, दीपक वर्मा तथा उनकी टीम के अधिवक्ता साथियों के सहयोग से महत्वपूर्ण सफलता मिली है। मृतका अनाया की मां आफरीन बानो ने कहा कि न्याय के लिए वह आखिरी दम तक लड़ेंगी।
