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बिजली निजीकरण के विरोध में बनारस के बिजलिकर्मियों के आंदोलन में कूदे पार्षद और ग्राम प्रधान 

बिजलीकर्मियों ने तरना विद्युत उपकेंद्र से किया जनजागरण का आरम्भ

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पार्षद और ग्राम प्रधानों ने कहा-सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ्य सुविधाएं सरकारी होनी चाहिए, निजी नहीं

सरकार की नीति कर्मचारी संगठन नहीं बनाएंगे तो कथित डिस्कॉम एसोशिएशन भी नहीं बनाएगा

वाराणसी, भदैनी मिरर। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष के बैनर तले मंगलवार तीन जून को बिजली के निजीकरण के विरोध में तरना विद्युत उपकेंद्र पर जनजागरण अभियान शुरू किया गया। इसमें बिजलिकर्मियों के साथ पार्षद एवं ग्राम प्रधानों ने भी हिस्सा लिया। इस दौरान बिजली के निजीकरण को आमजनमानस के साथ छलावा बताते हुए कहा गया कि बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा एवं स्वास्थ्य सरकारी होना चाहिए। पार्षद गनेशपुर संदीप ने बताया कि बिजली का निजीकरण किसी के हित में नही है। इसलिए इसका विरोध निश्चित होना चाहिए। जनता के हित के लिए बिजलिकर्मियों का आंदोलन सराहनीय है। हम सभी लोग इसको सदन में भी उठाएंगे और निजीकरण के विरोध में प्रस्ताव पास कराएंगे।

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सभा में जानकारी दी गई कि कल भिखारीपुर में संघर्ष समिति के बैनर तले दोपहर-2 से 5 बजे तक किसान संगठनों के द्वारा बिजली के निजीकरण के विरोध में होने वाले प्रदेशव्यापी विरोध के तारतम्य में बिजलीकर्मी भी विरोध प्रदर्शन करेंगे। भवानीपुर के पार्षद गोविंद प्रसाद पटेल ने बताया कि बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाएं हमेशा सरकारी होनी चाहिए। अभी बिजली विभाग में मीटर रीडिंग का काम निजी कम्पनी करती हैं और बिजली बिल सम्बन्धी तमाम शिकायतें प्रतिदिन उपभोक्ता कर रहे हैं। चौमाई के ग्राम प्रधान मुकेश ने बताया कि हम लोग बिजलिकर्मियों के साथ है। निजीकरण के विरोध को जनांदोलन के रूप में चलाया जाएगा।

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संघर्ष समिति के वक्ताओं ने पॉवर कॉरपोरेशन के चेयरमैन के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि यदि कर्मचारी संगठन सरकार की नीति नहीं तय करेंगे तो कथित डिस्कॉम एसोसिएशन भी सरकार की नीति नहीं तय करेंगे। समिति ने बताया कि नवंबर 2024 के दूसरे सप्ताह में लखनऊ में विद्युत वितरण निगमों की एक मीटिंग पांच सितारा होटल में हुई। इसी बैठक में सुधार के नाम पर विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण का निर्णय लिया गया। इस मीटिंग में ऑल इंडिया डिस्कॉम एसोसिएशन के नाम से एक संगठन गठित कर लिया गया। इस संगठन के जनरल सेक्रेटरी डॉक्टर आशीष गोयल बन गए और कोषाध्यक्ष दिल्ली की निजी कंपनी बी एस ई एस यमुना (रिलायंस पावर) के सीईओ अमरदीप सिंह बने। इस नव गठित डिस्कॉम एसोशिएशन में उड़ीसा के टाटा पॉवर के गजानन काले और नोएडा पावर कंपनी लिमिटेड के पीआर कुमार भी हैं। संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का प्रस्ताव आगे बढ़ाने का अंदरुनी निर्णय इसी डिस्कॉम एसोशिएशन की बैठक में कार्पोरेट के साथ मिलकर लिया गया।

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इसके जनरल सेक्रेटरी स्वयं डॉक्टर आशीष गोयल हैं। पता चला है कि यह एसोशिएशन मोटा चंदा वसूल रही है और आशीष गोयल के साथ इसके कोषाध्यक्ष अमरदीप सिंह एक निजी कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं। यह कॉरपोरेट अपने निहित स्वार्थ में उत्तर प्रदेश के 42 जनपदों का निजीकरण करने पर तुले हुए हैं। 5 अप्रैल 2018 और 6 अक्टूबर 2020 को ऊर्जा मंत्री और वित्त मंत्री के साथ हुए लिखित समझौते में कहा गया है कि विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति को विश्वास में लिए बिना प्रदेश में ऊर्जा क्षेत्र में कहीं पर भी कोई निजीकरण नहीं किया जाएगा। इन दोनों समझौतों का सरासर उल्लंघन किया जा रहा है।

इसके अतिरिक्त वर्ष 2000 में उप्र सरकार ने ऊर्जा निगमों में जॉइंट मैनेजमेंट काउंसिल बनाने का निर्णय लिया था। पिछले 20 वर्षों से जॉइंट मैनेजमेंट काउंसिल की कोई बैठक नहीं हुई। काउंसिल काम नहीं कर रही है। कहा कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठकों का सिलसिला कोरोना कल में प्रारंभ हुआ था। कोरोना समाप्त हुए 04 साल गुजर चुके हैं किंतु अभी भी पावर कारपोरेशन के आला अधिकारी और विशेषतः चेयरमैन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए लंबी-लंबी बैठक कर अभियंताओं को डांट फटकार लगाना, अमर्यादित और अभद्र भाषा का प्रयोग करना और अपमानित करना जैसे कार्य कर रहे हैं। अनावश्यक तौर पर लंबी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग बैठकों के कारण बिजली आपूर्ति प्रभावित होती है। सभा को ई. नरेंद्र वर्मा, ई. सियाराम,अंकुर पाण्डेय, ई. अभिजीत कुमार, ई. अखिलेश गुप्ता,ई. लालब्रत, सौरभ श्रीवास्तव, राहुल श्रीवास्तव, मनोज यादव, रविन्द्र कुमार, ई. लालब्रत, ई. रजनीश आदि ने संबोधित किया।
 

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