कफ सिरप सिंडिकेट: सरगना शुभम जायसवाल फरार, SIT करेगी पूरे सिंडिकेट और संपत्ति की जाँच, देखें FIR की कॉपी
गाज़ियाबाद से बनारस तक फैले कफ सिरप माफिया पर बड़ी कार्रवाई — 102 फर्में शामिल, 84 लाख शीशियों की खरीद-बिक्री, 28 दवा कारोबारियों पर केस

वाराणसी,भदैनी मिरर। कफ सिरप के अवैध कारोबार ने वाराणसी पुलिस और ड्रग विभाग को हिलाकर रख दिया है। तीन वर्षों से चल रहे प्रतिबंधित कफ सिरप के काले बाजार का बड़ा नेटवर्क सामने आया है। इस खुलासे के बाद पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने एक आईपीएस अधिकारी के नेतृत्व में SIT का गठन करके पूरे सिंडिकेट की गहन जांच शुरू कर दी है।



कफ सिरप सिंडिकेट का सरगना शुभम जायसवाल फरार
मामले में सबसे बड़ा नाम सामने आया है -शुभम जायसवाल, जो इस पूरे नेटवर्क का मुख्य सरगना बताया जा रहा है। गिरफ्तारी के डर से शुभम घर छोड़कर फरार है और उसके निवास पर ताला लटका मिला। SIT उसकी संपत्ति, बैंक लेनदेन और नेटवर्क की अलग से जांच कर रही है।

84 लाख शीशियों का लेनदेन
ड्रग विभाग की जांच में सामने आया कि -102 मेडिकल फर्में कफ सिरप खरीद-बिक्री में शामिल है। 84 लाख शीशियों का काला कारोबार हुआ। कीमत लगभग 100 करोड़ रुपये बताये गए है। कई फर्में बंद मिलीं जबकि कई के पास संतोषजनक दस्तावेज नहीं मिले।
ड्रग विभाग के कई अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध बताई जा रही है।

लखनऊ से शुरू हुई कार्रवाई
पूरे नेटवर्क पर कार्रवाई लखनऊ के ड्रग आयुक्त रोशनी जैकब के निर्देश पर शुरू हुई। उन्होंने रिपोर्ट मांगी, जिसके बाद वाराणसी पुलिस और ड्रग विभाग एक्टिव मोड में आया।
कोतवाली थाने में FIR दर्ज — रांची की एक फर्म से भारी मात्रा में सप्लाई
पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल के अनुसार, ड्रग इंस्पेक्टर की तहरीर पर कोतवाली थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई है। जांच में सामने आया कि — रांची (झारखंड) की एक कंपनी ने वाराणसी की 26 फर्मों को प्रतिबंधित कफ सिरप सप्लाई किया। कई फर्में फर्जी या बंद मिलीं जबकि कुछ संचालक कोई कागजात नहीं दिखा पाए।
यह स्पष्ट हुआ कि सिरप नशे के लिए अवैध रूप से बेचा जा रहा था।
SIT करेगी पूरे नेटवर्क की जांच — राज्य स्तर तक फैल सकता है मामला
गठित SIT के अध्यक्ष एडिशनल DCP काशी जोन सरवणन टी, एसीपी कोतवाली और प्रभारी निरीक्षक कोतवाली शामिल है। सर्विलांस और SOG टीम भी मदद के लिए लगाई गई है।
गठित एसआईटी यह जाँच करेगी कि नेटवर्क राज्य के किन-किन जिलों तक फैला है, किसने कितनी अवैध संपत्ति बनाई और ड्रग विभाग के किन अधिकारियों की मिलीभगत थी।
पुलिस इसे बड़ी माफिया गतिविधि मानकर आगे कार्रवाई कर रही है।
देखें FIR की कॉपी















