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BHU का ऐतिहासिक कदम: करक्यूमिन क्वांटम डॉट्स तकनीक के लिए उद्योग के साथ पहला तकनीकी हस्तांतरण समझौता

हल्दी से निकले करक्यूमिन के व्यावसायीकरण की तकनीक पर यूप्रिस बायोलॉजिकल्स से एमओयू; त्वचा और दंत चिकित्सा में नए आयाम खुलने की उम्मीद
 

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वाराणसी, भदैनी मिरर। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) ने अनुसंधान को समाज तक पहुँचाने के ऐतिहासिक लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। विश्वविद्यालय ने पहली बार किसी निजी उद्योग के साथ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (Technology Transfer) का एमओयू (MoU) किया है। यह समझौता हल्दी से प्राप्त करक्यूमिन के क्वांटम डॉट्स (CurQDs) की पेटेंट तकनीक के व्यावसायीकरण को लेकर किया गया है।

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इस एमओयू के अंतर्गत BHU ने यूप्रिस बायोलॉजिकल्स प्राइवेट लिमिटेड को अपनी तकनीक के लाइसेंसिंग अधिकार सौंपे हैं, जिससे प्रयोगशाला में विकसित इस तकनीक को उत्पाद के रूप में बाजार तक पहुंचाया जा सकेगा।

क्या है करक्यूमिन क्वांटम डॉट्स तकनीक?

यह तकनीक BHU के चार प्रमुख वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई है, जिनमें प्रो. प्रद्योत प्रकाश (माइक्रोबायोलॉजी, IMS), प्रो. मोनिका बंसल (दंत संकाय, IMS), प्रो. राकेश कुमार सिंह (बायोकैमिस्ट्री, विज्ञान संस्थान) और डॉ. आशीष कुमार सिंह (पटना यूनिवर्सिटी, पूर्व शोध सहयोगी) शामिल है। CurQDs तकनीक में हल्दी में पाए जाने वाले करक्यूमिन को सूक्ष्म स्तर पर अधिक प्रभावशाली और जैव-सुलभ बनाकर उपयोग किया जाता है। यह तकनीक करक्यूमिन की पारंपरिक सीमाएं जैसे कम घुलनशीलता और जैव उपलब्धता को दूर करती है।

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उपयोग और संभावनाएं

त्वचा देखभाल और दंत चिकित्सा के क्षेत्र में इस तकनीक की अपार संभावनाएं हैं। एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण** इसे स्किन केयर में उपयोगी बनाते हैं। बायो-फिल्म तोड़ने की क्षमता दंत रोगों जैसे पीरियोडॉन्टाइटिस में लाभदायक होती है। UV-प्रेरित एंटी-एजिंग प्रभाव से स्किन रिपेयर में मदद मिलती है। 

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समझौता किनके बीच हुआ?

बीएचयू की ओर से कुलसचिव प्रो. अरुण कुमार सिंह और यूप्रिस बायोलॉजिकल्स की ओर से अभिषेक सिंह (परियोजना समन्वयक) ने एमओयू पर हस्ताक्षर कुलपति प्रभारी प्रो. संजय कुमार की उपस्थिति में किए गए। इस दौरान सीएफओ हिमांशु अग्रवाल और IPRTT टास्क फोर्स के सदस्य प्रो. बिरिंची कुमार सरमा, प्रो. गीता राय, प्रो. रजनीश सिंह, डॉ. वेणुगोपाल भी उपस्थित रहे। 

BHU का उद्देश्य और भविष्य की दिशा

प्रो. संजय कुमार ने BHU टीम को बधाई देते हुए कहा कि यह तकनीकी हस्तांतरण विश्वविद्यालय के लिए मील का पत्थर है। उन्होंने IPRTT टास्क फोर्स और शोधकर्ताओं के परिश्रम की सराहना की। IPRTT टास्क फोर्स के समन्वयक प्रो. बिरिंची कुमार सरमा ने बताया कि यह केवल शुरुआत है। BHU आने वाले समय में और भी पेटेंट तकनीकों का व्यावसायीकरण करेगा और उद्योग से जुड़ाव को नई दिशा देगा।

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